शहर में आवारा कुत्तों (Stray Dogs) का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन नगर निगम उनकी रोकथाम के लिए बनाए गए शेल्टर हाउस (Shelter House) को चालू कराने में असमर्थ है। करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से सोनडोंगरी में तैयार हुआ यह डॉग शेल्टर पिछले दो साल से अधूरा पड़ा है।
इस शेल्टर हाउस में 150 कुत्तों को रखने की क्षमता है। इसके अलावा, यहाँ नसबंदी (Spay/Neuter) ऑपरेशन थिएटर और क्रीमेशन की सुविधा भी मौजूद है। यह सेंटर तैयार होने के बाद शहर में आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने और उनके स्वास्थ्य एवं कल्याण को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा सकता था।
नगर निगम ने संचालन के लिए एनजीओ का चयन भी कर लिया है, लेकिन चिकित्सकों की नियुक्ति न होने के कारण यह सुविधा अभी तक चालू नहीं हो सकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या न केवल नागरिकों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि इससे सड़क हादसों और विभिन्न बीमारियों का जोखिम भी बढ़ता है।
स्थानीय लोग और आसपास के निवासी इस स्थिति से काफी परेशान हैं। उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों के हमले बढ़ते जा रहे हैं और नगर निगम की तरफ से शेल्टर हाउस को चलाने के लिए त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है। कई बार कुत्तों के काटने और झुंड में घूमने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है।
नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि शेल्टर हाउस तैयार है और संचालन के लिए सभी जरूरी उपकरण और सुविधाएं मौजूद हैं। केवल योग्य डॉक्टरों की नियुक्ति शेष है, जिसके बाद ही सेंटर को चालू किया जा सकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही चिकित्सकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर सेंटर का संचालन शुरू किया जाएगा।
एनजीओ प्रतिनिधियों का कहना है कि वे संचालन के लिए तैयार हैं, लेकिन डॉक्टरों के बिना कोई भी प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि जब शेल्टर चालू होगा, तो शहर में आवारा कुत्तों की नसबंदी, इलाज और अन्य देखभाल की प्रक्रिया नियमित रूप से चल सकेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि शेल्टर हाउस का संचालन न केवल आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करेगा, बल्कि इससे शहरवासियों के लिए सुरक्षा और स्वच्छता भी सुनिश्चित होगी। उन्होंने नगर निगम से अपील की है कि डॉक्टरों की नियुक्ति में देरी न हो और इस सेंटर को जल्द से जल्द चालू किया जाए।
सिटीवासियों का कहना है कि अगर शेल्टर हाउस तुरंत चालू नहीं किया गया, तो शहर में आवारा कुत्तों से जुड़े हादसे और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। बच्चों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक है, क्योंकि अक्सर खेल-खेल में वे आवारा कुत्तों के संपर्क में आ जाते हैं
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