छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों के कल्याण के नाम पर हुए 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) करेगी। यह आदेश छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दिया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सीबीआई को जांच करने की पूरी स्वतंत्रता होगी और उसे राज्य के किसी भी विभाग, संगठन या कार्यालय से संबंधित दस्तावेज़ और रिकार्ड जब्त करने का अधिकार है।
कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि यदि यह घोटाला पांच फरवरी 2020 को भोपाल में दर्ज एफआईआर पर आधारित है, तो सीबीआई उसी एफआईआर के आधार पर जांच कर सकती है। वहीं, यदि उस समय एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई थी, तो सीबीआई को आदेश दिया गया है कि वह नए सिरे से एफआईआर दर्ज करे और 15 दिनों के भीतर राज्यभर में संबंधित विभाग, संगठन और कार्यालयों से सभी प्रासंगिक मूल रिकार्ड जब्त करे।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि जांच में कोई बाधा नहीं आए और घोटाले में शामिल अधिकारियों, कर्मचारियों या अन्य संस्थाओं पर कानूनी कार्रवाई तुरंत शुरू की जाए। कोर्ट के आदेश के अनुसार, घोटाले की प्रकृति और राशि को देखते हुए यह मामला गंभीर और व्यापक है, इसलिए इसे उच्च प्राथमिकता पर जांचा जाना चाहिए।
वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि दिव्यांग कल्याण के नाम पर इस घोटाले से न केवल सरकारी धन की हानि हुई है, बल्कि राज्य के कमजोर और जरूरतमंद वर्गों के हितों को भी गंभीर नुकसान पहुंचा है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसी की जांच आवश्यक होती है ताकि मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
राज्य प्रशासन ने भी हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत किया है और कहा है कि सरकार जांच में पूर्ण सहयोग करेगी। अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि सभी दस्तावेज़ और रिकॉर्ड को सीबीआई की मांग के अनुसार उपलब्ध कराया जाएगा।
घोटाले की जांच में शामिल होने वाली एजेंसियों के मुताबिक, 1,000 करोड़ रुपये की राशि विभिन्न योजनाओं और कल्याण कार्यक्रमों के नाम पर अयोग्य खर्च और भ्रष्टाचार के माध्यम से हड़प ली गई थी। अब सीबीआई के हस्तक्षेप से उम्मीद जताई जा रही है कि दोषियों को दंडित किया जाएगा और राज्य के दिव्यांगों को उनके हक़ का लाभ सुनिश्चित किया जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ताओं और दिव्यांग संगठन ने भी हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे दिव्यांगों के हितों की रक्षा और सरकारी धन की उचित व्यय सुनिश्चित होगी। संगठन ने सरकार और सीबीआई से अपील की है कि जांच निष्पक्ष, तेज़ और पारदर्शी तरीके से हो।
विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसे घोटाले अक्सर जटिल और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं, लेकिन कोर्ट के स्पष्ट निर्देश और सीबीआई की सक्रिय जांच से मामले में जल्द निष्कर्ष निकलने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का यह आदेश राज्य में सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण है कि जांच किस गति से आगे बढ़ती है और घोटाले में शामिल दोषियों के खिलाफ कितनी प्रभावी कार्रवाई की जाती है।
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