Next Story
Newszop

मेगा टिंकरिंग डे : छात्रों ने रचनात्मक सोच और तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन किया

Send Push

नई दिल्‍ली, 12 अगस्‍त . देश भर में नीति आयोग की ओर से अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) के तहत Tuesday को ‘मेगा टिंकरिंग डे’ का आयोजन किया गया. इसमें सभी 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 10 हजार से अधिक अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) के छात्र एक साथ आए.

इसी क्रम में दिल्‍ली, राजस्‍थान, मध्य प्रदेश, गुजरात के स्‍कूलों में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में नवाचार, तकनीकी कौशल और समस्या समाधान की क्षमता को विकसित करना है.

दिल्ली के मयूर विहार फेज-2 स्थित बाल भवन पब्लिक स्कूल में ‘मेगा टिंकरिंग डे’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. अटल टिंकरिंग लैब (एटीएल) के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में छात्रों ने ‘डू-इट-योरसेल्फ’ प्रोजेक्ट्स बनाकर अपनी रचनात्मक सोच और तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन किया. बच्चों ने विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का प्रयोग कर कई उपयोगी मॉडल तैयार किए, जिनमें घरेलू उपकरण, स्मार्ट गैजेट्स और पर्यावरण के अनुकूल समाधान शामिल थे. कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने टीमवर्क, नेतृत्व और रचनात्मक सोच का परिचय दिया.

बाल भवन पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल विविध गुप्ता ने कहा कि आज का दिन बेहद खास है क्योंकि अटल इनोवेशन मिशन ने पूरे देश में मेगा टिंकरिंग फेस्ट का आयोजन किया है. इसका उद्देश्य बच्चों में नवाचार और रचनात्मकता को जागृत करना और विकास के अवसर पैदा करना है.

पीजीटी भौतिकी की टीचर नितिका खंडेलवाल ने कहा कि मेगा टिंकरिंग इवेंट एक अद्भुत अनुभव है, जहां हमें बड़ी संख्या में छात्रों को शामिल करने का अवसर मिलता है. आज बाल भवन में 400 से अधिक छात्रों ने भाग लिया.

राजस्‍थान के भरतपुर में ‘मेगा टिंकरिंग डे’ में भाग लेने वाले बच्चों ने कहा कि हमें एक नई तकनीक के तहत सीखने को मिला है, ऑनलाइन दिखाया गया कि किस तरह से प्रोजेक्ट और इनोवेशन किए जा सकते हैं. साथ ही शिक्षकों ने कहा कि ऐसे इवेंट्स छात्रों में टेक्निकल और इनोवेशन स्किल विकसित करते हैं, इससे छात्रों की सोच में बदलाव आता है और टीमवर्क के साथ प्रॉब्‍लम सॉल्विंग स्किल पर कार्य करने की ओर अग्रसर होते हैं.

मध्य प्रदेश में जबलपुर के खमरिया स्थित पीएमश्री केंद्रीय विद्यालय में मेगा टिंकरिंग डे के दौरान बच्चों ने “डू-इट-योरसेल्फ” यानी डीआईवाई प्रोजेक्ट्स के जरिए अपनी रचनात्मकता को एक नई दिशा दी. खासतौर पर छात्रों ने वैक्यूम क्लीनर का मॉडल तैयार किया, जिसे घरेलू और अन्य जगहों पर इस्तेमाल किया जा सकता है.

10वीं के छात्र विकास सिंह ने बताया कि आज हमने एटल टिंकरिंग लैब की मदद से एक वैक्यूम क्लीनर बनाया है, जो कचरा साफ करने में मदद करेगा. इस प्रोजेक्ट से हमने समय बचाने के साथ कई नई तकनीकें सीखी हैं. अगर सरकार हमारा प्रोटोटाइप स्वीकार करती है, तो हम इसे असली प्रोडक्ट में बदलने की पूरी कोशिश करेंगे.

9वीं की छात्रा श्रुति यादव ने कहा कि आज मैंने सीखा कि हम अपने इनोवेशन आइडियाज से रोजमर्रा की चीजें खुद बना सकते हैं और उन्हें अपनी जिंदगी में इस्तेमाल कर सकते हैं. ग्यानवी कुमारी का कहना है कि हमने छोटे-छोटे तकनीकी प्रयोगों से वैक्यूम क्लीनर बनाया है. बचपन से ही अगर हम यह सीखते रहें, तो भविष्य में इसे बड़े स्तर पर ले जा सकते हैं और देश का नाम रोशन कर सकते हैं.

कार्यक्रम में शामिल शिक्षकों का मानना है कि अटल टिंकरिंग लैब और नई शिक्षा नीति ने छात्रों को कॉलेज स्तर से पहले ही तकनीकी और औद्योगिक कौशल सीखने का मौका दिया है.

टिंकरिंग प्रशिक्षक आकाश सोनी ने कहा कि हमारे स्कूल के छात्र और छात्राएं दिल्ली से आए एक कार्यक्रम के माध्यम से इस प्रोजेक्ट को सीखते हैं. यह कार्यक्रम हमारे स्कूल में आयोजित किया गया था, जहां सभी छात्रों ने एक वैक्यूम क्लीनर प्रोजेक्ट बनाया. अगर छात्र इसे अपने दैनिक जीवन में इस्तेमाल करें, तो उन्हें बहुत फायदा होगा और वे इसे बड़े स्तर पर, यहां तक कि निर्माण या उत्पादन स्तर तक भी ले जा सकते हैं.

प्रभारी सोनल शुक्ला ने बताया कि नई शिक्षा नीति बच्चों को उद्योग के लिए तैयार कर रही है. यहां अटल टिंकरिंग लैब में छात्रों को विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. जब छात्र जेईई के माध्यम से इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश लेते हैं और इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच चुनते हैं, तो वे विभिन्न प्रकार के सेंसर जैसी तकनीकों को सीखते और लागू करते हैं.

गुजरात के गांधी नगर के पीएमश्री केंद्रीय विद्यालय के छात्रों ने बताया कि मेगा टिंकरिंग डे में भाग लेने से उन्हें कई नई तकनीकी और क्रिएटिव स्किल्स सीखने को मिली. एक छात्रा ने साझा किया, “मैंने पहली बार सेंसर और माइक्रोकंट्रोलर के साथ काम किया, जिससे मैंने प्रोटोटाइप बनाना सीखा.” छात्रों के अनुसार, अटल टिंकरिंग लैब्स में काम करने के बाद उनके सोचने के तरीके में बदलाव आया है और वे समस्याओं का समाधान ज्यादा वैज्ञानिक नजरिए से करते हैं.

शिक्षकों ने बताया कि ऐसे इवेंट्स छात्रों में टेक्निकल व इनोवेशन स्किल्स को विकसित करते हैं.

एएसएच/एबीएम

Loving Newspoint? Download the app now