पटना: बिहार की राजनीति में महिला वोटरों के बढ़ते ग्राफ के साथ राज्य की सत्ता की बागडोर की बात करें तो यह राज्य के सीएम नीतीश कुमार वाली सरकार के साथ जाता रहा। वर्ष 2015 विधानसभा चुनाव की बात करें तो महिलाओं का वोट अब तक का सबसे ज्यादा रहा और सरकार महागठबंधन की बनी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहे। महिलाओं के वोट प्रतिशत की बढ़ोतरी में नीतीश कुमार की रणनीति काम आई। इसे समझने के लिए नीतीश कुमार की उन योजनाओं के बारे में जानना होगा जो परीक्षा या अपरोक्ष रूप से महिला जीवन के उत्थान से जुड़ता रहा। जानते हैं उन योजनाओं को, पर उससे पहले जान लेते हैं कि कब से वोट के प्रति महिला में जागरूकता आई।
विधानसभा और महिलाएं
महिलाओं के बढ़ते वोट प्रतिशत की कहानी वर्ष 2005(फरवरी) से समझ सकते हैं। वर्ष 2005(फरवरी) के विधानसभा चुनाव में पुरुषों में 50 प्रतिशत मतदान किया था और महिलाओं ने 43 प्रतिशत। नीतीश कुमार के पांच वर्षों की सत्ता शासन के बाद वर्ष , 2010 में विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं ने 3.4 प्रतिशत ज्यादा वोट किया। वर्ष 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले 7.2 प्रतिशत ज्यादा मतदान किया। वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में पुरुषों की अपेक्षा 5 प्रतिशत महिलाओं से ज्यादा वोट किया। वर्ष 2025 के चुनाव में अनुमान है कि महिलाओं का वोट प्रतिशत ज्यादा हो सकता है। वर्ष 2024 में महिलाओं के वोट में लगभग 15 लाख वोटों का इजाफा हुआ।
महिलाओं के बढ़ते वोट प्रतिशत
वर्ष 2025 के विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं के वोट प्रतिशत बढ़ने के आधार के कई कारण है। एक एक कर उन कारणों और उसके प्रभाव की समीक्षा करते हैं। महिलाओं के सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को ध्यान में रखकर एन डी ए की सरकार ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की शुरुआत कर डाली है। इसका मकसद महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना और उन्हें खुद का रोजगार शुरू करने के लिए प्रेरित करना है।इस योजना के तहत राज्य की लगभग 1 करोड़ 30 लाख महिलाओं को 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी गई है। इस 10 हजार की राशि पर न तो सूद लगेगा और न ही लौटानी है। अब इसके बाद रोजगार को बड़ा रूप देना है तो कम सूद पर दो लाख तक का ऋण मिलना है। इस 10 हजार रुपए की आर्थिक मदद ने एन डी ए सरकार के समर्थन में महिलाओं की बड़ी फौज खड़ी कर डाली है।
जीविका दीदियों का मानदेय बढ़ा
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीविका दीदियों का मानदेय दो गुना बढ़ा दिया। अब इन्हें 7500 के बदले 15 हजार मिलेंगे। साथ ही अब जीविका दीदियों को तीन लाख से ऊपर के ऋण लेने पर 10 प्रतिशत की जगह 7 प्रतिशत पर ऋण मिलेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में आशा एवं ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ा कर एक बड़े वर्ग को जोड़ा। अब आशा कार्यकर्ताओं को 1 हजार की जगह 3 हजार रुपये मानदेय मिलेगा। वहीं ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव 300 की जगह 600 प्रदान किए जाएंगे।
नौकरी में आरक्षण
वर्ष 2025 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिर्फ बिहार की महिलाओं को ही 35 प्रतिशत का आरक्षण देने की घोषणा की। अब 35 प्रतिशत आरक्षण के लिए महिला अभ्यर्थी को बिहार का मूल्य निवासी होना अनिवार्य है। नीतीश कुमार ने हाल में तीन निर्णय कर एक बड़े वर्ग को प्रभाव में लेने का काम किया है। जीविका ,आशा और ममता एक तरह से सरकार किए जनता के बीच उनका दूत बन कर काम करती हैं। योजनाओं के बारे ने जानकारी देती है और उसका लाभ भी दिलाती हैं। हालांकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी जीविका दीदियों को सरकारी कर्मचारी बनाने की घोषणा करते 30 हजार रुपए वेतन देने की घोषणा की है। संविदा कर्मियों को भी सरकारी नौकरी देने की घोषणा की हैं ।हर घर एक सरकारी नौकरी का भी वादा किया है। पर ये सारे वादों को अभी लिटमस टेस्ट से गुजरना है। पहले सरकार में आयेंगे तब वादा पूरा होगा। लेकिन वर्तमान की सरकार की सारी घोषणाओं का लाभ ले रहे हैं। इस कारण नीतीश सरकार पर महिलाओं के विश्वास की लकीर गहरी है।
