इस्लामाबाद : अफगानिस्तान ने सीजफायर समझौते पर दूसरे दौर की वार्ता में आए गतिरोध के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान ने कहा कि तुर्की में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का बर्ताव बेहद खराब रहा है। वह कई नाजायज मांगों पर इस दौरान अड़े हुए हैं, जिससे बातचीत का वातावरण खराब हो रहा है। अफगान तालिबान का कहना है कि अमेरिकी दबाव और एक अज्ञात फोन कॉल ने भी बातचीत को पटरी से उतारने में अहम रोल निभाया है।
टोलोन्यूज ने सूत्रों के आधार पर की गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तुर्की वार्ता में पाकिस्तान ने पहली बार ये स्वीकार किया है कि उसका अमेरिका के साथ ड्रोन हमलों की अनुमति देने वाला समझौता है। पाकिस्तान ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि वह इस समझौते को नहीं तोड़ सकता है। इस रवैये ने अफगानिस्तानी पक्ष को काफी निराश किया।
फोन कॉल से बदला रुखरिपोर्ट के मुताबिक, अफगान तालिबान के प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तानी डेलीगेशन से यह गारंटी मांगी कि वह अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन नहीं करेगा। साथ ही अमेरिकी ड्रोन को पाकिस्तानी क्षेत्र और हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति भी पाक सरकार नहीं देगी। इस पर पाकिस्तानी पक्ष ने पूरी तरह से हाथ खड़े कर दिए, जिससे गतिरोध पैदा हुआ।
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने शुरुआत में कई बातों को मान लिया था। इससे बातचीत अच्छी दिशा में जा रही थी। इसी बीच पाक डेलीगेशन के पास आए फोन कॉल से चीजें बदल गईं। इस कॉल के बाद पाक अधिकारियों ने पलटी मारते हुए कहा कि अमेरिकी ड्रोन पर उनका नियंत्रण नहीं है और आईएसआईएस के खिलाफ भी वह कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। पाक डेलीगेशन के बर्ताव ने मध्यस्थ कतर और तुर्की के अफसरों भी हैरान कर दिया।
इंस्ताबुल में अटकी बातइस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रही वार्ता में गतिरोध पर इस्लामाबाद के अपने दावे हैं। पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि तालिबान की ओर से अफगानिस्तान की धरती से चल रहे आतंकी गुटों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा ना मिलना एक बड़ी अड़चन है। हालांकि कुछ मुद्दों पर टकराव के बावजूद दोनों पक्ष बातचीत कर रहे हैं। दोनों पक्षों ने सोमवार को तुर्की के अधिकारियों की मौजूदगी में एक और दौर की बातचीत की।
माीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की ओर से टीटीपी के मुद्दे पर रुख नरम नहीं किया जा रहा है। पाकिस्तान को लगता है कि तालिबान शासन ही टीटीपी को संरक्षण दे रहा है। वहीं अफगान तालिबान ने इससे साफ इनकार किया है और पाकिस्तान से हवाई हमलों के खिलाफ गारंटी मांगी है। पाकिस्तानी पक्ष का कहना है कि टीटीपी के खतरे को देखते हुए वह इस तरह की कोई गारंटी नहीं दे सकता है। इससे दोनों पक्षों में तनाव बना हुआ है।
टोलोन्यूज ने सूत्रों के आधार पर की गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तुर्की वार्ता में पाकिस्तान ने पहली बार ये स्वीकार किया है कि उसका अमेरिका के साथ ड्रोन हमलों की अनुमति देने वाला समझौता है। पाकिस्तान ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि वह इस समझौते को नहीं तोड़ सकता है। इस रवैये ने अफगानिस्तानी पक्ष को काफी निराश किया।
फोन कॉल से बदला रुखरिपोर्ट के मुताबिक, अफगान तालिबान के प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तानी डेलीगेशन से यह गारंटी मांगी कि वह अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन नहीं करेगा। साथ ही अमेरिकी ड्रोन को पाकिस्तानी क्षेत्र और हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति भी पाक सरकार नहीं देगी। इस पर पाकिस्तानी पक्ष ने पूरी तरह से हाथ खड़े कर दिए, जिससे गतिरोध पैदा हुआ।
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने शुरुआत में कई बातों को मान लिया था। इससे बातचीत अच्छी दिशा में जा रही थी। इसी बीच पाक डेलीगेशन के पास आए फोन कॉल से चीजें बदल गईं। इस कॉल के बाद पाक अधिकारियों ने पलटी मारते हुए कहा कि अमेरिकी ड्रोन पर उनका नियंत्रण नहीं है और आईएसआईएस के खिलाफ भी वह कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। पाक डेलीगेशन के बर्ताव ने मध्यस्थ कतर और तुर्की के अफसरों भी हैरान कर दिया।
इंस्ताबुल में अटकी बातइस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रही वार्ता में गतिरोध पर इस्लामाबाद के अपने दावे हैं। पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि तालिबान की ओर से अफगानिस्तान की धरती से चल रहे आतंकी गुटों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा ना मिलना एक बड़ी अड़चन है। हालांकि कुछ मुद्दों पर टकराव के बावजूद दोनों पक्ष बातचीत कर रहे हैं। दोनों पक्षों ने सोमवार को तुर्की के अधिकारियों की मौजूदगी में एक और दौर की बातचीत की।
माीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की ओर से टीटीपी के मुद्दे पर रुख नरम नहीं किया जा रहा है। पाकिस्तान को लगता है कि तालिबान शासन ही टीटीपी को संरक्षण दे रहा है। वहीं अफगान तालिबान ने इससे साफ इनकार किया है और पाकिस्तान से हवाई हमलों के खिलाफ गारंटी मांगी है। पाकिस्तानी पक्ष का कहना है कि टीटीपी के खतरे को देखते हुए वह इस तरह की कोई गारंटी नहीं दे सकता है। इससे दोनों पक्षों में तनाव बना हुआ है।
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