ग्रह अच्छा फल देने के तत्पर है, अवसर सामने होते हैं, पर भीतर की आदतें व्यक्ति का रास्ता रोक लेती हैं। ऐसे में जब कोई दूसरा व्यक्ति, चाहे वह ज्योतिषी हो, मित्र हो या गुरु, किसी व्यक्ति की कमी बताता है, तो उसे बुरा लग जाता है। मानव स्वभाव ही ऐसा है कि अपनी बुराई सुनना सबसे कठिन परीक्षा होती है।
भविष्यवाणी के रूप में सत्य कहना आसान नहीं होता और सत्य सुनना तो उससे भी कठिन है। ज्योतिषी और जातक की प्रगति के लिए सत्य कथन एवं श्रवण दोनों आवश्यक हैं, इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि प्रत्येक ज्योतिषी सत्य कहने की कला सीखें और इस प्रकार कहें कि सामने वाले जातक को बुरा भी न लगे और उसके भीतर परिवर्तन होना भी आरम्भ हो जाए। भीतर का परिवर्तन और ज्योतिषी के बताए अनिष्ट ग्रहदशा शमन के उपाय जीवन में चमत्कारिक लाभ प्रस्तुत करते हैं। अक्सर भविष्यवाणी संकेेत के रूप में दी जाती है, क्योंकि संकेत में कहा गया सत्य सबसे गहरा असर करता है। प्राचीन ऋषियों ने उपदेश देने के बजाय कथाओं और दृष्टांतों के माध्यम से सत्य कहा। उन्होंने सीधे नहीं कहा कि ‘तुममें यह दोष है’ बल्कि किसी पात्र के माध्यम से वही बात कही। जब व्यक्ति स्वयं को उस कथा में देखने लगता है, तो उसका अहंकार आहत नहीं होता और मन धीरे-धीरे बदलने लगता है। मन बदलते ही सब कुछ बदलने लगता है। व्यक्ति की आदतें उसके ग्रहों की ऊर्जा को सक्रिय या निष्क्रिय करती हैं। जैसे, ‘जब शनि सब्र सिखा रहा हो और व्यक्ति जल्दबाज़ी करे, तो भाग्य का द्वार खुलता नहीं है।’
भविष्यवाणी रूपी सत्य कहने का भी समय होता है - जब व्यक्ति क्रोध या हताशा में हो, उस समय दिया गया सत्य विष बन जाता है, पर जब मन शांत हो, स्नेह और करुणा से कहा जाए, तो वही सत्य अमृत बन जाता है। सत्य कथन का उद्देश्य चोट पहुँचाना न होकर चैतन्य करना है। जिस प्रकार चिकित्सक घाव पर दवा रखता है, पर उसके हाथ कोमल होते हैं, वैसे ही भविष्यवाणी रूपी सत्य बोलने वाले ज्योतिषी के शब्द भी कठोर नहीं, करुणामय होने चाहिए।
भविष्यवाणी के रूप में सत्य कहना आसान नहीं होता और सत्य सुनना तो उससे भी कठिन है। ज्योतिषी और जातक की प्रगति के लिए सत्य कथन एवं श्रवण दोनों आवश्यक हैं, इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि प्रत्येक ज्योतिषी सत्य कहने की कला सीखें और इस प्रकार कहें कि सामने वाले जातक को बुरा भी न लगे और उसके भीतर परिवर्तन होना भी आरम्भ हो जाए। भीतर का परिवर्तन और ज्योतिषी के बताए अनिष्ट ग्रहदशा शमन के उपाय जीवन में चमत्कारिक लाभ प्रस्तुत करते हैं। अक्सर भविष्यवाणी संकेेत के रूप में दी जाती है, क्योंकि संकेत में कहा गया सत्य सबसे गहरा असर करता है। प्राचीन ऋषियों ने उपदेश देने के बजाय कथाओं और दृष्टांतों के माध्यम से सत्य कहा। उन्होंने सीधे नहीं कहा कि ‘तुममें यह दोष है’ बल्कि किसी पात्र के माध्यम से वही बात कही। जब व्यक्ति स्वयं को उस कथा में देखने लगता है, तो उसका अहंकार आहत नहीं होता और मन धीरे-धीरे बदलने लगता है। मन बदलते ही सब कुछ बदलने लगता है। व्यक्ति की आदतें उसके ग्रहों की ऊर्जा को सक्रिय या निष्क्रिय करती हैं। जैसे, ‘जब शनि सब्र सिखा रहा हो और व्यक्ति जल्दबाज़ी करे, तो भाग्य का द्वार खुलता नहीं है।’
भविष्यवाणी रूपी सत्य कहने का भी समय होता है - जब व्यक्ति क्रोध या हताशा में हो, उस समय दिया गया सत्य विष बन जाता है, पर जब मन शांत हो, स्नेह और करुणा से कहा जाए, तो वही सत्य अमृत बन जाता है। सत्य कथन का उद्देश्य चोट पहुँचाना न होकर चैतन्य करना है। जिस प्रकार चिकित्सक घाव पर दवा रखता है, पर उसके हाथ कोमल होते हैं, वैसे ही भविष्यवाणी रूपी सत्य बोलने वाले ज्योतिषी के शब्द भी कठोर नहीं, करुणामय होने चाहिए।
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