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Digital Arrest: 72 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर बैंककर्मी दंपती से ठग लिए 5050900 रुपये! 2 गिरफ्तार

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मुंबई: उत्तर विभाग साइबर पुलिस ने एक ऐसे साइबर ठग गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जो खुद को NIA अधिकारी बताकर सेवानिवृत बैंककर्मी दंपती को ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ केस में फंसाने की धमकी देकर उन्हें डिजिटल अरेस्ट करवा कर उनसे 50 लाख से अधिक रकम ठग ली। साइबर पुलिस के अनुसार, 9 अक्टूबर को एक सेवानिवृत्त बैंककर्मी ने शिकायत दी थी कि उन्हें 11 सितंबर से 24 सितंबर के बीच एक अज्ञात व्यक्ति ने वाट्सएप कॉल और विडियो कॉल के जरिए संपर्क किया।

उसने खुद को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताकर कहा कि वह और उनकी पत्नी ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ केस में शामिल हैं। इसके बाद उसने सरकारी मोहर और हस्ताक्षर वाले दस्तावेज, एफआईआर की कॉपी भेजा। इससे बैंककर्मी डर गया। ‌फिर, उनको NIA अधिकारी का फर्जी पहचान पत्र भेजकर गिरफ्तार करने की धमकी दी गई और लगातार तीन दिन तक कथित विडियो सर्विलांस (डिजिटल अरेस्ट) में रखा गया।

कथित NIA अधिकारी द्वारा उससे बैंकिंग समेत अन्य जानकारी लेने के बहाने बैंक खाते की गोपनीय जानकारी ले ली। इसके बाद केस से हटाने और जेल जाने से बचाने के नाम पर पीड़ित से आरोपियों ने ₹50,50,900 रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिया। बाद में जब उन्हें डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने पुलिस का रुख किया।

डीसीपी पुरुषत्तोम कराड ने बताया कि केस की जांच के दौरान उत्तर मुंबई सायबर पुलिस को इस गिरोह के दो सक्रिय सदस्यों की जानकारी मिली, जिन्हें तकनीकी मदद से गिरफ्तार किया गया। इन आरोपियों के नाम रवि आंबोरे (35) और विश्वपाल जाधव (37) हैं। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

पुलिस की मुंबईकरों से अपील
किसी भी सरकारी जांच एजेंसियां जैसे पुलिस, सीबीआई, एनआईए आदि द्वारा डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती हैं। डिजिटल अरेस्ट पूरी तरह फेक होता है। इस तरह के कॉल या मैसेज मिलने पर तुरंत साइबर पुलिस या 1930 हेल्पलाइन पर संपर्क करना चाहिए।
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