New Delhi, 21 अगस्त . आजकल की तेज-तर्रार जीवनशैली ने हमारे शरीर और मानसिक सेहत पर गहरा असर डाला है. शारीरिक समस्याएं, तनाव, और मानसिक दबाव से जूझना अब आम हो गया है. ऐसे में अगर हम अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते, तो ये समस्याएं और भी गंभीर हो सकती हैं. स्वास्थ्य का मतलब सिर्फ शरीर की फिटनेस नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्थिति भी जरूरी है. योग एक ऐसी प्राचीन कला है, जो न केवल शरीर को तंदुरुस्त बनाए रखता है, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है. आजकल के दौर में जहां तनाव और मानसिक दबाव बढ़ गया है, योग का अभ्यास एक बेहतरीन उपाय साबित हो सकता है. इस कड़ी में आयुष मंत्रालय ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर उत्तान मंडूकासन के बारे में बताया है, जो हमें शारीरिक और मानसिक लाभ दे सकता है. साथ ही पीठ, गर्दन, कंधे और फेफड़ों की सेहत के लिए काफी लाभकारी है.
उत्तान मंडूकासन का नाम तीन शब्दों से मिलकर बना है, ‘उत्तान,’ यानी ऊपर की ओर तना हुआ, ‘मंडूक,’ यानी मेंढक, और ‘आसन,’ यानी मुद्रा. इसका मतलब है एक ऐसी मुद्रा जो शरीर को ऊपर की ओर तानकर की जाती है और इसे मेंढक के समान शरीर की स्थिति में किया जाता है. इस आसन का अभ्यास नियमित रूप से करने से शरीर को कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ होते हैं. आयुष मंत्रालय ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में इस आसन के अभ्यास का तरीका और इसके लाभों के बारे में विस्तार से बताया.
आयुष मंत्रालय के पोस्ट के मुताबिक, यह आसन नियमित रूप से करने से पीठ और गर्दन के दर्द से राहत मिलती है. उत्तान मंडूकासन से रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है, क्योंकि यह आसन रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है, जिससे पीठ के दर्द और कमजोर हड्डियों में राहत मिलती है. इसके साथ ही, यह आसन शरीर की अतिरिक्त चर्बी को घटाने में भी मदद करता है. इस आसन का अभ्यास कंधे और पीठ की मांसपेशियों को भी मजबूत करता है. जब हम अपने हाथों को ऊपर की ओर खींचते हैं और पीठ को तानते हैं, तो कंधे और पीठ की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं, जिससे इन हिस्सों में ताकत आती है. इसके अलावा, उत्तान मंडूकासन ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है, जिससे ऑक्सीजन और पोषक तत्व शरीर के अंगों तक बेहतर तरीके से पहुंचते हैं.
इसके अलावा, यह आसन शरीर के संतुलन को भी सुधारता है, क्योंकि इसे करते समय शरीर को संतुलित स्थिति में रखना पड़ता है, जिससे शरीर की मजबूती बढ़ती है. यह गले की समस्याओं में राहत प्रदान करता है. गले में सूजन, खराश या घबराहट जैसी समस्याओं में यह आसन फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह गले के आसपास की मांसपेशियों को आराम देता है और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है.
उत्तान मंडूकासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठें. वज्रासन में बैठते वक्त आपके दोनों पैरों के अंगूठे आपस में जुड़े होते हैं और घुटने खुले रहते हैं. इसके बाद, धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाकर कंधों के ऊपर विपरीत दिशा में रखें. इस स्थिति में, आपकी पीठ और गर्दन पूरी तरह से सीधी होनी चाहिए. कुछ समय तक इस स्थिति में बने रहने के बाद, धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं. इस आसन का अभ्यास करते समय ध्यान रखें कि अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगाएं. अभ्यास के दौरान अपनी पीठ और गर्दन को सीधा बनाए रखें ताकि किसी भी तरह की चोट से बचा जा सके. यह आसन शुरुआत में थोड़ा कठिन लग सकता है, इसलिए इसे धीरे-धीरे अभ्यास में लाएं.
आयुष मंत्रालय ने सावधानियां भी बताई हैं. जब भी इस आसन का अभ्यास करें, ध्यान रखें कि अगर आपके शरीर के किसी हिस्से में दर्द या चोट है, तो इसे न करें. यदि आपको पेट से संबंधित कोई समस्या है या आपने हाल ही में सर्जरी कराई है, तो इस आसन से बचना चाहिए. इसके अलावा, जब आप आसन का अभ्यास करें, तो हमेशा ढीले कपड़े पहनें और खाली पेट पर योग करें, ताकि आपकी ऊर्जा पूरी तरह से आसन पर केंद्रित हो सके.
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पीके/केआर
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