अयोध्या: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों दीया-मोमबत्ती विवाद खासा गहराया हुआ है। इस विवाद ने प्रदेश की राजनीति को एक नया मोड़ दे दिया है। अखिलेश यादव ने पहले क्रिसमस से सीख लेते हुए दीया-मोमबत्ती की जगह बिजली के बल्ब की रोशनी पर जोर दिया। उन्होंने समाजवादी पार्टी सरकार बनने पर रोशनी की भरपूर व्यवस्था किए जाने का दावा किया। वहीं, विवाद गहराने के बाद करोड़ों रुपये के दीये खरीदने का दावा करते दिखे। वहीं, सपा के ही सीनियर नेता आजम खान ने भी दीपावली पर बड़ा बयान दिया। इन बयानों के बीच अयोध्या में श्रद्धालुओं का पहुंचना जारी रहा। दीपावली पर इतने श्रद्धालु उमड़े कि कारोबारियों ने तीन माह का व्यापार पांच दिनों में ही कर लिया। करीब 5 करोड़ का कारोबार किया।
दीपोत्सव पर रचा गया इतिहासप्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या ने इस बार दीपोत्सव पर इतिहास रच दिया। भक्ति और भव्यता के इस आयोजन में न सिर्फ विश्व कीर्तिमान बना बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी नई जान फूंक दी। 16 से 22 अक्टूबर तक चले दीपोत्सव और उसके बाद के पांच दिनों में 8 लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे, जिससे शहर की चहल-पहल और कारोबार दोनों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
दीपोत्सव के दौरान सरयू तट से लेकर राम की पैड़ी तक श्रद्धा का सागर उमड़ा रहा। हर शाम लाखों दीयों से सजी अयोध्या की तस्वीरों ने विश्वभर में पहचान बनाई। पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन के अनुसार, इस आयोजन से न केवल धार्मिक उत्साह बढ़ा बल्कि स्थानीय व्यापारियों, होटल मालिकों और छोटे विक्रेताओं की आय में भी भारी इजाफा हुआ।
श्रद्धालुओं का दिखा सैलाब16 से 22 अक्टूबर के बीच प्रतिदिन सवा लाख से डेढ़ लाख श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे। दीपोत्सव वाले दिन और उसके बाद लगातार तीन दिन की छुट्टियों के कारण भक्तों की भीड़ और बढ़ गई। रामलला के दर्शन के साथ लोग राम की पैड़ी, सरयू घाट और नव्य अयोध्या की लाइटिंग देखने पहुंचे, जिससे पूरे नगर में उत्सव का माहौल बना रहा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 18 से 22 अक्टूबर तक दीपोत्सव की धूम अयोध्या में रही। 18 अक्टूबर को 85,430 श्रद्धालु रामलला के धाम पहुंचे। वहीं, 19 अक्टूबर को 90,765, 20 अक्टूबर को 1,17,698, 21 अक्टूबर को 1,05,430 और 22 अक्टूबर को 1,14,232 दर्शनार्थी रामलला के धाम में आए।
व्यापारियों की बल्ले-बल्लेदीपोत्सव के दौरान अयोध्या में 90 फीसदी होटल, धर्मशालाएं और रेस्टोरेंट पूरी तरह बुक रहे। भक्तों की बढ़ती संख्या का फायदा स्थानीय व्यापारियों को खूब मिला। फूल-माला विक्रेताओं, राम दरबार की तस्वीरों, पूजन सामग्री, जलपान और प्रसाद बेचने वालों की बिक्री सामान्य दिनों की तुलना में तीन गुना तक बढ़ गई।
व्यापारी नेता पंकज गुप्ता का कहना है कि दीपोत्सव ने अयोध्या के छोटे-बड़े सभी कारोबारियों को लाभ पहुंचाया है। स्थानीय दुकानदारों की बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर रही है।
अर्थशास्त्रियों ने किया सर्वेफैजाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रोफेसर विनोद श्रीवास्तव की टीम ने दीपोत्सव के दौरान अयोध्या की अर्थव्यवस्था पर अध्ययन किया।
उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, 16 से 22 अक्टूबर के बीच दीपोत्सव से अयोध्या की स्थानीय अर्थव्यवस्था में लगभग 5 करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष आर्थिक प्रवाह हुआ। इसमें होटल, परिवहन, भोजनालय, प्रसाद सामग्री, धार्मिक वस्तुएं और स्मारिका बिक्री का योगदान रहा।
