अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को चीन के खिलाफ अतिरिक्त 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ट्रंप के इस फैसले से दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। ट्रंप सरकार का यह कदम 1 नवंबर 2025 से लागू होगा और यह 100 फीसदी टैरिफ मौजूदा टैरिफ से अलग होगा। यानी अमेरिका का चीन के खिलाफ टैरिफ अब 140 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। ट्रंप ने यह फैसला चीन द्वारा रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर लगाए गए नए नियंत्रणों के जवाब में लिया है, जिसे उन्होंने "अभूतपूर्व आक्रामकता" और "नैतिक अपराध" करार दिया।
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को चीन से आने वाले आयातित उत्पादों पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की। यह निर्णय वैश्विक व्यापार पर गहरा असर डाल सकता है और इससे दोनों देशों के बीच तनाव अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है।
यह नया टैरिफ 1 नवंबर 2025 से प्रभावी होगा और मौजूदा शुल्क के अलावा लगाया जाएगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसके बाद अमेरिका का चीन पर कुल शुल्क भार लगभग 140 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। ट्रंप ने यह कदम चीन द्वारा रेयर अर्थ मिनरल्स (Rare Earth Minerals) के निर्यात पर हाल ही में लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में उठाया है। उन्होंने चीन के इस कदम को “नैतिक अपराध” और “वैश्विक व्यापार के खिलाफ आक्रामक हमला” करार दिया।
ट्रंप का बयान: "चीन दुनिया को आर्थिक रूप से बंधक बना रहा है"
अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल (Truth Social) पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने कहा, “चीन दुनिया को आर्थिक रूप से नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है। इसके जवाब में, अमेरिका अब चीन से आने वाले सभी उत्पादों पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। यह कदम हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए आवश्यक है।”
इसके साथ ही उन्होंने यह भी ऐलान किया कि अमेरिका “सभी आवश्यक सॉफ्टवेयर और तकनीकी उत्पादों” पर भी निर्यात नियंत्रण लगाएगा। यह कदम चीन की टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री पर सीधा प्रहार माना जा रहा है। ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर चीन ने आगे कोई और चुनौतीपूर्ण कदम उठाया, तो यह टैरिफ 1 नवंबर से पहले भी लागू किया जा सकता है।
ट्रंप का विस्तृत संदेश: “यह चीन की वर्षों पुरानी योजना थी”
अपने विस्तृत संदेश में ट्रंप ने चीन के रुख को “बेहद आक्रामक” बताते हुए कहा, “चीन ने हाल ही में दुनिया के सभी देशों को एक पत्र भेजा है, जिसमें उसने 1 नवंबर 2025 से लगभग हर उत्पाद पर निर्यात नियंत्रण लागू करने की बात कही है, यहां तक कि उन वस्तुओं पर भी जिन्हें वे खुद नहीं बनाते। यह कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार के इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया। यह न केवल अनुचित है बल्कि एक नैतिक अपमान भी है।”
उन्होंने आगे लिखा, “इसके जवाब में, अमेरिका अपने हितों की रक्षा करेगा। 1 नवंबर 2025 से चीन से आयातित सभी वस्तुओं पर मौजूदा शुल्क के अतिरिक्त 100% टैरिफ लागू किया जाएगा। इसके अलावा, उसी तारीख से सभी महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर पर भी निर्यात नियंत्रण लागू होंगे। चीन का यह रवैया इतिहास में एक खतरनाक मोड़ के रूप में दर्ज होगा।”
चीन की कार्रवाई: रेयर अर्थ मिनरल्स पर निर्यात प्रतिबंध
गुरुवार को चीन ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों यानी रेयर अर्थ मिनरल्स और उनसे जुड़ी तकनीकों के निर्यात पर सख्त नियंत्रण लगाए। ये खनिज चिप निर्माण, बैटरी उत्पादन और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए बेहद जरूरी हैं। वर्तमान में अमेरिका इन संसाधनों के लिए चीन पर 80% से अधिक निर्भर है।
ट्रंप ने चीन के इस फैसले को “दुष्ट और शत्रुतापूर्ण” बताते हुए कहा, “इससे न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। चीन का यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला को खतरे में डाल देगा।”
मई 2025 से दोनों देशों के बीच चल रहा व्यापार युद्धविराम इस निर्णय के साथ लगभग खत्म हो गया है। अगस्त में इसे 90 दिनों के लिए बढ़ाया गया था, लेकिन अब हालात फिर से तनावपूर्ण हो चुके हैं।
कूटनीतिक रिश्तों में बढ़ी दरार
इस बीच, ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रस्तावित मुलाकात को रद्द करने की भी चेतावनी दी थी। यह बैठक दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन से पहले होनी थी। हालांकि, बाद में वाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने नरम लहजा अपनाते हुए कहा,
“अभी कुछ भी तय नहीं है। हम देखेंगे कि चीजें किस दिशा में जाती हैं।”
फिर भी यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक तनाव गहराता जा रहा है।
वैश्विक बाजारों में हलचल
ट्रंप की घोषणा का असर वैश्विक वित्तीय बाजारों में तुरंत दिखा।
डाउ जोन्स इंडेक्स 2.5% गिर गया,
नैस्डैक में 3% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई,
वहीं हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 4% तक नीचे चला गया।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौने और घरेलू उपकरण जैसे उत्पादों की कीमतें अब काफी बढ़ सकती हैं।
वेल्स फारगो इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में चीनी आयात पर प्रभावी औसत टैरिफ 40% है — जिसमें स्टील और एल्यूमिनियम पर 50% और उपभोक्ता वस्तुओं पर 7.5% शामिल है। नए शुल्क के बाद यह दर दो गुना से अधिक हो जाएगी।
वैश्विक असर: व्यापार जगत में बढ़ी चिंता
ट्रंप के इस कदम से न सिर्फ अमेरिका-चीन संबंधों में खटास बढ़ी है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था भी अस्थिर हो गई है। निवेशकों में अनिश्चितता का माहौल है, जबकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां आपूर्ति श्रृंखला में संभावित रुकावटों को लेकर चिंतित हैं।
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह व्यापारिक संघर्ष और बढ़ता गया, तो आने वाले महीनों में वैश्विक विकास दर पर गंभीर असर पड़ सकता है और दुनिया एक नई आर्थिक मंदी की ओर बढ़ सकती है।
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