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तनाव से फिटनेस तक: शिक्षकों की सेहत में आया जबरदस्त बदलाव!

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कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। स्कूल बंद हुए, ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई, और शिक्षकों की जिंदगी में भी बड़ा बदलाव आया। अब जब स्कूल फिर से खुल चुके हैं, शिक्षक अपनी सेहत को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं। आइए जानते हैं कि कैसे शिक्षकों ने अपनी जीवनशैली में बदलाव किए और नई स्वास्थ्य आदतें अपनाईं।

तनाव से जंग: मानसिक स्वास्थ्य पर फोकस

महामारी के दौरान शिक्षकों को ऑनलाइन क्लासेस, तकनीकी दिक्कतों और बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी ने खूब परेशान किया। इससे तनाव बढ़ा और कई शिक्षकों ने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना शुरू किया। अब शिक्षक योग, मेडिटेशन और माइंडफुलनेस जैसी तकनीकों को अपनी दिनचर्या में शामिल कर रहे हैं। दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ाने वाली रीता शर्मा कहती हैं, “हर सुबह 15 मिनट का योग मेरे लिए गेम-चेंजर रहा है। इससे मैं दिनभर तरोताजा रहती हूँ।” देशभर में शिक्षक अब तनाव कम करने के लिए नियमित व्यायाम और ध्यान को अपनाने लगे हैं।

शारीरिक फिटनेस: नई शुरुआत

कोरोना ने शिक्षकों को यह अहसास कराया कि सेहत सबसे जरूरी है। कई शिक्षकों ने लॉकडाउन में वजन बढ़ने की समस्या देखी, जिसके बाद उन्होंने फिटनेस को गंभीरता से लिया। मुंबई के प्राइमरी स्कूल शिक्षक अजय पाटिल ने बताया, “मैंने रोज सुबह 30 मिनट की वॉक शुरू की और जंक फूड को अलविदा कह दिया।” देश के कई हिस्सों में शिक्षक अब नियमित व्यायाम, सैर और हल्की-फुल्की जिम ट्रेनिंग को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना रहे हैं। कुछ स्कूलों ने तो शिक्षकों के लिए फिटनेस प्रोग्राम भी शुरू किए हैं, जैसे कि हर हफ्ते योगा क्लास या हेल्थ चेकअप कैंप।

खानपान में बदलाव: हेल्दी डाइट की ओर

महामारी ने खानपान की आदतों को भी बदला। पहले जहां शिक्षक जल्दबाजी में चाय-बिस्किट या फास्ट फूड पर निर्भर रहते थे, अब वे घर का बना खाना, फल और सब्जियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। बेंगलुरु की शिक्षिका प्रिया मेहता कहती हैं, “मैं अब हर दिन सलाद और प्रोटीन से भरपूर खाना खाती हूँ। इससे मुझे क्लास में ज्यादा ऊर्जा मिलती है।” कई शिक्षक अब अपने साथ टिफिन लाते हैं और जंक फूड से परहेज करते हैं। स्कूलों में भी बच्चों और शिक्षकों के लिए हेल्दी स्नैक्स को बढ़ावा दिया जा रहा है।

स्कूलों का रोल: सपोर्ट सिस्टम तैयार

कई स्कूलों ने शिक्षकों की सेहत को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए हैं। कुछ स्कूलों में मेंटल हेल्थ वर्कशॉप्स आयोजित किए जा रहे हैं, तो कहीं मुफ्त हेल्थ चेकअप की सुविधा दी जा रही है। उत्तर प्रदेश के एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल रमेश यादव ने कहा, “हमारे शिक्षकों के लिए हर महीने एक हेल्थ सेशन होता है, जिसमें डॉक्टर और न्यूट्रिशनिस्ट सलाह देते हैं।” ये कदम शिक्षकों को न सिर्फ स्वस्थ रख रहे हैं, बल्कि उनकी पढ़ाने की क्षमता को भी बढ़ा रहे हैं।

भविष्य की राह: सेहत और शिक्षा का मेल

कोरोना के बाद शिक्षकों ने समझ लिया है कि स्वस्थ शरीर और दिमाग ही बेहतर शिक्षा का आधार है। नई आदतों ने न सिर्फ उनकी सेहत सुधारी है, बल्कि बच्चों को भी स्वस्थ जीवनशैली की प्रेरणा दी है। जैसे-जैसे स्कूल सामान्य स्थिति में लौट रहे हैं, शिक्षकों की ये नई आदतें उनकी जिंदगी को और बेहतर बना रही हैं। क्या आप भी इन आदतों को अपनी जिंदगी में शामिल करना चाहेंगे?

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