खरगोन: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक शासकीय छात्रावास में एक छात्र की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि छात्रावास प्रबंधन ने झोलाछाप डॉक्टर से आदिवासी छात्र का इलाज करवाया था। जिसके बाद आदिवासी छात्र की मौत हो गई। कलेक्टर ने मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं।
मृतक के पिता ने लगाया गंभीर आरोप
दरअसल, खरगोन जिले के बलकवाड़ा स्थित शासकीय छात्रावास में आदिवासी युवक सुरेश रह रहा था वह कक्षा 11वीं का छात्र था। सुरेश के पिता मुकेश कौर ने बताया कि बुधवार दोपहर उससे फोन पर चर्चा हुई थी। वह बिल्कुल ठीक था। रात खाना खाने के बाद उसे बुखार व सर्दी खांसी की तकलीफ हुई तो छात्रावास प्रबंधन ने उसे झोला छाप डॉक्टर को दिखाया था। उसके इंजेक्शन लगाने के बाद सुरेश बेहोश हो गया था। फिर जिला अस्पताल ले जाने के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। मुकेश ने आरोप लगाया कि छात्रावास प्रबंधन ने सुरेश की तकलीफ के बारे में उन्हें सूचित नहीं किया।
कलेक्टर ने दिया जांच का निर्देश
खरगोन की जिला कलेक्टर भव्या मित्तल ने बताया कि 17 वर्षीय छात्र सुरेश की मृत्यु की आदिवासी विकास विभाग से आंतरिक जांच के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस इस मामले की मूल रूप से जांच कर रही है। उन्होंने बताया कि घटना के उपरांत बलकवाड़ा के सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास के वार्डन जितेंद्र मंडलोई को हटा दिया गया है, साथ ही कथित डॉक्टर का क्लीनिक सील कर उससे आवश्यक दस्तावेज मांगे गए हैं। सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास खरगोन इकबाल हुसैन आदिल ने बताया कि महेश्वर के विकासखंड शिक्षा अधिकारी मामले की जांच कर तीन दिन में प्रतिवेदन सौंपेंगे।
झोलाछाप डॉक्टर मौके से है फरार
उधर खरगोन के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एम एस सिसोदिया ने बताया कि कथित डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन नहीं पाया गया है। इस मामले में कसरावद के विकासखंड चिकित्सा अधिकारी, तहसीलदार और पुलिस के दल ने उसके क्लीनिक की जांच कर दवाइयां जब्त कर पंचनामा बनाया है। फिलहाल कथित झोला छाप डॉक्टर फरार बताया जा रहा है। बलकवाड़ा के थानेदार रितेश यादव ने बताया कि आदिवासी छात्र के शव का पोस्टमार्टम करवाने के उपरांत आज दोपहर अंतिम संस्कार कर दिया गया।
मृतक के पिता ने लगाया गंभीर आरोप
दरअसल, खरगोन जिले के बलकवाड़ा स्थित शासकीय छात्रावास में आदिवासी युवक सुरेश रह रहा था वह कक्षा 11वीं का छात्र था। सुरेश के पिता मुकेश कौर ने बताया कि बुधवार दोपहर उससे फोन पर चर्चा हुई थी। वह बिल्कुल ठीक था। रात खाना खाने के बाद उसे बुखार व सर्दी खांसी की तकलीफ हुई तो छात्रावास प्रबंधन ने उसे झोला छाप डॉक्टर को दिखाया था। उसके इंजेक्शन लगाने के बाद सुरेश बेहोश हो गया था। फिर जिला अस्पताल ले जाने के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। मुकेश ने आरोप लगाया कि छात्रावास प्रबंधन ने सुरेश की तकलीफ के बारे में उन्हें सूचित नहीं किया।
कलेक्टर ने दिया जांच का निर्देश
खरगोन की जिला कलेक्टर भव्या मित्तल ने बताया कि 17 वर्षीय छात्र सुरेश की मृत्यु की आदिवासी विकास विभाग से आंतरिक जांच के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस इस मामले की मूल रूप से जांच कर रही है। उन्होंने बताया कि घटना के उपरांत बलकवाड़ा के सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास के वार्डन जितेंद्र मंडलोई को हटा दिया गया है, साथ ही कथित डॉक्टर का क्लीनिक सील कर उससे आवश्यक दस्तावेज मांगे गए हैं। सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास खरगोन इकबाल हुसैन आदिल ने बताया कि महेश्वर के विकासखंड शिक्षा अधिकारी मामले की जांच कर तीन दिन में प्रतिवेदन सौंपेंगे।
झोलाछाप डॉक्टर मौके से है फरार
उधर खरगोन के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एम एस सिसोदिया ने बताया कि कथित डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन नहीं पाया गया है। इस मामले में कसरावद के विकासखंड चिकित्सा अधिकारी, तहसीलदार और पुलिस के दल ने उसके क्लीनिक की जांच कर दवाइयां जब्त कर पंचनामा बनाया है। फिलहाल कथित झोला छाप डॉक्टर फरार बताया जा रहा है। बलकवाड़ा के थानेदार रितेश यादव ने बताया कि आदिवासी छात्र के शव का पोस्टमार्टम करवाने के उपरांत आज दोपहर अंतिम संस्कार कर दिया गया।
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