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भुवन रिवु को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान, 'वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन' से 'मेडल ऑफ ऑनर' पाने वाले पहले भारतीय वकील बने

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कोलकाता, 6 मई .पश्चिम बंगाल के प्रख्यात बाल अधिकार अधिवक्ता भुवन रिवु को वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन द्वारा ‘मेडल ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान पाने वाले वे पहले भारतीय वकील हैं. यह सम्मान उन्हें डोमिनिकन रिपब्लिक में चार से छह मई तक आयोजित ‘वर्ल्ड लॉ कांग्रेस’ में प्रदान किया गया, जिसमें 70 से अधिक देशों के 300 वक्ता और 1,500 से अधिक कानूनविद शामिल हुए.

भुवन रिवु दो दशकों से अधिक समय से बच्चों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए काम कर रहे हैं. वे ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ नामक विश्व के सबसे बड़े कानूनी नेटवर्क के संस्थापक हैं, जो बच्चों के अधिकारों के लिए काम करता है. इस नेटवर्क की 14 साझीदार एनजीओ पश्चिम बंगाल के 23 जिलों में सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं और 2030 तक बाल विवाह समाप्त करने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं.

बच्चों के लिए न्याय को बनाया हथियारसम्मान स्वीकार करते हुए भुवन रिवु ने कहा, “बच्चों को कभी भी अकेले न्याय के लिए संघर्ष न करना पड़े, यह सुनिश्चित करना ही हमारा लक्ष्य है. कानून उनकी ढाल बने और न्याय उनका अधिकार.”

वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष जेवियर क्रेमाडेस ने कहा, “भुवन का विश्वास है कि लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ न्याय है. उन्होंने भारत और दुनिया भर में यौन अपराधों के शिकार बच्चों और महिलाओं के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है.”

बाल विवाह, बाल श्रम, तस्करी और शोषण के खिलाफ जंगपिछले 20 वर्षों में भुवन रिवु ने बच्चों की सुरक्षा के लिए 60 से अधिक जनहित याचिकाएं दायर की हैं, जिनमें से कई पर सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले दिए हैं.

2011 में उनकी याचिका के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार मानव तस्करी की परिभाषा तय की. 2013 में लापता बच्चों के मुद्दे पर उनके प्रयास से एक ऐतिहासिक निर्णय आया.

इसके अलावा, भुवन ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से हो रहे बाल यौन शोषण, खासकर ‘सीएसईएएम’ सामग्री के खिलाफ भी लगातार सक्रिय हैं.

बाल विवाह समाप्ति की दिशा में अहम योगदान राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019–21) के अनुसार, पश्चिम बंगाल में बाल विवाह की दर 41.6 फीसदी है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3 फीसदी से कहीं अधिक है. इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन द्वारा एक राष्ट्रीय मिशन के तहत कानूनी पहल और सामुदायिक जागरूकता की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं.

भुवन रिवु की पुस्तक ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ में बाल विवाह के खिलाफ सुझाए गए ‘पिकेट रणनीति’ को सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में मान्यता दी है.

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के राष्ट्रीय समन्वयक रवि कांत ने कहा, “यह केवल हमारे नेटवर्क के लिए नहीं, बल्कि भारत में चल रहे बाल अधिकार आंदोलन के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. यह सम्मान यह साबित करता है कि बच्चों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने में कानूनी हस्तक्षेप एक सशक्त माध्यम है.”

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/ ओम पराशर

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