जम्मू, 31 अगस्त (Udaipur Kiran) । पद्मा एकादशी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं लेकिन जब अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पद्मा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार, चातुर्मास के शयन के दौरान भगवान विष्णु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को करवट बदलते हैं, इसीलिए इसका नाम परिवर्तिनी एकादशी पड़ा।
इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि बुधवार, 3 सितम्बर को प्रातः 3 बजकर 53 मिनट से आरंभ होकर गुरुवार, 4 सितम्बर को प्रातः 4 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। सूर्योदय व्यापिनी एकादशी बुधवार, 3 सितम्बर को होने के कारण इस दिन पद्मा एकादशी व्रत रखा जाएगा तथा पारण गुरुवार, 4 सितम्बर को किया जाएगा। महंत शास्त्री ने बताया कि पद्मा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष, दीर्घायु तथा अनेक गौदान के बराबर फल प्राप्त होता है। इसका फल अश्वमेध यज्ञ से भी श्रेष्ठ माना गया है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत पुरुष एवं महिलाएँ समान रूप से कर सकते हैं। व्रत पारण के पश्चात किसी जरूरतमंद अथवा ब्राह्मण को भोजन कराकर दान–दक्षिणा देना अनिवार्य है। इस दिन किया गया दान सभी पापों का नाश कर परमपद की प्राप्ति कराता है।
एकादशी के दिन ॐ नमो वासुदेवाय मंत्र का जप करना अत्यंत शुभ है। एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु की आराधना का पर्व है, जो मन को संयमित करता है तथा शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करता है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
You may also like
राशिफल 30 अगस्त 2025: आज इन राशियों पर बरसेगा भाग्य, जानें किसे मिलेगा सफलता और किसे रखना होगा सतर्कता
`कौन` से धर्म के लोग सबसे ज़्यादा गालियाँ देते हैं? इसे पढ़ने के बाद बदल जाएगी आपकी सोच`
मेवाड़ से फिट इंडिया का संदेश: फतहसागर पर साइक्लोथोन-मैराथन में युवाओं का जोश, खेल मंत्री ने खुद बढ़ाया उत्साह
`आशिकी` के चक्कर में 17 साल की लड़की गई थी बहक मां ने सुनाई कहानी तो पसीज गया पुलिस का कठोर दिल
भारत` के इस गाँव में बोलकर नहीं बल्कि सीटी बजाकर लोग करते हैं एक-दूसरे से बात