जन्मकुण्डली अथवा ग्रहदशा दिखलाते समय लोग प्रायः पूछते हैं कि उन्हीं के साथ हर समय अशुभ घटनाएं क्यों घटती हैं? अधिकांश लोगों को जीवन में बुरी चीजों का सामना इसलिए करना पड़ता है क्योंकि उनके अन्तर्मन में हर समय भय, आशंका जैसे नकारात्मक विचार ही पनपते रहते हैं। अगर कोई व्यापारी हर समय यही सोचता रहता है कि कहीं उसे व्यापार में घाटा न हो जाए, तो उसी के विचारों की नकारात्मक उर्जा व्यापार प्रारम्भ होने से पहले ही घाटे की रूपरेखा बनाने लगती है जिससे उसका घाटा होना तय है।
इंसान सोचता है, ‘कहीं बारिश में भीगने से मै बीमार न हों जाँऊ और वह बीमार हो जाता है। इसलिए कहा गया है, ‘अशुभ विचारों से शुभ परिणामों की आशा नहीं की जा सकती।’ मन जगत का सुप्त बीज है, केवल संकल्प के द्वारा ही उसे जागृत किया जा सकता है। इसलिए पूजा-पाठ अथवा शुभ कार्यों में संकल्प का विशेष महत्व है। दृढ़निष्चयी मन का संकल्प बड़ा बलवान होता है। वह जिन विचारों में स्थिर हो जाता है, परिस्थितियां वैसी ही निर्मित होने लगती हैं। इस तरह आप देखेंगे कि आपका अवचेतन मन इच्छापूर्ति वृक्ष की तरह आपकी इच्छाओं को ईमानदारी से पूर्ण करता है। इसलिए आपको अपने मस्तिष्क में विचारों को सावधानी से प्रवेश करने की अनुमति देनी चाहिए।
अगर गलत विचार अंदर आ जाएगे तो गलत परिणाम मिलेंगे। विचारों पर काबू रखना ही अपने जीवन पर काबू करने का रहस्य है। हर विचार पहले मन में ही उत्पन्न होते हैं और मनुष्य अपने विचार के आधार पर ही कार्य- व्यवहार करता है। अनन्त शक्तियों का स्वामी ‘परमात्मा’ मन के रूप में मनुष्य के अन्दर विद्यमान है। मन और ब्रह्म, दो भिन्न सत्ता न होकर एक ही हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म ही मन का आकार धारण करता है, मन ही सम्पूर्ण जगत का रचयिता है। मन के अन्दर का संकल्प ही हमारे इर्द-गिर्द बाहरी दुनिया की परिस्थितियां उत्पन्न करता है। जो भी विषय वस्तु हम अपने अंतरमन में दृढ़ता के साथ रखते हैं अथवा जो हम हर वक्त सोचते हैं, वही अंदर का कल्पना चित्र, बाहर स्थूल रूप में प्रकट हो जाता है।
इंसान सोचता है, ‘कहीं बारिश में भीगने से मै बीमार न हों जाँऊ और वह बीमार हो जाता है। इसलिए कहा गया है, ‘अशुभ विचारों से शुभ परिणामों की आशा नहीं की जा सकती।’ मन जगत का सुप्त बीज है, केवल संकल्प के द्वारा ही उसे जागृत किया जा सकता है। इसलिए पूजा-पाठ अथवा शुभ कार्यों में संकल्प का विशेष महत्व है। दृढ़निष्चयी मन का संकल्प बड़ा बलवान होता है। वह जिन विचारों में स्थिर हो जाता है, परिस्थितियां वैसी ही निर्मित होने लगती हैं। इस तरह आप देखेंगे कि आपका अवचेतन मन इच्छापूर्ति वृक्ष की तरह आपकी इच्छाओं को ईमानदारी से पूर्ण करता है। इसलिए आपको अपने मस्तिष्क में विचारों को सावधानी से प्रवेश करने की अनुमति देनी चाहिए।
अगर गलत विचार अंदर आ जाएगे तो गलत परिणाम मिलेंगे। विचारों पर काबू रखना ही अपने जीवन पर काबू करने का रहस्य है। हर विचार पहले मन में ही उत्पन्न होते हैं और मनुष्य अपने विचार के आधार पर ही कार्य- व्यवहार करता है। अनन्त शक्तियों का स्वामी ‘परमात्मा’ मन के रूप में मनुष्य के अन्दर विद्यमान है। मन और ब्रह्म, दो भिन्न सत्ता न होकर एक ही हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म ही मन का आकार धारण करता है, मन ही सम्पूर्ण जगत का रचयिता है। मन के अन्दर का संकल्प ही हमारे इर्द-गिर्द बाहरी दुनिया की परिस्थितियां उत्पन्न करता है। जो भी विषय वस्तु हम अपने अंतरमन में दृढ़ता के साथ रखते हैं अथवा जो हम हर वक्त सोचते हैं, वही अंदर का कल्पना चित्र, बाहर स्थूल रूप में प्रकट हो जाता है।
You may also like
अमेठी: रोडवेज बस की टक्कर से बाइक सवार चार बहनों के इकलौते भाई की मौत
संगठन सृजन की बैठक में भाग लेने के लिए सुखदेव राजस्थान रवाना
श्याम मंदिर में भक्ति भाव से मनी पंपाकुशी एकादशी
भोपालः वन विहार में बच्चों ने किए विभिन्न प्रजातियों की रंग-बिरंगी तितलियों के दर्शन
मप्रः कमिश्नर-कलेक्टर कांफ्रेंस 7 और 8 अक्टूबर को, दिशा निर्देश जारी