सुरक्षा का बोध
यह सच है कि अपराध का ग्राफ एन डी ए सरकार में हाल के दिनों बढ़ा है। पर ये सब टारगेटेड क्राइम के अंदर आते हैं। पर अभी वो वातावरण तो नहीं है कि महिलाएं शाम के बाद नहीं निकलती हैं। मॉल,सिनेमा या बाजार करने को महिलाएं निकलती हैं और सुरक्षित भी घर पहुंचती हैं। कुछ मामले आते हैं पर पहले जिस तरह से अपहरण के किस्से या छिन झपट के किस्से आते थे वैसी घटनाओं में जो कमी आई है उस से भी महिलाओं का विश्वास नीतीश कुमार की सरकार पर बढ़ा है। महिलाओं का नीतीश सरकार पर विश्वास एक एक नहीं बड़े। इसके आधार में कई योजनाओं का योगदान रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2006-07 में छात्र-छात्राओं के लिए पोशाक योजना की शुरुआत की। वहीं, वर्ष 2008 में 9वीं वर्ग की छात्राओं के लिए साइकिल योजना शुरू की गयी। इसके बाद राज्यों ने भी साइकिल योजना को अपनाया। बाद में वर्ष 2010 से साइकिल योजना का लाभ लड़कों को भी दिया जाने लगा।
शराबबंदी का कानून
राज्य की आधी आबादी पर सबसे बड़ा प्रभाव शराबबंदी का पड़ा।अप्रैल 2016 से शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया, जिसमें इसका निर्माण, बिक्री, भंडारण पर रोक था।इसके बाद घरेलू हिंसा में कमी आई पुरुषों द्वारा शराब पर अपनी कमाई का दुरुपयोग पर भी लगाम लगा। साल 2006 से पंचायती राज संस्थानों एवं साल 2007 से नगर निकायों के चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था कर महिलाओं के एक बड़े वर्ग पर प्रभाव डाला। इसकी फसल नीतीश कुमार आज भी वोट की शक्ल में काट रहे हैं। बिहार के बाद कई राज्य सरकारों ने भी अपने यहां पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देना शुरू किया।
विधानसभा और महिलाएं
महिलाओं के बढ़ते वोट प्रतिशत की कहानी वर्ष 2005(फरवरी) से समझ सकते हैं। वर्ष 2005(फरवरी) के विधानसभा चुनाव में पुरुषों में 50 प्रतिशत मतदान किया था और महिलाओं ने 43 प्रतिशत। नीतीश कुमार के पांच वर्षों की सत्ता शासन के बाद वर्ष , 2010 में विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं ने 3.4 प्रतिशत ज्यादा वोट किया। वर्ष 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले 7.2 प्रतिशत ज्यादा मतदान किया। वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में पुरुषों की अपेक्षा 5 प्रतिशत महिलाओं से ज्यादा वोट किया। वर्ष 2025 के चुनाव में अनुमान है कि महिलाओं का वोट प्रतिशत ज्यादा हो सकता है। वर्ष 2024 में महिलाओं के वोट में लगभग 15 लाख वोटों का इजाफा हुआ।
महिलाओं के बढ़ते वोट प्रतिशत
वर्ष 2025 के विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं के वोट प्रतिशत बढ़ने के आधार के कई कारण है। एक एक कर उन कारणों और उसके प्रभाव की समीक्षा करते हैं। महिलाओं के सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को ध्यान में रखकर एन डी ए की सरकार ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की शुरुआत कर डाली है। इसका मकसद महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना और उन्हें खुद का रोजगार शुरू करने के लिए प्रेरित करना है।इस योजना के तहत राज्य की लगभग 1 करोड़ 30 लाख महिलाओं को 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी गई है। इस 10 हजार की राशि पर न तो सूद लगेगा और न ही लौटानी है। अब इसके बाद रोजगार को बड़ा रूप देना है तो कम सूद पर दो लाख तक का ऋण मिलना है। इस 10 हजार रुपए की आर्थिक मदद ने एन डी ए सरकार के समर्थन में महिलाओं की बड़ी फौज खड़ी कर डाली है।
