अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: पति की मौत के बाद पत्नी को कई दुखों को सहना पड़ता है। एक महिला के लिए तब और दिक्कते बढ़ जाती है, जब बच्चो के पालन पोषण करने और उन्हें पढाने की जिम्मेदारी उठाने के बीच आर्थिक संकट आ जाता है। ऐसा ही एक मामला सामने आ गया है। जब पति की मौत के बाद परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा। बच्चो को पढ़ाने से लेकर घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया था। उसके लिए उसे एक रेस्टोरेंट खोलना पड़ा और घर की जिम्मेदारी निभाने के लिए इस दौरान उसे जूठे बर्तन भी धोने पड़ गए। ये कहानी है दार्जिलिंग की निकिता राय की...
निकिता राय के जीवन में 31 अगस्त 2018 का दिन कभी न भूलने वाला दर्द छोड़ गया था। गोरखा रायफल्स में राइफलमैन रहे उनके पति प्रसन्ना राय ड्यूटी के लिए तैयार होकर निकल ही रहे थे कि लखनऊ स्थित सरकारी क्वार्टर की बालकनी से पैर फिसल गया था। गंभीर चोट लगने पर उन्हें कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 1 सितंबर को उनकी मौत हो गई। इस हादसे ने निकिता और उनके तीन छोटे बच्चों पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया था। वहीं नियमानुसार 25 लाख रुपये एक्स ग्रेशिया मुआवजा मिलना था, लेकिन पीसीडीए (पेंशन) प्रयागराज ने दो बार प्रस्ताव खारिज कर दिया था। निकिता ने चार साल तक अफसरों के चक्कर लगाए, लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई, तो मजबूरन आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल लखनऊ बेंच का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। उधर पति की मौत के बाद निकिता को बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च चलाने के लिए दार्जिलिंग में रेस्टोरेंट भी खोलना पड़ गया था। इस दौरान कभी-कभी ग्राहकों के जूठे बर्तन भी धोने पड़ते थे।
इलाज के लिए नहीं थे पैसेइसी बीच छोटे बेटे को पीलिया हो गया, जिसका इलाज कराने में काफी पैसे खर्च हुए और दो लाख रुपये का कर्ज भी हो गया था। वहीं लखनऊ में पैरवी के लिए आना-जाना भी आसान नहीं था। दार्जिलिंग से आने-जाने में चार दिन लगते थे और बच्चों को अकेला या ननिहाल छोड़ना पड़ता था। लेकिन इसी बीच एक ऐसा छड़ आया, जिससे पीड़िता को बड़ी राहत मिल गई।
5 लाख रुपये मुआवजान्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता और मेजर जनरल संजय सिंह की पीठ ने हादसे को सैन्य सेवा से संबंधित मानते हुए निकिता राय को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दे दिया। छह साल की लंबी लड़ाई के बाद मिले इस फैसले से निकिता को राहत जरूर मिली, लेकिन बीते वर्षों की मुश्किलें और संघर्ष उनकी आंखों को आज भी नम कर देते हैं।
निकिता राय के जीवन में 31 अगस्त 2018 का दिन कभी न भूलने वाला दर्द छोड़ गया था। गोरखा रायफल्स में राइफलमैन रहे उनके पति प्रसन्ना राय ड्यूटी के लिए तैयार होकर निकल ही रहे थे कि लखनऊ स्थित सरकारी क्वार्टर की बालकनी से पैर फिसल गया था। गंभीर चोट लगने पर उन्हें कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 1 सितंबर को उनकी मौत हो गई। इस हादसे ने निकिता और उनके तीन छोटे बच्चों पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया था। वहीं नियमानुसार 25 लाख रुपये एक्स ग्रेशिया मुआवजा मिलना था, लेकिन पीसीडीए (पेंशन) प्रयागराज ने दो बार प्रस्ताव खारिज कर दिया था। निकिता ने चार साल तक अफसरों के चक्कर लगाए, लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई, तो मजबूरन आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल लखनऊ बेंच का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। उधर पति की मौत के बाद निकिता को बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च चलाने के लिए दार्जिलिंग में रेस्टोरेंट भी खोलना पड़ गया था। इस दौरान कभी-कभी ग्राहकों के जूठे बर्तन भी धोने पड़ते थे।
इलाज के लिए नहीं थे पैसेइसी बीच छोटे बेटे को पीलिया हो गया, जिसका इलाज कराने में काफी पैसे खर्च हुए और दो लाख रुपये का कर्ज भी हो गया था। वहीं लखनऊ में पैरवी के लिए आना-जाना भी आसान नहीं था। दार्जिलिंग से आने-जाने में चार दिन लगते थे और बच्चों को अकेला या ननिहाल छोड़ना पड़ता था। लेकिन इसी बीच एक ऐसा छड़ आया, जिससे पीड़िता को बड़ी राहत मिल गई।
5 लाख रुपये मुआवजान्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता और मेजर जनरल संजय सिंह की पीठ ने हादसे को सैन्य सेवा से संबंधित मानते हुए निकिता राय को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दे दिया। छह साल की लंबी लड़ाई के बाद मिले इस फैसले से निकिता को राहत जरूर मिली, लेकिन बीते वर्षों की मुश्किलें और संघर्ष उनकी आंखों को आज भी नम कर देते हैं।