मुंबई, 29 अप्रैल . पूरे महाराष्ट्र में 20 किलोवाट से अधिक के स्वीकृत भार वाले वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों के ग्राहकों को सलाह दी गई है कि महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के टैरिफ आदेश के अनुसार अपने इलेक्ट्रिकल सिस्टम की समीक्षा करें और नए केवीएएच बिलिंग नियमों के लागू होने के बाद सुधारात्मक कार्रवाई करें.
यह बदलाव राज्य भर के सभी लो टेंशन (एलटी) उपभोक्ताओं पर लागू है.
नए बिलिंग सिस्टम के तहत उपभोक्ताओं को अब केवल एक्टिव एनर्जी (केवीएएच) के बजाय दिए गए भार (केवीएएच) के आधार पर बिल भेजा जाता है. केवीएएच बिलिंग में सक्रिय (वास्तविक) और प्रतिक्रियाशील (गैर-उत्पादक) दोनों तरह की ऊर्जा खपत को ध्यान में रखा जाता है. अधिक बिजली शुल्क से बचने के लिए हाई पावर फैक्टर (1.0 के करीब) बनाए रखना महत्वपूर्ण है.
अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा, “हमने सक्रियता से उन उपभोक्ताओं की पहचान की है, जिन्होंने सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की है और हम व्यक्तिगत रूप से उनसे संपर्क कर रहे हैं. हालांकि, कई उपभोक्ताओं ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, लेकिन आंतरिक एप्रूवल की आवश्यकता वाले क्षेत्रों जैसे बैंकों और स्कूलों में अधिक समय लग सकता है.”
अदाणी इलेक्ट्रिसिटी ने कहा कि अगर सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए तो कम पावर फैक्टर वाले उपभोक्ताओं के बिजली बिल में वृद्धि हो सकती है.
इसके अलावा उपभोक्ताओं को सलाह दी गई है कि वे पावर फैक्टर की निरंतर निगरानी करें और उसका रखरखाव करें. साथ ही, कैपेसिटर बैंक या एपीएफसी पैनल जैसे पावर फैक्टर करेक्शन (पीएफसी) उपकरण लगाएं या अपग्रेड करें.
पावर फैक्टर एक्टिव एनर्जी और कुल भार का अनुपात है. 1 (यूनिटी) का पावर फैक्टर का मतलब है कि खींची गई सारी ऊर्जा का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाता है. कम पावर फैक्टर के परिणामस्वरूप अधिक ऊर्जा बर्बाद होती है और केवीएएच बिलिंग के तहत अधिक बिल वाली इकाइयां होती हैं.
उच्च पावर फैक्टर बनाए रखने से कम नुकसान, बेहतर ऊर्जा दक्षता और कम बिजली लागत सुनिश्चित होती है.
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एबीएस/एबीएम
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