नई दिल्ली: पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के झूठ पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारत ने साफतौर पर कहा है कि खैरात पर पलने वाले देश (पाकिस्तान) को भारत को नहीं सिखाना चाहिए। भारत ने जरदारी को झूठ फैलाने के लिए कड़ी फटकार भी लगाई है। दरअसल, पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने एक दिन पहले ही वैश्विक मंच से कहा था कि भारत पानी को हथियार बना रहा है।
दोहा में विश्व शिखर सम्मेलन में भारत के मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति की टिप्पणी पर भारत कड़ी आपत्ति जताता है। मंडाविया ने सिंधु जल संधि और कश्मीर पर जरदारी के बयान को भारत के खिलाफ गलत सूचना फैलाकर अंतरराष्ट्रीय मंच का दुरुपयोग करना करार दिया। मंडाविया ने कहा कि सिंधु जल संधि को पाकिस्तान ने आतंकवाद के जरिए कमजोर किया है।
पाकिस्तान आत्मचिंतन करेमंडाविया ने आगे कहा कि जहां तक भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का सवाल है तो पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। यह विशेष रूप से तब होता है, जब वह भारत के नागरिकों के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद के कृत्यों में लिप्त रहता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आत्मचिंतन करना चाहिए और विकास से जुड़ी अपनी गंभीर चुनौतियों का समाधान करना चाहिए, जिनकी वजह से वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगता रहता है।
जानिए क्या है सिंधु जल संधिबता दें कि सिंधु जल संधि (IWT) 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच साइन किया गया एक समझौता है। विश्व बैंक की मध्यस्थता में यह सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के उपयोग को नियंत्रित करता है। इसके अनुसार पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) को भारत को और पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) को पाकिस्तान को दिया गया है। यह बंटवारा अंग्रेजों ने 1947 में भारतीय उपमहाद्वीप के बंटवारे के दौरान किया था।
दोहा में विश्व शिखर सम्मेलन में भारत के मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति की टिप्पणी पर भारत कड़ी आपत्ति जताता है। मंडाविया ने सिंधु जल संधि और कश्मीर पर जरदारी के बयान को भारत के खिलाफ गलत सूचना फैलाकर अंतरराष्ट्रीय मंच का दुरुपयोग करना करार दिया। मंडाविया ने कहा कि सिंधु जल संधि को पाकिस्तान ने आतंकवाद के जरिए कमजोर किया है।
पाकिस्तान आत्मचिंतन करेमंडाविया ने आगे कहा कि जहां तक भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का सवाल है तो पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। यह विशेष रूप से तब होता है, जब वह भारत के नागरिकों के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद के कृत्यों में लिप्त रहता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आत्मचिंतन करना चाहिए और विकास से जुड़ी अपनी गंभीर चुनौतियों का समाधान करना चाहिए, जिनकी वजह से वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगता रहता है।
Delivering the National Statement at the Plenary Session of the Second World Summit for Social Development.
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) November 5, 2025
📍Doha, Qatar https://t.co/j9jCAl2HjE
जानिए क्या है सिंधु जल संधिबता दें कि सिंधु जल संधि (IWT) 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच साइन किया गया एक समझौता है। विश्व बैंक की मध्यस्थता में यह सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के उपयोग को नियंत्रित करता है। इसके अनुसार पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) को भारत को और पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) को पाकिस्तान को दिया गया है। यह बंटवारा अंग्रेजों ने 1947 में भारतीय उपमहाद्वीप के बंटवारे के दौरान किया था।
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