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3.8 करोड़ खर्च कर निशिता ने बदली हजारों बच्चियों की जिंदगी!

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गुजरात के सूरत शहर की एक साधारण सी महिला, निशिता राजपूत, आज हजारों बच्चियों के लिए उम्मीद की किरण बन चुकी हैं। पिछले एक दशक में, निशिता ने 34,500 बच्चियों की स्कूल फीस भरकर उनकी जिंदगी को नई दिशा दी है। यह कोई छोटा-मोटा काम नहीं है; निशिता ने अब तक 3 करोड़ 80 लाख रुपये से अधिक की राशि इन बच्चियों की शिक्षा पर खर्च की है। उनकी यह उपलब्धि इसलिए और खास है, क्योंकि यह सब उन्होंने बिना किसी सरकारी मदद या बड़े संगठन के सहयोग के हासिल किया।

निशिता की प्रेरणा और शुरुआत

निशिता की कहानी तब शुरू हुई, जब उन्होंने अपने आसपास की गरीब बस्तियों में बच्चियों को स्कूल छोड़ते देखा। गरीबी और सामाजिक बंधनों के कारण कई लड़कियां अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाती थीं। निशिता ने ठान लिया कि वे इन बच्चियों के सपनों को टूटने नहीं देंगी। शुरुआत में उन्होंने अपनी बचत से कुछ बच्चियों की फीस भरी। धीरे-धीरे, उनके इस नेक काम की खबर फैली, और स्थानीय लोग उनके साथ जुड़ने लगे। आज, निशिता की पहल एक बड़े सामाजिक आंदोलन का रूप ले चुकी है।

समाज के सहयोग से बना बदलाव

निशिता की इस मुहिम में कोई बड़ा कॉर्पोरेट फंड या सरकारी अनुदान नहीं है। उनके इस प्रयास को ताकत दी है छोटे-छोटे दान और सामुदायिक सहयोग ने। स्थानीय व्यापारी, शिक्षक, और आम लोग इस काम में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। निशिता कहती हैं, “यह मेरा नहीं, बल्कि पूरे समाज का प्रयास है। मैं सिर्फ एक माध्यम हूँ।” उनकी यह सादगी और निस्वार्थ भावना ही उन्हें औरों से अलग बनाती है।

प्रचार से दूर, बदलाव के लिए समर्पित

आश्चर्य की बात यह है कि इतना बड़ा काम करने के बावजूद निशिता ने कभी सुर्खियों की चाहत नहीं रखी। ना तो उन्हें बड़े मंचों पर सम्मान मिला, ना ही मीडिया ने उनकी कहानी को वह जगह दी, जिसकी वे हकदार हैं। लेकिन निशिता को इससे कोई शिकायत नहीं। वे कहती हैं, “मेरा उद्देश्य किसी पुरस्कार या तारीफ का नहीं, बल्कि उन बच्चियों की मुस्कान का है, जो स्कूल जाकर अपने सपने पूरे कर रही हैं।” उनकी यह सोच हमें सिखाती है कि सच्चा बदलाव वही है, जो दिल से दिल तक जाता है।

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