दिल्ली पुलिस ने एक अहम कार्रवाई करते हुए चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थ सारथी को उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी एक निजी प्रबंधन संस्थान की छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न और छात्रवृत्ति के नाम पर कथित धोखाधड़ी के मामले में की गई है। सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तारी शुक्रवार देर रात आगरा के एक होटल से हुई, जहां चैतन्यानंद छिपा हुआ था। दिल्ली पुलिस की टीम उसे राजधानी लेकर आ रही है और दिल्ली पहुंचने पर उसे अदालत में पेश किया जाएगा।
यह मामला बेहद संगीन है क्योंकि इसमें छात्राओं की गरिमा से खिलवाड़ के साथ-साथ बड़ी धनराशि की वित्तीय अनियमितताएं भी सामने आ रही हैं। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी ने ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) छात्रवृत्ति योजना का दुरुपयोग करते हुए संस्थान में पढ़ रही कई छात्राओं का शोषण किया। इतना ही नहीं, पुलिस के अनुसार, चैतन्यानंद ने छात्राओं के हॉस्टल के वॉशरूम में हिडन कैमरा भी लगाया था, जिससे उसके इरादों की गंभीरता और आपराधिक मानसिकता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
इस बीच, पुलिस ने चैतन्यानंद से जुड़े वित्तीय लेनदेन पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जांच में सामने आया है कि आरोपी के पास लगभग आठ करोड़ रुपये की राशि 18 बैंक खातों और 28 सावधि जमा के रूप में मौजूद है। पुलिस ने इन सभी खातों पर रोक लगा दी है। अधिकारियों के अनुसार, यह पैसा उस न्यास से जुड़ा है जो चैतन्यानंद ने संस्थान के संचालन के लिए बनाया था, लेकिन उसका इस्तेमाल निजी लाभ के लिए किया गया।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि आरोपी चैतन्यानंद ने अलग-अलग नामों से कई बैंक खाते खोलकर पैसे की हेराफेरी की और धन की आवाजाही को छुपाने की कोशिश की। पुलिस की नजर में यह पूरी साजिश एक संगठित वित्तीय अपराध की तरह है, जिसमें आरोपी ने ट्रस्ट, संस्था, छात्रवृत्ति और धार्मिक पहचान जैसे तमाम माध्यमों का दुरुपयोग किया।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, चैतन्यानंद गिरफ्तारी से बचने के लिए पिछले कुछ दिनों से फरार चल रहा था। उसने दिल्ली की एक अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी भी दी थी, लेकिन अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर ने गंभीर आरोपों को देखते हुए याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। अदालत ने यह भी कहा कि मामले की जांच प्रारंभिक चरण में है और आरोपी से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है क्योंकि वह अपने स्थायी पते पर नहीं मिल रहा था और उसका मोबाइल फोन भी बंद था।
जांच में यह भी सामने आया है कि चैतन्यानंद ने जिस संस्थान पर नियंत्रण किया था, उसका उपयोग दक्षिण भारत के प्रतिष्ठित धार्मिक पीठ — शारदा पीठम — की संपत्तियों को निजी कंपनियों को किराए पर देने के लिए किया गया। आरोप है कि इस किराए से मिली रकम से आरोपी ने महंगी कारें खरीदीं, जिनमें एक बीएमडब्ल्यू और एक वोल्वो शामिल है। वोल्वो कार पर एक जाली राजनयिक नंबर प्लेट '39 UN 1' लगी मिली है, जो फर्जी पते पर रजिस्टर्ड बताई गई है।
इस मामले में दिल्ली पुलिस की जांच कई पहलुओं पर केंद्रित है — वित्तीय अनियमितता, शैक्षणिक संस्थान के दुरुपयोग, धार्मिक पहचान का प्रयोग और छात्राओं के शोषण जैसे गंभीर अपराध इसमें शामिल हैं। यह गिरफ्तारी इस बात का संकेत है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है, चाहे वह किसी भी रूप, पद या वेश में क्यों न हो।
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