जीविका दीदियों का मानदेय बढ़ा
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीविका दीदियों का मानदेय दो गुना बढ़ा दिया। अब इन्हें 7500 के बदले 15 हजार मिलेंगे। साथ ही अब जीविका दीदियों को तीन लाख से ऊपर के ऋण लेने पर 10 प्रतिशत की जगह 7 प्रतिशत पर ऋण मिलेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में आशा एवं ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ा कर एक बड़े वर्ग को जोड़ा। अब आशा कार्यकर्ताओं को 1 हजार की जगह 3 हजार रुपये मानदेय मिलेगा। वहीं ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव 300 की जगह 600 प्रदान किए जाएंगे।
नौकरी में आरक्षण
वर्ष 2025 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिर्फ बिहार की महिलाओं को ही 35 प्रतिशत का आरक्षण देने की घोषणा की। अब 35 प्रतिशत आरक्षण के लिए महिला अभ्यर्थी को बिहार का मूल्य निवासी होना अनिवार्य है। नीतीश कुमार ने हाल में तीन निर्णय कर एक बड़े वर्ग को प्रभाव में लेने का काम किया है। जीविका ,आशा और ममता एक तरह से सरकार किए जनता के बीच उनका दूत बन कर काम करती हैं। योजनाओं के बारे ने जानकारी देती है और उसका लाभ भी दिलाती हैं। हालांकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी जीविका दीदियों को सरकारी कर्मचारी बनाने की घोषणा करते 30 हजार रुपए वेतन देने की घोषणा की है। संविदा कर्मियों को भी सरकारी नौकरी देने की घोषणा की हैं ।हर घर एक सरकारी नौकरी का भी वादा किया है। पर ये सारे वादों को अभी लिटमस टेस्ट से गुजरना है। पहले सरकार में आयेंगे तब वादा पूरा होगा। लेकिन वर्तमान की सरकार की सारी घोषणाओं का लाभ ले रहे हैं। इस कारण नीतीश सरकार पर महिलाओं के विश्वास की लकीर गहरी है।
सुरक्षा का बोध
यह सच है कि अपराध का ग्राफ एन डी ए सरकार में हाल के दिनों बढ़ा है। पर ये सब टारगेटेड क्राइम के अंदर आते हैं। पर अभी वो वातावरण तो नहीं है कि महिलाएं शाम के बाद नहीं निकलती हैं। मॉल,सिनेमा या बाजार करने को महिलाएं निकलती हैं और सुरक्षित भी घर पहुंचती हैं। कुछ मामले आते हैं पर पहले जिस तरह से अपहरण के किस्से या छिन झपट के किस्से आते थे वैसी घटनाओं में जो कमी आई है उस से भी महिलाओं का विश्वास नीतीश कुमार की सरकार पर बढ़ा है। महिलाओं का नीतीश सरकार पर विश्वास एक एक नहीं बड़े। इसके आधार में कई योजनाओं का योगदान रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2006-07 में छात्र-छात्राओं के लिए पोशाक योजना की शुरुआत की। वहीं, वर्ष 2008 में 9वीं वर्ग की छात्राओं के लिए साइकिल योजना शुरू की गयी। इसके बाद राज्यों ने भी साइकिल योजना को अपनाया। बाद में वर्ष 2010 से साइकिल योजना का लाभ लड़कों को भी दिया जाने लगा।
शराबबंदी का कानून
राज्य की आधी आबादी पर सबसे बड़ा प्रभाव शराबबंदी का पड़ा।अप्रैल 2016 से शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया, जिसमें इसका निर्माण, बिक्री, भंडारण पर रोक था।इसके बाद घरेलू हिंसा में कमी आई पुरुषों द्वारा शराब पर अपनी कमाई का दुरुपयोग पर भी लगाम लगा। साल 2006 से पंचायती राज संस्थानों एवं साल 2007 से नगर निकायों के चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था कर महिलाओं के एक बड़े वर्ग पर प्रभाव डाला। इसकी फसल नीतीश कुमार आज भी वोट की शक्ल में काट रहे हैं। बिहार के बाद कई राज्य सरकारों ने भी अपने यहां पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देना शुरू किया।
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