क्या है ग्रह की अतिचारी चाल - जब कोई ग्रह अपनी असामान्य गति से एक राशि को अति अल्प समय में पार कर अगली राशि में प्रवेश करे और फिर वक्र गति से पुनः पिछली राशि में लौटे और फिर मार्गी होकर पुनः अगली राशि में चला जाए, ऐसी ग्रह की चाल अतिचारी कहलाती है। अतिचारी बृहस्पति - सामान्य रूप से गुरु ग्रह यानी बृहस्पति ग्रह एक राशि में लगभग एक वर्ष यानी 12 से 13 महीने भ्रमण करता है, इस प्रकार बृहस्पति ग्रह लगभग बारह वर्ष की यात्रा में बारह राशियों का भ्रमण पूर्ण करता है। वर्ष 2025 में 14 मई 2025 तक देवगुरु बृहस्पति वृष राशि में रहेंगे। प्रसिद्ध पंचांगों के अनुसार रात्रि 10 बजकर 33 मिनट पर बृहस्पति ग्रह वृष राशि को छोड़कर मिथुन में प्रवेश करेंगे। सामान्य नियम से बृहस्पति को लगभग एक वर्ष मिथुन राशि में गोचर करना चाहिए और उसके बाद कर्क राशि में प्रवेश करना चाहिए, लेकिन बृहस्पति की शीघ्र गति के कारण लगभग पांच महीने अल्पसमय में ही 18 अक्टूबर 2025 को बृहस्पति कर्क राशि में रात्रि 7 बजकर 46 मिनट पर प्रवेश कर जाऐंगे। कुछ समय पश्चात् 11 नवंबर को बृहस्पति अपनी वक्री अवस्था में भ्रमण करते हुए 5 दिसंबर 2025 को पुनः मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे।11 मार्च 2026 तक गुरु वक्री रहेंगे, जून 2026 में गुरु कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। क्या होगा अतिचारी बृहस्पति का फल - फलित मर्मज्ञों के अनुसार कोई भी ग्रह जब अतिचारी होता है, तो उस ग्रह का विशेष प्रभाव प्रकृति, मानव, जड़-चेतन सभी वस्तुओं पर पड़ता है। गुरु ज्ञान देता है, ज्ञान देने वाला देवगुरु बृहस्पति जब अतिचारी हो जाए तो यह स्थिति वैश्विक असंतोष, युद्ध, तनाव, वर्चस्व की लड़ाई और बौद्धिक सम्पदा में वृद्धि का संकेत मेदनीय ज्योतिष के अनुसार कहे गए हैं, ऐसा भी कहा जाता है कि अतिचारी गुरु के काल में ही महाभारत का महायुद्ध हुआ।
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