Lucknow, 8 अक्टूबर . उत्तर प्रदेश की सियासत में Wednesday को सियासत में काफी बेहद अहम साबित हो सकता है. Samajwadi Party (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आज रामपुर जा रहे हैं, जहां वह पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान से मुलाकात करेंगे.
23 माह बाद आजम खान सीतापुर जेल से रिहा हुए हैं. इस Political भेंट पर न केवल सपा की निगाहें टिकी हैं, बल्कि प्रदेश की अन्य पार्टियां भी इसे बेहद गंभीरता से देख रही हैं. बरेली सपा के जिला अध्यक्ष शिवचरण कश्यप ने बताया कि अखिलेश यादव Wednesday को सुबह लगभग 11 बजे अमौसी एयरपोर्ट से विमान द्वारा बरेली पहुंचेंगे. वहां से वह सड़क मार्ग से रामपुर जाएंगे.
उन्होंने साफ किया कि अखिलेश का बरेली में किसी प्रकार का कोई कार्यक्रम नहीं है. कुछ जगह अफवाहें फैलाई जा रही हैं उनका किसी से मुलाकात का कोई कार्यक्रम नहीं है.
Political सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश और आजम की यह मुलाकात करीब एक घंटे की निजी बातचीत के रूप में होगी. दोनों नेता अकेले में चर्चा करेंगे. यह मुलाकात ऐसे वक्त हो रही है जब सपा के भीतर और बाहर, आजम खान की भूमिका और भविष्य को लेकर तमाम अटकलें तेज हैं.
सीतापुर जेल से 23 सितंबर को रिहा हुए आजम खान ने बाहर आने के बाद मीडिया से बातचीत में अपने पुराने तेवर दिखा रहे हैं. उन्होंने रामपुर के सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी का नाम लिए बिना कहा था, “मैं उन्हें जानता तक नहीं. कोई कार्यक्रम नहीं है. अखिलेश यादव मुझसे मिलेंगे और मैं केवल उन्हीं से मिलूंगा.”
उन्होंने व्यंग्य भरे लहजे में कहा, “यह उनका बड़प्पन है कि वे एक बकरी चोर-भैंस चोर से मिलने आ रहे हैं.”
उनके इस बयान में न सिर्फ जेल के अनुभवों का दर्द झलक रहा था, बल्कि राजनीति की तल्खी भी साफ झलक रही थी. आजम खान के बसपा में जाने की चर्चाएं पिछले कुछ महीनों से Political गलियारों में चल रही थीं. हालांकि आजम खान ने इन अटकलों को सिरे से नकारते हुए खुद को सपा का सच्चा सिपाही बताया था. अब अखिलेश यादव की यह मुलाकात इन अटकलों को पूरी तरह विराम देने वाली मानी जा रही है.
Political विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात सपा के मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट रखने की रणनीति का हिस्सा है. रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा जैसे पश्चिमी यूपी के इलाकों में आजम खान की मजबूत पकड़ रही है. आजम खान Samajwadi Party के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं और दिवंगत मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी नेताओं में गिने जाते थे. अखिलेश यादव की यह मुलाकात न केवल पुराने रिश्तों को फिर से मजबूत करने के साथ पार्टी में एकता का संदेश देने का भी प्रयास है.
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विकेटी/एएस
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