उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय संस्कृति और ज्ञान की परंपरा बहुत विशाल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे ऋषियों ने शब्द को ब्रह्म माना है और ब्रह्म ही सत्य है। भारतीय मनीषा का कहना है कि ब्रह्म से निकले विचार कभी खत्म नहीं होते। अच्छी किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं, जो हमें सही रास्ता दिखाती हैं और जिंदगी को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। योगी जी ने युवाओं से अपील की कि वे स्मार्टफोन पर समय बर्बाद करने के बजाय हर दिन सिर्फ एक घंटा रचनात्मक किताबें पढ़ें, इससे उनका जीवन सकारात्मक और कल्याणकारी बनेगा।
गोमती पुस्तक महोत्सव का शानदार आगाजमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये बातें लखनऊ विश्वविद्यालय में गोमती पुस्तक महोत्सव के चौथे संस्करण के उद्घाटन के मौके पर कहीं। यह पुस्तक मेला 20 से 28 सितंबर, 2025 तक लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित होगा। इस मेले में किताबों का महाकुंभ देखने को मिलेगा, जहां किताब प्रेमियों के लिए ढेर सारी किताबें उपलब्ध होंगी। योगी जी ने छात्रों से कहा कि वे इस मेले में कम से कम एक किताब जरूर खरीदें।
वैदिक परंपरा और ऋषियों की अमरगाथायोगी जी ने भारतीय वैदिक परंपरा का जिक्र करते हुए कहा कि वेदों और उपनिषदों में हमारे ऋषियों की अमर कहानियां दर्ज हैं। उन्होंने ऋषि याज्ञवल्क्य का उदाहरण दिया, जो वैदेह जनकराज की सभा के रत्न थे। उनके गहरे आत्मज्ञान ने राजा जनक को भी प्रभावित किया था। याज्ञवल्क्य की दो पत्नियां, मैत्रेयी और कात्यायनी, अपने समय की महान ब्रह्मवादिनी थीं। जब याज्ञवल्क्य ने अपनी संपत्ति दोनों पत्नियों में बांटने का फैसला किया, तो कात्यायनी ने इसे स्वीकार किया, लेकिन मैत्रेयी ने कहा, “जिससे मैं अमर न हो सकूं, उस धन का मैं क्या करूंगी?” मैत्रेयी ने ब्रह्म चिंतन का रास्ता चुना और किताबों के जरिए शाश्वत सत्य की खोज में अपने पति के साथ चलीं।
तक्षशिला: दुनिया का पहला विश्वविद्यालयमुख्यमंत्री ने बताया कि भारत ने दुनिया को तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय दिए। यह विश्वविद्यालय भगवान राम के भाई भरत के बेटे तक्ष के नाम पर बना था। यहां विज्ञान, गणित, साहित्य, खगोलशास्त्र और आयुर्वेद जैसे विषयों के महान विद्वान थे। आयुर्वेद में सर्जरी के जनक सुश्रुत और व्याकरण के मास्टर पाणिनि का संबंध भी तक्षशिला से था। योगी जी ने कहा कि आक्रांताओं ने तक्षशिला को नष्ट कर दिया, लेकिन वहां की एक कहावत आज भी प्रासंगिक है- “कोई भी अक्षर ऐसा नहीं, जिससे मंत्र न बन सके।” यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम शब्दों को कैसे जोड़ते हैं।
मौलिक साहित्य की ताकतयोगी जी ने मौलिक साहित्य के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें लेखन और चिंतन की प्रक्रिया को फिर से मजबूत करना होगा। शिक्षण और धार्मिक केंद्रों को इसका आधार बनना चाहिए। उन्होंने महर्षि वाल्मीकि की रामायण और तुलसीदास जी के रामचरितमानस का जिक्र किया, जिन्होंने श्रीराम के चरित्र को लोगों के दिलों में बसा दिया। पितृ पक्ष के दौरान होने वाली रामलीलाएं सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता का शानदार उदाहरण हैं। ऐसी रचनाएं रचयिता को अमर कर देती हैं।
स्मार्टफोन से ज्यादा किताबें जरूरीमुख्यमंत्री ने बच्चों से कहा कि स्मार्टफोन तकनीक कुछ हद तक मददगार है, लेकिन यह सब कुछ नहीं। डिजिटल लाइब्रेरी और वर्चुअल क्लास के बाद बचे समय में 4-5 घंटे किताबों को दें। इस मेले में 250 से ज्यादा प्रकाशकों की हजारों किताबें मौजूद हैं, जो आपके सर्वांगीण विकास में मदद करेंगी।
“पढ़ेगा देश, तभी बढ़ेगा देश”योगी जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन “व्हेन सिटीजन रीड्स, द कंट्री लीड्स” को दोहराया। उन्होंने कहा कि पढ़ना भारत की परंपरा का हिस्सा रहा है। पीएम मोदी की किताब ‘एग्जाम वॉरियर्स’ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह किताब छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं का डर खत्म करने और सफलता की राह दिखाने में मदद करती है। यह पुस्तक मेला पीएम के शिक्षा के विजन को आगे बढ़ा रहा है। गोरखपुर में भी नवंबर में पुस्तक मेला होगा।
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