सरकार द्वारा 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस पर शुरू किया गया FASTag Annual Pass लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो गया है. इस वार्षिक फास्टैग पास का मकसद है—कम दाम में ज्यादा यात्रा और टोल टैक्स की झंझट से राहत. इसमें केवल 3,000 रुपये के वार्षिक रिचार्ज पर 200 यात्राओं की सुविधा मिलती है. यानी हर टोल पास का किराया मात्र 15 रुपये पड़ता है. लॉन्च के तुरंत बाद ही लोगों ने इस स्कीम की जमकर सराहना की. अब दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे पर लगभग 30% प्राइवेट कारें और जीपें वार्षिक फास्टैग पास का इस्तेमाल कर रही हैं, जो देश के अन्य नेशनल हाईवे के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है.
वार्षिक पास की बढ़ती डिमांड
नेशनल हाईवेज़ अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के सदस्य विशाल चौहान ने बताया कि उम्मीद है मंगलवार तक वार्षिक फास्टैग पास लेने वाले प्राइवेट वाहनों की संख्या 10 लाख तक पहुंच जाएगी. यह पास उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है, जो अक्सर हाइवे पर सफर करते हैं. विशाल चौहान के मुताबिक, इस स्कीम को लागू करने में कोई बड़ी दिक्कत नहीं आई और इससे यात्रियों को बार-बार टोल चुकाने से राहत मिली है. उन्होंने यह जानकारी ‘Build India Foundation’ की एक वर्कशॉप में दी, जिसमें केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और सचिव वी उमाशंकर भी मौजूद थे.
नितिन गडकरी ने कही अहम बात
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जोर देकर कहा कि अगर हम लोगों से अच्छी सेवा के बदले शुल्क ले रहे हैं, तो अच्छी सड़कें देना भी जरूरी है. अगर सेवा खराब होगी और टोल वसूला जाएगा, तो आलोचना तय है. गडकरी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि हर हाईवे सेक्शन पर यह साफ लिखा जाए कि उस हिस्से का ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारी कौन है, ताकि जवाबदेही तय हो सके. साथ ही उन्होंने प्रोजेक्ट की गुणवत्ता और निर्माण में पारदर्शिता पर भी जोर दिया.
भविष्य की जरूरतों को नजरअंदाज करना पड़ा महंगा
सड़क परिवहन सचिव वी उमाशंकर ने गुरुग्राम के NH-48 प्रोजेक्ट का उदाहरण दिया. उन्होंने बताया कि भविष्य की जरूरतों का सही आकलन न होने की वजह से हाईवे ने शहर को दो हिस्सों में बांट दिया और लोगों को सुरक्षित पार के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बाद में NHAI को अतिरिक्त खर्च करना पड़ा. उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखकर ही योजनाएं बनानी चाहिए, तभी ऐसी गलतियों से बचा जा सकता है.
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