उज्जैन, 7 नवंबर (Udaipur Kiran) . Madhya Pradesh के उज्जैन में सप्त दिवसीय अखिल Indian कालिदास समारोह की समापन संध्या पर शुक्रवार को भरत विशाला रंगमंच पर शास्त्रीय और लोक गायन हुआ. प्रसार भारती के दो ए ग्रेड कलाकारों ने अपने गायन से समां बांधा.
पहली प्रस्तुति बनारस घराने की दिव्या शर्मा जांगीड़,मुरैना ने शास्त्रीय गायन प्रस्तुत किया. वे ख्याल और गजल गायकी से अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बना रही हैं . उन्होंने अपने गायन की शुरुआत राग मधुवंती में कैसे जाऊं सखी… से की. उनके निखरे हुए गायन से राग किरवानी के छोटा ख्याल में उन्होंने तेरे बिन मोहे चैन नहीं, ब्रज के नंदलाला… प्रस्तुत किया. उनके इस गायन ने ऊंचाइयों को छुआ. दिव्या ने अपने गायन का समाहार राग भैरवी में धन्य भाग सेवा का अवसर पायो…से किया. उनके सधे हुए गायन से श्रौता भाव विभोर हुए. उनके साथ तबले पर शरद सूर्यवंशी एवं हारमोनियम पर परमानंद गंधर्व ने संगत की.
* दूसरी प्रस्तुति प्रेमसिंह देपालपुरिया,सारंगपुर के मालवी लोकगीत गायन की रही. मालवी के लोक गायक प्रेम सिंह ने मालवा के लोकगीतों में प्रेम -भक्ति-उत्सव-विवाह-ऋतुओं पर आधारित गीतों को अनेकानेक मंचों पर प्रस्तुत कर श्रोताओं की प्रशंसा प्राप्त की है. उन्होने लोक गायन की शुरुआत गुरु वंदना से की. ईश्वरदास की रचना गुरु सरिका देव मोरे मन भावे…प्रस्तुत करने के बाद संत गंगादास रचित श्रीराम जी का लाड लाडवां प्रस्तुत किया. पूनम गिरी सुरक्षित नजर उतारू रूण से भोला बन्दडा आया रे…..गाया. ब्रह्मानंद रचित सदाशिव सर्व वरदाता में उनके गायन ने उत्कर्ष छुआ. पारंपरिक गीत काना पिचकारी मत मारो के साथ उन्होंने अपने गायन का समाहार महाकवि तुलसीदास रचित हाथ चक्र त्रिशूल विराजे अलख जगाऊं तेरी नगरी में… से किया. प्रेम सिंह के साथ ढोलक और सहगायन मोहन सिंह देपालपुरिया ने किया. तंबूरा पर हरिओम मालवीय,बांगो पर सचिन मागोरिया, वायलिन पर संतोष सरोलिया,मंजीरा अजय मालवीय-पंकज चौहान एवं करताल कृष्ण मोहन देपालपुरिया ने सुसंगत की.
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल





