US H-1B Visa News: अमेरिका का H-1B वीजा दशकों से ग्लोबल टैलेंट को देश में लाने का काम कर रहा है। टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, फाइनेंस और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स में काम करने के लिए विदेशी स्किल वर्कर्स इसी वीजा के माध्यम से अमेरिका आते हैं। ये वीजा उन लोगों को भी मिलता है, जिन्होंने अमेरिकी यूनिवर्सिटीज से डिग्री हासिल की है। H-1B वीजा को अमेरिकन ड्रीम पूरा करने वाला माना जाता है, जिसके लिए ही दुनियाभर से लाखों स्टूडेंट्स हर साल अमेरिका में पढ़ने आते हैं।
हालांकि, अब अमेरिका में जॉब का सपना टूटने लगा है। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ लेबर ( DOL) ने H-1B वीजा के दुरुपयोग को लेकर 175 जांचें शुरू कर दी हैं। इस जांच में अब तक 15 मिलियन डॉलर से ज्यादा अवैतनिक वेतन सामने आया है, यानी कई कर्मचारियों को वेतन ही नहीं दिया गया है। जो बताता है कि कुछ कंपनियों ने किस तरह वीजा प्रोग्राम का गलत इस्तेमाल कर वर्कर्स को कम सैलरी दी है। सरकार ने ये जांच ' प्रोजेक्ट फायरवॉल ' के तहत की है।
क्या है 'प्रोजेक्ट फायरवॉल'?
'प्रोजेक्ट फायरवॉल' की शुरुआत सितंबर 2025 में हुई थी, जिसका मकसद उन कंपनियों की जांच करना है, जो H-1B वीजा होल्डर्स को कम सैलरी पर रख रही हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत कंपनियों की जांच की जा रही है कि कहीं वे फर्जी जॉब पोस्टिंग या अन्य नियमों का पालन तो नहीं कर रही हैं। कुल मिलाकर इसका काम H-1B वीजा प्रोग्राम के तहत होने वाली धोखाधड़ी और दुरुपयोग को रोकना है। इसका मुख्य लक्ष्य अमेरिकी कर्मचारियों के अधिकारों, वेतन और नौकरी के अवसरों की रक्षा करना है।
सरकार 'प्रोजेक्ट फायरवॉल' के तहत उन कंपनियों की जांच कर रही है, जो कम वेतन देते हैं, फर्जी लेबर कंडीशन एप्लिकेशन (LCA) का इस्तेमाल करते हैं या अमेरिकी वर्कर्स को अनुचित तरीके से जॉब से निकालते हैं। जो भी कंपनियां नियमों को तोड़ रही हैं, उन पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है, अगर सैलरी का भुगतान नहीं किया गया है तो उसकी वसूली की जा रही है और उन्हें एक निर्धारित अवधि तक H-1B वीजा का इस्तेमाल करने से रोका जा रहा है। इस काम में USCIS और DOJ भी मदद कर रहे हैं।
भारतीय स्टूडेंट्स-वर्कर्स पर क्या असर होगा?
