आर्किटेक्चर और अर्बन प्लानिंग में डिग्री
विशाल पचार का जन्म हरियाणा के हिसार जिले के गोरछी गांव के एक परिवार में हुआ। इस परिवार की कई पीढ़ियां खेती और मधुमक्खी पालन से जुड़ी थीं। बचपन से ही विशाल ने मिट्टी की महक और मधुमक्खियों की भिनभिनाहट के बीच जिंदगी गुजारी थी। हालांकि, उनका रास्ता अलग था। उन्होंने आर्किटेक्चर और अर्बन प्लानिंग की डिग्री हासिल की, जो उन्हें शहरी जीवन की ओर खींच रही थी। लेकिन, अपनी पढ़ाई के दौरान भी वह छुट्टी में अपने पिता की मदद करते थे। 15 साल के इस अनुभव ने उन्हें इमारतों के डिजाइन से ज्यादा मधुमक्खियों की दुनिया की ओर आकर्षित कर लिया।
आर्किटेक्ट से बीकीपर का सफर
कोरोना महामारी के दौरान विशाल को इस क्षेत्र में एक बड़ा अवसर दिखा। उन्होंने महसूस किया कि बाजार में केवल एक ही तरह का शहद उपलब्ध है, जबकि अलग-अलग फूलों से बनने वाले शहद का रंग, स्वाद और गुण अलग होते हैं। इसी कमी को दूर करने के लिए विशाल ने अपने पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक शिक्षा के साथ मिलाया। उन्होंने कुरुक्षेत्र के एकीकृत मधुमक्खी विकास केंद्र से प्रमाणित मधुमक्खी पालक (बीकीपर) का कोर्स किया। इस तरह आर्किटेक्ट बनने का सपना पीछे छूट गया और एक मधुमक्खी पालन उद्यमी के रूप में उनकी नई यात्रा शुरू हुई।
2023 में रखी कंपनी की नींव
अपने जुनून को व्यवसाय का रूप देने के लिए विशाल ने 2023 में 'जगदेव ऑर्गेनिक्स प्राइवेट लिमिटेड' की शुरुआत की। उन्होंने अपनी कंपनी को सिर्फ शहद बेचने तक सीमित नहीं रखा। इसके बजाय 12 से ज्यादा किस्मों के ऑर्गेनिक शहद, पराग कण (पॉलेन), मोम (बीवैक्स) और मोमबत्तियां बनाना शुरू किया। उन्होंने मधुमक्खी पालकों को बेहतर तकनीकें सिखाईं और उनकी उपज को बाजार तक पहुंचाने में मदद की। विशाल ने 500 से ज्यादा किसानों और मधुमक्खी पालकों को अपने साथ जोड़ा। इससे उनकी भी आय बढ़ी। यह एक ऐसा मॉडल था जो सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के लिए फायदेमंद साबित हुआ।
रॉकेट की रफ्तार से बढ़ा रेवेन्यू
यह संघर्ष और इनोवेशन का ही परिणाम था कि 2023-24 में 12.97 लाख रुपये से उनकी कंपनी का रेवेन्यू 2024-25 में बढ़कर 1.15 करोड़ रुपये हो गया। विशाल को अपनी इस पहल के लिए 'राष्ट्रीय कृषि विकास योजना' के तहत 22 लाख रुपये का पुरस्कार भी मिला। आज 'जगदेव ऑर्गेनिक्स' के उत्पाद पूरे भारत में बेचे जाते हैं और दुबई जैसे देशों में भी निर्यात होते हैं। विशाल पचार की कहानी दिखाती है कि अपनी जड़ों से जुड़कर और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक सोच के साथ मिलाकर कोई भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
You may also like
Video: वाह क्या आइडिया है.. कुम्हार ने वॉशिंग मशीन को बदल दिया चाक में.. बनाए मिट्टी के दीये, वीडियो वायरल
माफिया अतीक के बेटे अली को सिफ्ट किया गया झांसी जेल
Shutdown In America : अमेरिका में शटडाउन, सीनेट से अस्थायी फंडिंग बिल को पास कराने में विफल रहे डोनाल्ड ट्रंप
Entertainment News- बॉलीवुड सिंगर बादशाह ने खरीदी 12.45 करोड़ की कार, जानिए कार की विशेषताएं
Health Tips- शरीर में विटामिन बी12 की कमी दूर करनी है, तो इन चीजों का करें सेवन