मोहाली: पंजाब के मोहाली की एक कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अमनदीप कौर नाम की महिला को अपने सात साल के बच्चे की हत्या के आरोपों से बरी कर दिया।   कोर्ट ने कहा कि आरोप लगाने वाला पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि महिला ने हत्या की थी या इसके पीछे कोई ठोस मकसद था। कोर्ट के अनुसार, मामले के सभी सबूत इस ओर इशारा करते हैं कि बच्चे की मौत एक दुर्घटना हो सकती है, न कि किसी की साजिश। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संदेह, चाहे कितना भी गंभीर क्यों न हो, पुख्ता सबूत की जगह नहीं ले सकता।   
   
   
   
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा
कोर्ट ने यह भी कहा कि पोस्टमॉर्टम और अन्य रिपोर्टों से यह प्रतीत होता है कि बच्चे की मौत ड्रम में डूबने से हुई थी, लेकिन इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यह जानबूझकर किया गया कृत्य था या इसमें अमनदीप की कोई भूमिका थी। फैसले में यह भी उल्लेख किया गया कि सबूतों से केवल इतना सिद्ध होता है कि मृतक बच्चा घटना वाले दिन अमनदीप के घर गया था। घर के अंदर क्या हुआ, यह अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर सका। कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था और जो परिस्थितिजन्य सबूत थे, वे इतने कमजोर थे कि अदालत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी।
   
     
कौन हैं अमनदीम कौर
बता दें कि अमनदीप कौर घारूं गांव की रहने वाली हैं। अपने बेटे की हत्या के आरोप में उसे लगभग चार साल, आठ महीने और 12 दिन तक जेल में रहना पड़ा। क्योंकि उसकी जमानत के लिए कोई गारंटर आगे नहीं आया। उनके वकील सी.एस. बावा ने बताया कि अमनदीप ने अपने जीवन के पांच महत्वपूर्ण वर्ष निर्दोष होते हुए भी जेल में बिताए।
   
  
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा
कोर्ट ने यह भी कहा कि पोस्टमॉर्टम और अन्य रिपोर्टों से यह प्रतीत होता है कि बच्चे की मौत ड्रम में डूबने से हुई थी, लेकिन इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यह जानबूझकर किया गया कृत्य था या इसमें अमनदीप की कोई भूमिका थी। फैसले में यह भी उल्लेख किया गया कि सबूतों से केवल इतना सिद्ध होता है कि मृतक बच्चा घटना वाले दिन अमनदीप के घर गया था। घर के अंदर क्या हुआ, यह अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर सका। कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था और जो परिस्थितिजन्य सबूत थे, वे इतने कमजोर थे कि अदालत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी।
कौन हैं अमनदीम कौर
बता दें कि अमनदीप कौर घारूं गांव की रहने वाली हैं। अपने बेटे की हत्या के आरोप में उसे लगभग चार साल, आठ महीने और 12 दिन तक जेल में रहना पड़ा। क्योंकि उसकी जमानत के लिए कोई गारंटर आगे नहीं आया। उनके वकील सी.एस. बावा ने बताया कि अमनदीप ने अपने जीवन के पांच महत्वपूर्ण वर्ष निर्दोष होते हुए भी जेल में बिताए।
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