हैदराबाद, 30 सितंबर . एशिया कप फाइनल में India की जीत के हीरो तिलक वर्मा ने अपने बचपन के कोचों का आभार जताया है. इस बल्लेबाज ने खुलासा किया है कि उन्होंने जिस एकेडमी में बचपन में ट्रेनिंग ली थी, वहां खेलने से उन्हें आगे बढ़ने का आत्मविश्वास मिला है.
एशिया कप खिताब जीतने के बाद तिलक वर्मा स्वदेश लौट आए हैं. Tuesday को तिलक वर्मा ने पत्रकारों से कहा, “आज हर कोई मेरा नाम जानता है. हर कोई जानता है कि तिलक वर्मा कौन हैं, लेकिन जब कोई मुझे नहीं जानता था, तब मेरे कोच मेरे साथ थे. कोचों ने मेरा भरपूर साथ दिया. उन्होंने बचपन से ही मेरे करियर को आकार देने में मेरी मदद की है. उतार-चढ़ाव खेल का हिस्सा हैं.”
उन्होंने कहा, “मैंने लीगला क्रिकेट एकेडमी से शुरुआत की. जब भी मैं यहां प्रैक्टिस करता हूं, मुझे अच्छा प्रदर्शन करने का आत्मविश्वास मिलता है. मुझे पता है कि अगर मैं यहां हूं, तो मुझे आत्मविश्वास मिलेगा.”
तिलक वर्मा का मानना है कि बचपन से ही कोचों से मिले सहयोग की बदौलत आज उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण सफलता मिली है. उन्होंने कहा, “मेरे कोच सलाम बयाश सर और पृथ्वी सर मेरे लिए सब कुछ हैं. उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया है. मुझे यह मौका देने के लिए हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन और बीसीसीआई का विशेष धन्यवाद.”
तिलक वर्मा ने Pakistan के खिलाफ Sunday को खिताबी मुकाबले में 53 गेंदों का सामना करते हुए 4 छक्कों और 3 चौकों के साथ 69 रन की नाबाद पारी खेली थी.
Pakistan के खिलाफ फाइनल मुकाबले में अपनी पारी के बारे में पूछे जाने पर तिलक वर्मा ने कहा, “यह सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक है. मैं चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई पारी को भी बहुत महत्व देता हूं, लेकिन निश्चित रूप से एशिया कप में खेलना, वह भी दबाव में Pakistan के खिलाफ, एक शानदार एहसास है. इसलिए मैं अपने दो शतकों की तुलना में इसे अपनी सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक मानूंगा. यह अब तक का मेरा सबसे अच्छा अनुभव है.”
उन्होंने कहा, “मैं दबाव में शांत था. जानता था कि मैं मैच जीत जाऊंगा. मैंने मैच पर फोकस किया. अपने देश के बारे में सोचा और एक-एक गेंद पर ध्यान केंद्रित किया. मैंने खुद पर भरोसा किया और यह अपने देश के लिए किया. मुझे इस पर गर्व है.”
खिताबी मुकाबले में Pakistan को 19.1 ओवरों में 146 रन पर समेटने के बाद India ने 19.4 ओवरों में पांच विकेट शेष रहते मुकाबला अपने नाम किया था.
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आरएसजी/एएस
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