जयपुर, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran). झालावाड़ पुलिस द्वारा शुरू किया गया ऑपरेशन शटरडाउन एक बड़े अंतर्राज्यीय संगठित साइबर गिरोह के खुलासे का मामला है, जो देश और प्रदेश स्तर तक सक्रिय था. यह गिरोह केंद्र और राज्य सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाओं — जैसे पीएम किसान सम्मान निधि, जनआधार, सामाजिक सुरक्षा पेंशन (राज एसएसपी) और आपदा प्रबंधन विभाग के DMIS पोर्टल — में सेंध लगाकर करोड़ों रुपये की राजकोषीय धोखाधड़ी कर रहा था. इस ऑपरेशन की शुरुआत 22 अक्टूबर को 30 आरोपियों की गिरफ्तारी से हुई थी, जिसे जारी रखते हुए पुलिस ने और भी बड़ी सफलता हासिल की है.
ऑपरेशन जारी, संदिग्ध खातों पर कार्रवाई
एसपी अमित कुमार ने बताया कि लगातार अभियान चलाते हुए झालावाड़ पुलिस ने करीब 11,000 संदिग्ध बैंक खातों को डेबिट फ्रीज करवाया है, जिनमें अब तक लगभग ₹1 करोड़ की राशि की पुष्टि हुई है. इस कार्रवाई में दिल्ली, Punjab और Rajasthan के जयपुर, भरतपुर, दौसा और जोधपुर से 6 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि 2 आरोपियों को डिटेन किया गया है. इनमें कुछ सरकारी सिस्टम में कार्यरत कर्मचारी भी शामिल हैं.
गिरफ्तार और डिटेन किए गए आरोपी
मुख्य आरोपी मोहम्मद लईक पुत्र मोहम्मद रफीक, निवासी किशनपोल बाजार, जयपुर — पीएम किसान सम्मान निधि के स्टेट नोडल ऑफिस का ऑपरेटर था. वह अपनी ऑफिसियल आईडी का दुरुपयोग कर प्राइवेट व्यक्तियों के लिए अवैध आईडी बनाता और रात में ओटीपी बायपास कर अपात्र लोगों की लैंड सीडिंग और अकाउंट एक्टिवेशन करता था.
दिल्ली निवासी सुभाष पुत्र रामसरन Uttarakhand और Uttar Pradesh के अपात्र लाभार्थियों का डेटा उपलब्ध कराता था. भरतपुर निवासी मोहम्मद शाहीद खान, जो पहले भूमि विकास बैंक में संविदाकर्मी था, लईक के संपर्क में आकर फर्जी एक्टिवेशन में शामिल हुआ.
Punjab के जालंधर से गिरफ्तार रोहित कुमार पुत्र चरणसिंह और संदीप शर्मा पुत्र राधेश्याम सरकारी योजनाओं की क्लोन वेबसाइटें तैयार करते थे, जबकि सुनंत शर्मा पुत्र सुदर्शन शर्मा गिरोह का मुख्य संचालक था.
डिटेन आरोपियों में फलौदी कलेक्ट्रेट का कर्मचारी रमेशचंद और दौसा निवासी भागचंद शामिल हैं, जिन्होंने अपात्र लाभार्थियों को जोड़कर धोखाधड़ी की.
बरामदगी और डिजिटल सबूत
ऑपरेशन शटरडाउन के दौरान पुलिस ने अभियुक्तों के ठिकानों से ₹53 लाख नकद, नोट गिनने की मशीन, हजारों चेकबुक, पासबुक और एटीएम कार्ड बरामद किए. साथ ही, 35 से अधिक लैपटॉप, 70 मोबाइल फोन, 11,000 संदिग्ध बैंक डिटेल्स, और कई लक्ज़री वाहन जब्त किए गए. बरामद डिवाइसेस में विभिन्न राज्यों के लाखों लाभार्थियों का संदिग्ध डेटा, पीएम किसान पोर्टल के HTML कोड्स और अधिकारियों के लॉगिन पासवर्ड मिले हैं.
PM किसान निधि और DMIS पोर्टल में सेंधमारी का तरीका
गिरोह पहले ग्रामीण क्षेत्रों से उन अपात्र लाभार्थियों का डेटा जुटाता था, जिनके खाते लैंड सीडिंग या KYC की कमी से निष्क्रिय थे. यह डेटा मुख्य एजेंटों के जरिए स्टेट नोडल ऑफिस के ऑपरेटर तक पहुँचाया जाता था. ऑपरेटर रात के समय अपनी आईडी से अतिरिक्त नोडल आईडी बनाकर ओटीपी बायपास करते हुए अपात्र खातों को सक्रिय करता था और सुबह उन आईडी को डीएक्टिवेट कर देता था.
DMIS पोर्टल में आधार-एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) की खामी का फायदा उठाकर ठगों ने अवैध एक्सेस प्राप्त किया. उनके पास कलेक्टर से लेकर पटवारी स्तर तक की 1500 से अधिक SSO और ईमेल आईडी मिलीं, जिनका उपयोग कर उन्होंने हजारों किसानों की मुआवजा राशि अपने या अपात्र खातों में ट्रांसफर करवाई.
जनआधार और पेंशन योजनाओं में सेंधमारी
बरामद डिजिटल उपकरणों के विश्लेषण में जनआधार पोर्टल से जुड़े हाईली टारगेटेड साइबर टूल्स मिले हैं, जो वैधानिक सत्यापन प्रक्रिया को बायपास करते थे. ई-मित्र प्लस मशीनों के सॉफ्टवेयर कोड्स तक इनका अनधिकृत एक्सेस था. साथ ही, हजारों पेंशन पेमेंट ऑर्डर (PPO) की अकाउंट डिटेल्स भी बरामद हुईं, जिनका उपयोग कर गिरोह पात्र-अपात्र दोनों प्रकार के लाभार्थियों की राशि ट्रांसफर करता था. जयपुर, जोधपुर और सीकर जिलों के लगभग 17,000 लाभार्थियों के संदिग्ध रिकॉर्ड मिले हैं.
स्पेशल टास्क फोर्स और राज्यों का समन्वय
इस जटिल साइबर फ्रॉड केस की सफलता के लिए झालावाड़ पुलिस ने 6 सदस्यीय एसआईटी गठित की. ऑपरेशन में एसओजी जयपुर, एसओजी दिल्ली, Punjab पुलिस (फिल्लौर और जालंधर), भरतपुर, दौसा और जोधपुर पूर्व पुलिस की टीमें भी शामिल रहीं. इस समन्वय से विभिन्न राज्यों में छिपे सरकारी और तकनीकी अपराधियों को पकड़ना संभव हुआ.
फरार आरोपियों पर इनाम घोषित
Superintendent of Police ने पांच फरार आरोपियों की गिरफ्तारी पर ₹25,000-₹25,000 का इनाम घोषित किया था. इनमें से भागचंद सैनी को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि चार आरोपी — कुलदीप ढोली (झालावाड़), नरेश सैनी, विक्रम सैनी (दौसा) और राजू तंवर (छान का खेड़ा) — अभी फरार हैं. एसआईटी अब सरकारी गबन से अर्जित अवैध संपत्तियों की पहचान और सिस्टम में सेंधमारी की गहराई तक जाँच में जुटी है.
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