नई दिल्ली: भारत की ओर से पाकिस्तान को पहले ही बता दिया गया था कि वह पहलगाम आतंकी हमले के दोषियों को सजा देगा और इसमें वह उसे सहयोग कर सकता था। भारत की नीति साफ थी कि न तो उसके निशाने पर पाकिस्तानी नागरिक ठिकानें हैं और न ही उसके सैन्य ठिकानें। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने वहीं किया, जिसका उसने संकल्प लिया था। लेकिन, असीम मुनीर की अगुवाई वाली पाकिस्तानी फौज से यहीं बहुत बड़ी बेवकूफी हो गई। उसने भारत के इरादे को समझते हुए भी भारतीय सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमला करके इसकी सशस्त्र सेना की शक्ति को चुनौती दे दी। फिर हमारी सेना ने जिस तरह से अपनी ताकत दिखाई, पाकिस्तान को जल्द ही पता चल गया कि उसका मुकाबला बराबर वालों से नहीं है। फिर वह सीजफायर के लिए तड़पना शुरू कर दिया। इस ऑपरेशन में भारत ने दुश्मन के अनेकों मिसाइलों और ड्रोन को मारकर राख बना दिया। भारत को अपनी सैन्य ताकत का असली अंदाजा इस वजह से लगा कि उसके कई स्वदेशी मारक हथियारों, सपोर्टिंग सिस्टम और टेक्नोलॉजी ने भी इस ऑपरेशन में बहुत शानदार काम किया है। ऑपरेशन सिंदूर में भारत को जो कामयाबी मिली है,उसका श्रेय वर्षों से अंतरिक्ष, विमान, मिसाइल और हथियार बनाने के क्षेत्र में इसकी मेहनत और दूरदृष्टि को भी जाता है। आधुनिक नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम ने किया कमाल7 मई की सुबह भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में नौ आतंकी ट्रेनिंग कैंपों पर हमला किया। भारतीय मिसाइलों ने एकदम सटीक निशाने लगाए। उन्होंने आतंकी इमारतों के अंदर के खास ठिकानों को ही टारगेट किया। आसपास की इमारतों को कोई नुकसान नहीं हुआ। इसी तरह, 10 मई की रात को, भारत ने पाकिस्तान के 11 एयर बेस पर हमला किया। वहां भी सटीक निशाना लगाया गया और इन्हें पूरी तरह से तबाह किया। अब यह भी बात सामने आ चुकी है कि इस हमले के लिए 15 ब्रह्मोस मिसाइल चलाई गईं। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह सटीकता इसलिए मुमकिन हो पाई, क्योंकि भारत ने बहुत ही आधुनिक नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया। इसमें जमीन और अंतरिक्ष दोनों की मदद ली गई। यह क्षमता DRDO, ISRO और अन्य संस्थानों में सालों तक किए गए रिसर्च का नतीजा है, जो ऑपरेशन सिंदूर की वजह से ही साबित हो सका है। भारतीय टेक्नोलॉजी पाकिस्तान की सोच से भी ऊपरभारत के स्वदेशी तकनीक की कामयाबी का सबसे बड़ा उदाहरण ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का अचूक निशाना है,जिसमें बहुत ही आधुनिक गाइडेंस सिस्टम लगा है। इसे वर्षों की मेहनत से विकसित किया गया है। भारत का अपना नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम NavIC (Navigation with Indian Constellation) भी है, जो बेहतरीन सैटेलाइट सिस्टम पर आधारित है और मौजूदा समय में बहुत ही कारगर साबित हो रहा है। इनके अलावा हमारे पास बहुत ही हाई-रिजॉल्यूशन वाले पृथ्वी निगरानी सैटेलाइट भी हैं। कार्टोसैट, RISAT और EOS सीरीज के सैटेलाइट भी हमारी सशस्त्र सेना की नई ताकत हैं। वे सेना के लिए जरूरी जानकारी और तस्वीरें भेजते हैं। इनमें से कुछ सैटेलाइट 25 से 30 सेंटीमीटर