राजनीतिक विवाद बेअसरअयोध्या में राजनीतिक विवाद बेअसर दिखा। भले ही अखिलेश यादव से लेकर आजम खान तक दीपावली पर बयान देते दिखे, लेकिन लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। आजम खान ने यहां तक कह दिया कि जो दीये जला सकते हैं, वे कुछ भी जला सकते हैं। इन बयानों के बाद भी लोगों का रुझान प्रभु राम की नगरी तरफ कम नहीं हुआ। दीपोत्सव पर भारी भीड़ उमड़ी। योगी सरकार की व्यवस्थाओं की सराहना हुई। साथ ही, रामनगरी की अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिली है।
दीपोत्सव पर रचा गया इतिहासप्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या ने इस बार दीपोत्सव पर इतिहास रच दिया। भक्ति और भव्यता के इस आयोजन में न सिर्फ विश्व कीर्तिमान बना बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी नई जान फूंक दी। 16 से 22 अक्टूबर तक चले दीपोत्सव और उसके बाद के पांच दिनों में 8 लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे, जिससे शहर की चहल-पहल और कारोबार दोनों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
दीपोत्सव के दौरान सरयू तट से लेकर राम की पैड़ी तक श्रद्धा का सागर उमड़ा रहा। हर शाम लाखों दीयों से सजी अयोध्या की तस्वीरों ने विश्वभर में पहचान बनाई। पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन के अनुसार, इस आयोजन से न केवल धार्मिक उत्साह बढ़ा बल्कि स्थानीय व्यापारियों, होटल मालिकों और छोटे विक्रेताओं की आय में भी भारी इजाफा हुआ।
श्रद्धालुओं का दिखा सैलाब16 से 22 अक्टूबर के बीच प्रतिदिन सवा लाख से डेढ़ लाख श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे। दीपोत्सव वाले दिन और उसके बाद लगातार तीन दिन की छुट्टियों के कारण भक्तों की भीड़ और बढ़ गई। रामलला के दर्शन के साथ लोग राम की पैड़ी, सरयू घाट और नव्य अयोध्या की लाइटिंग देखने पहुंचे, जिससे पूरे नगर में उत्सव का माहौल बना रहा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 18 से 22 अक्टूबर तक दीपोत्सव की धूम अयोध्या में रही। 18 अक्टूबर को 85,430 श्रद्धालु रामलला के धाम पहुंचे। वहीं, 19 अक्टूबर को 90,765, 20 अक्टूबर को 1,17,698, 21 अक्टूबर को 1,05,430 और 22 अक्टूबर को 1,14,232 दर्शनार्थी रामलला के धाम में आए।
व्यापारियों की बल्ले-बल्लेदीपोत्सव के दौरान अयोध्या में 90 फीसदी होटल, धर्मशालाएं और रेस्टोरेंट पूरी तरह बुक रहे। भक्तों की बढ़ती संख्या का फायदा स्थानीय व्यापारियों को खूब मिला। फूल-माला विक्रेताओं, राम दरबार की तस्वीरों, पूजन सामग्री, जलपान और प्रसाद बेचने वालों की बिक्री सामान्य दिनों की तुलना में तीन गुना तक बढ़ गई।
व्यापारी नेता पंकज गुप्ता का कहना है कि दीपोत्सव ने अयोध्या के छोटे-बड़े सभी कारोबारियों को लाभ पहुंचाया है। स्थानीय दुकानदारों की बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर रही है।
अर्थशास्त्रियों ने किया सर्वेफैजाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रोफेसर विनोद श्रीवास्तव की टीम ने दीपोत्सव के दौरान अयोध्या की अर्थव्यवस्था पर अध्ययन किया।
उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, 16 से 22 अक्टूबर के बीच दीपोत्सव से अयोध्या की स्थानीय अर्थव्यवस्था में लगभग 5 करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष आर्थिक प्रवाह हुआ। इसमें होटल, परिवहन, भोजनालय, प्रसाद सामग्री, धार्मिक वस्तुएं और स्मारिका बिक्री का योगदान रहा।
राजनीतिक विवाद बेअसरअयोध्या में राजनीतिक विवाद बेअसर दिखा। भले ही अखिलेश यादव से लेकर आजम खान तक दीपावली पर बयान देते दिखे, लेकिन लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। आजम खान ने यहां तक कह दिया कि जो दीये जला सकते हैं, वे कुछ भी जला सकते हैं। इन बयानों के बाद भी लोगों का रुझान प्रभु राम की नगरी तरफ कम नहीं हुआ। दीपोत्सव पर भारी भीड़ उमड़ी। योगी सरकार की व्यवस्थाओं की सराहना हुई। साथ ही, रामनगरी की अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिली है।
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