नई दिल्ली: एलजी वीके सक्सेना के हस्तक्षेप के बाद 'फूल वालों की सैर' को मंजूरी मिल गई है। इस साल फूल वालों की सैर का आयोजन नहीं होने का मामला सामने पर एलजी की पहल के बाद अब डीडीए ने इसके आयोजन के लिए अनुमति दे दी है। वहीं, एलजी ने अधिकारियों को इस प्रकार की लापरवाही और उदासीनता न बरतने की भी चेतावनी दी है। जब डीडीए ने अनुमति की जानकारी आयोजकों को दी, तो आयोजकों ने कहा कि अब त्योहार का आयोजन अगले वर्ष फरवरी-मार्च में किया जाएगा।
दरअसल, रिपोर्ट आई थी कि फूल वालों की सैर के आयोजन के लिए डीडीए से अनुमति नहीं मिलने की वजह से कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा है। इसके बाद एलजी ने तुरंत मामले की जांच कराने को कहा। जांच में पता चला कि कार्यक्रम को अनुमति इसलिए नहीं दी गई, क्योंकि 28 नवंबर 2023 को पर्यावरण और वन विभाग (जो उस समय 'आप' सरकार के अधीन था) ने इस क्षेत्र में ऐसे आयोजन पर रोक लगाने का निर्देश दिया था।
'फूल वालों की सैर'यह भी सामने आया कि डीडीए 2023 तक हर साल इस त्योहार के आयोजन की अनुमति देता आया है। 2024 में भी आप सरकार के आदेश के बावजूद 'फूल वालों की सैर'
के आयोजन में सहयोग किया था। लेकिन इस बार आयोजकों ने लिखित अनुमति देने पर जोर दिया, जो एलजी के हस्तक्षेप के बाद जारी कर दी गई। एलजी, दिल्ली की साझा संस्कृति से जुड़े इस सैकड़ों साल पुराने त्योहार को बढ़ावा देते रहे हैं। पिछले तीन सालों से खुद ख्वाजा बख्तियार काकी की दरगाह और माता योगमाया मंदिर जाते रहे हैं। उन्होंने इस ऐतिहासिक त्योहार को अनुमति न देने पर गंभीर आपत्ति जताई।
इस मामले को फिर समीक्षा के लिए रखाइसके बाद डीडीए ने यह मानते हुए कि 'फूल वालों की सैर' दिल्ली की विरासत और सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है, इस मामले को फिर समीक्षा के लिए रखा। विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे, इस शर्त के साथ अनुमति दी जाए। यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण और दिल्ली की सांस्कृतिक परंपरा दोनों को संतुलित करता है। कार्यक्रम को अनुमति दे देने के बाद भी एलजी ने इस मामले में लापरवाही दिखाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने दोहराया है कि कोई भी अधिकारी अगर सार्वजनिक हित के खिलाफ काम करता पाया गया, तो उसके खिलाफ तय सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, रिपोर्ट आई थी कि फूल वालों की सैर के आयोजन के लिए डीडीए से अनुमति नहीं मिलने की वजह से कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा है। इसके बाद एलजी ने तुरंत मामले की जांच कराने को कहा। जांच में पता चला कि कार्यक्रम को अनुमति इसलिए नहीं दी गई, क्योंकि 28 नवंबर 2023 को पर्यावरण और वन विभाग (जो उस समय 'आप' सरकार के अधीन था) ने इस क्षेत्र में ऐसे आयोजन पर रोक लगाने का निर्देश दिया था।
'फूल वालों की सैर'यह भी सामने आया कि डीडीए 2023 तक हर साल इस त्योहार के आयोजन की अनुमति देता आया है। 2024 में भी आप सरकार के आदेश के बावजूद 'फूल वालों की सैर'
के आयोजन में सहयोग किया था। लेकिन इस बार आयोजकों ने लिखित अनुमति देने पर जोर दिया, जो एलजी के हस्तक्षेप के बाद जारी कर दी गई। एलजी, दिल्ली की साझा संस्कृति से जुड़े इस सैकड़ों साल पुराने त्योहार को बढ़ावा देते रहे हैं। पिछले तीन सालों से खुद ख्वाजा बख्तियार काकी की दरगाह और माता योगमाया मंदिर जाते रहे हैं। उन्होंने इस ऐतिहासिक त्योहार को अनुमति न देने पर गंभीर आपत्ति जताई।
इस मामले को फिर समीक्षा के लिए रखाइसके बाद डीडीए ने यह मानते हुए कि 'फूल वालों की सैर' दिल्ली की विरासत और सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है, इस मामले को फिर समीक्षा के लिए रखा। विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे, इस शर्त के साथ अनुमति दी जाए। यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण और दिल्ली की सांस्कृतिक परंपरा दोनों को संतुलित करता है। कार्यक्रम को अनुमति दे देने के बाद भी एलजी ने इस मामले में लापरवाही दिखाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने दोहराया है कि कोई भी अधिकारी अगर सार्वजनिक हित के खिलाफ काम करता पाया गया, तो उसके खिलाफ तय सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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