तक की छोटी चीजों को भी पहचान सकते हैं। NavIC सिस्टम 10 से 20 सेंटीमीटर तक की सटीक जानकारी दे सकता है। सटीक निशाने, भयंकर तबाही के पीछे वर्षों की मेहनतइन सब की वजह से, भारतीय हथियार एक मीटर से भी कम दूरी पर बिल्कुल सटीक निशाना लगा सकते हैं। ऑपरेशन सिंदूर में ऐसा ही देखने को मिला। जिन आतंकी ठिकानों और बाद में पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, वे पूरी तरह से तबाह हो गए। पाकिस्तान के एयर बेस की सैटेलाइट तस्वीरों में बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई दिए। इससे दुनिया को यह यकीन हो गया कि भारत ने पाकिस्तान को बहुत नुकसान पहुंचाया है। भारतीय हथियार न सिर्फ सटीक थे, बल्कि बहुत घातक भी थे। यह वजह है कि आज जो बातें भारतीय सशस्त्र सेना खुद नहीं कह रही है, वह पूरी दुनिया बता रही है कि पाकिस्तान किन परिस्थितियों में मैदान छोड़ने को मजबूर हुआ है। एयर डिफेंस के क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना भारत से बुरी तरह खा गई मातभारत के एयक डिफेंस सिस्टम में कई अलग-अलग रडार और हथियार सिस्टम शामिल हैं। ये सभी मिलकर काम करते हैं। इन्होंने पाकिस्तान के लगभग हर हमले को नाकाम कर दिया। इस्तेमाल किए गए रूसी एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के अलावा स्वदेशी रूप से विकसित राजेंद्र रडार, रोहिणी 3D मीडियम-रेंज सर्विलांस रडार, 3D लो-लेवल लाइटवेट रडार और लो-लेवल ट्रांसपोर्टेबल रडार (LLTR) भी शामिल थे। भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम में SAMAR (Surface to Air Missile for Assured Retaliation) सिस्टम भी शामिल है। यह कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों को 12 किलोमीटर तक की दूरी पर मार सकता है। इसके अलावा, आकाश शॉर्ट-टू-मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम भी अचूक निशाना लगाने में माहिर हैं। पाकिस्तान की अगली कई नस्लें जनरल मुनीर को कोसेंगीकई डिफेंस एक्सपर्ट का कहना है कि पुरानी बोफोर्स एंटी-एयरक्राफ्ट गन को भी अपग्रेड किया जा रहा है। इनका इस्तेमाल जम्मू और कश्मीर में ड्रोन को मार गिराने के लिए भी किया गया। इनको अपग्रेड करने में रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और ऑटो-ट्रैकिंग सिस्टम लगाए गए हैं। यह पहला भारत-पाकिस्तान संघर्ष था, जिसमें ड्रोन और अन्य मानव रहित (UAV) सिस्टम ने इतनी अहम भूमिका निभाई। भारतीय ड्रोन पाकिस्तान के अंदर तक घुस गए और लाहौर जैसे शहरों में रणनीतिक ठिकानों को नुकसान पहुंचाया। वहीं, तुर्की वाले पाकिस्तानी ड्रोन पूरी तरह से फेल हो गए। भविष्य के युद्ध में मानव रहित सिस्टम ही सबसे आगे होंगे और उसमें भारत से पाकिस्तान का अब कोई मुकाबला होता नहीं दिख रहा। कुल मिलाकर ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि भारत की रक्षा तकनीक कितनी मजबूत है और पाकिस्तान की वजह से भारत को इसका युद्ध के माहौल में और भी ज्यादा एहसास हो चुका है। अगर पाकिस्तान इस समय यह गलती नहीं करता तो शायद भारत को भी अपनी क्षमता का पता नहीं चल पाता, जिसे और बेहतर करने का भी उसके पास अच्छा रास्ता खुल गया है।
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