तिरुवनंतपुरम। केरल में दिमाग को खाकर लोगों को मौत देने वाले परजीवी नेगलेरिया फॉलेरी Naegleria Fowleri के संक्रमण से इस साल अब तक 19 लोग जान गंवा चुके हैं। मृतकों में तीन महीने का बच्चा भी है। दिमाग को खा जाने वाले परजीवी संक्रमण से पीड़ित लोगों की संख्या भी 70 के करीब है। इस परजीवी संक्रमण को अंग्रेजी में ब्रेन ईटिंग अमीबा कहते हैं। इस बीमारी का डॉक्टरी नाम अमीबा मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस है। नेगलेरिया फॉलेरी अमीबा काफी दुर्लभ होता है। दुनियाभर में इस अमीबा के अब तक 500 से भी कम मामले आए हैं। जबकि, केरल में अब तक इस खतरनाक बीमारी के 120 मामले आ चुके हैं।
केरल में ब्रेन ईटिंग अमीबा के कारण बीते 15 दिन में ही 8 मरीजों की मौत हो चुकी है। ब्रेन ईटिंग अमीबा ताजा दूषित पानी में पनपता है। जब इस पानी में लोग नहाने या तैरने जाते हैं, तो नाक के जरिए ब्रेन ईटिंग अमीबा शरीर में प्रवेश कर जाता है। शरीर में प्रवेश करने के बाद ब्रेन ईटिंग अमीबा यानी नेगलेरिया फॉलेरी सीधे दिमाग में पहुंचता है और उसे धीरे-धीरे नष्ट करता है। इस अमीबा के कारण दिमाग के टिश्यू नष्ट होते जाते हैं। नतीजे में मरीज को झटके आने लगते हैं। मरीज को पैरालिसिस होती है और वक्त पर इलाज न मिलने पर उसकी जान भी चली जाती है। बारिश के मौसम में तालाबों, पोखरों वगैरा के पानी में ब्रेन ईटिंग अमीबा होने की आशंका बढ़ जाती है।
ब्रेन ईटिंग अमीबा से बचने का उपाय ये है कि बारिश के मौसम में तालाब या पोखर में न नहाया जाए। इसके अलावा अगर तालाब या पोखर में नहाने के बाद किसी को बुखार हो, तो तत्काल सचेत होना चाहिए और डॉक्टर को दिखाना चाहिए। अगर मरीज को झटके आ रहे हैं, तो तत्काल उसे अस्पताल ले जाने की जरूरत होती है। ब्रेन ईटिंग अमीबा पीड़ित का इलाज वक्त पर हो, तो उसके बचने की गुंजाइश होती है। वरना अमीबा दिमाग को इतना क्षतिग्रस्त कर देता है कि मरीज को बचाने में दिक्कत होती है। दिमाग के टिश्यू ज्यादा नष्ट हो जाएं, तो मरीज को जीवन भर के लिए लकवा यानी पैरालिसिस भी होने की आशंका रहती है।
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