भारतीय H-1B वीजा पाने में सबसे ज्यादा आगे हैं। भारत से आकर वे H-1B पर काम तो करते ही हैं, साथ ही अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीयों को भी ये वीजा दिया जाता है। अमेरिकन ड्रीम पूरा करने में H-1B वीजा उनकी काफी मदद करता है। अमेरिका में F-1 वीजा या OPT पर काम कर रहे भारतीय छात्रों के लिए H-1B नियमों को समझना बेहद जरूरी है। उन्हें किसी भी कंपनी का जॉब ऑफर लेने से पहले सभी चीजें ध्यान से पढ़नी होगी। ऐसा नहीं करने पर उनकी जॉब जाने का भी खतरा रहता है।
ये जानना कि सैलरी, जॉब की डिटेल्स और स्पांसरशिप प्रतिबद्धताएं कैसे संरचित हैं, भविष्य के विवादों या अनुपालन मुद्दों से बचने में मदद कर सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी जो जांच चल रही है, वो थोड़े समय के लिए है। लेकिन किसी भी कंपनी में जॉब से पहले उसकी ठीक ढंग से जांच करना जरूरी है, ताकि कल अगर उस पर जांच बैठे तो नौकरी जाने का खतरा ना रहे। जॉब लेने से पहले LCA को अच्छी तरह रिव्यू करना, कंपनी की प्रतिबद्धताएं जानना और लगातार सैलरी पाना जरूरी है।
हालांकि, अब अमेरिका में जॉब का सपना टूटने लगा है। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ लेबर ( DOL) ने H-1B वीजा के दुरुपयोग को लेकर 175 जांचें शुरू कर दी हैं। इस जांच में अब तक 15 मिलियन डॉलर से ज्यादा अवैतनिक वेतन सामने आया है, यानी कई कर्मचारियों को वेतन ही नहीं दिया गया है। जो बताता है कि कुछ कंपनियों ने किस तरह वीजा प्रोग्राम का गलत इस्तेमाल कर वर्कर्स को कम सैलरी दी है। सरकार ने ये जांच ' प्रोजेक्ट फायरवॉल ' के तहत की है।
क्या है 'प्रोजेक्ट फायरवॉल'?
'प्रोजेक्ट फायरवॉल' की शुरुआत सितंबर 2025 में हुई थी, जिसका मकसद उन कंपनियों की जांच करना है, जो H-1B वीजा होल्डर्स को कम सैलरी पर रख रही हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत कंपनियों की जांच की जा रही है कि कहीं वे फर्जी जॉब पोस्टिंग या अन्य नियमों का पालन तो नहीं कर रही हैं। कुल मिलाकर इसका काम H-1B वीजा प्रोग्राम के तहत होने वाली धोखाधड़ी और दुरुपयोग को रोकना है। इसका मुख्य लक्ष्य अमेरिकी कर्मचारियों के अधिकारों, वेतन और नौकरी के अवसरों की रक्षा करना है।
सरकार 'प्रोजेक्ट फायरवॉल' के तहत उन कंपनियों की जांच कर रही है, जो कम वेतन देते हैं, फर्जी लेबर कंडीशन एप्लिकेशन (LCA) का इस्तेमाल करते हैं या अमेरिकी वर्कर्स को अनुचित तरीके से जॉब से निकालते हैं। जो भी कंपनियां नियमों को तोड़ रही हैं, उन पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है, अगर सैलरी का भुगतान नहीं किया गया है तो उसकी वसूली की जा रही है और उन्हें एक निर्धारित अवधि तक H-1B वीजा का इस्तेमाल करने से रोका जा रहा है। इस काम में USCIS और DOJ भी मदद कर रहे हैं।
भारतीय स्टूडेंट्स-वर्कर्स पर क्या असर होगा?
भारतीय H-1B वीजा पाने में सबसे ज्यादा आगे हैं। भारत से आकर वे H-1B पर काम तो करते ही हैं, साथ ही अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीयों को भी ये वीजा दिया जाता है। अमेरिकन ड्रीम पूरा करने में H-1B वीजा उनकी काफी मदद करता है। अमेरिका में F-1 वीजा या OPT पर काम कर रहे भारतीय छात्रों के लिए H-1B नियमों को समझना बेहद जरूरी है। उन्हें किसी भी कंपनी का जॉब ऑफर लेने से पहले सभी चीजें ध्यान से पढ़नी होगी। ऐसा नहीं करने पर उनकी जॉब जाने का भी खतरा रहता है।
ये जानना कि सैलरी, जॉब की डिटेल्स और स्पांसरशिप प्रतिबद्धताएं कैसे संरचित हैं, भविष्य के विवादों या अनुपालन मुद्दों से बचने में मदद कर सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी जो जांच चल रही है, वो थोड़े समय के लिए है। लेकिन किसी भी कंपनी में जॉब से पहले उसकी ठीक ढंग से जांच करना जरूरी है, ताकि कल अगर उस पर जांच बैठे तो नौकरी जाने का खतरा ना रहे। जॉब लेने से पहले LCA को अच्छी तरह रिव्यू करना, कंपनी की प्रतिबद्धताएं जानना और लगातार सैलरी पाना जरूरी है।
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