लंदन, 2 सितंबर . ब्रिटिश सांसदों ने संसद के ऐतिहासिक चर्चिल हॉल में बैरोनेस वर्मा की ओर से आयोजित ‘ब्रिटिश हिंदुओं के साथ संवाद’ कार्यक्रम में भाग लिया. एक रिपोर्ट के अनुसार सहयोग और आपसी सम्मान स्थापित करने की भावना के साथ इसका आयोजन किया गया. ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद संसद की कार्यवाही वापस शुरू हुई और पहले दिन ही ये कार्यक्रम हुआ.
‘एक्शन फॉर हार्मनी’ संगठन ने इसका आयोजन किया, जो यह सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है कि ब्रिटिश हिंदुओं की आवाज सरकार के शीर्ष स्तर पर सुनी जाए. इंडिया नैरेटिव (आईएन) की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह पॉलिसी मेकर्स और ब्रिटेन के सबसे जीवंत और सफल धार्मिक समुदायों में से एक के बीच सहयोग और समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था.
इस कार्यक्रम में कई ब्रिटिश सांसदों, साथियों और पार्षदों ने भाग लिया, जिनमें डॉन बटलर (लेबर, ब्रेंट ईस्ट), बॉब ब्लैकमैन (कंजर्वेटिव, हैरो ईस्ट), तनमनजीत सिंह धेसी (लेबर, स्लो), गगन मोहिंद्रा (कंजर्वेटिव, साउथ वेस्ट हर्टफोर्डशायर), सीमा मल्होत्रा, बैगी शंकर, लुई फ्रेंच, बैरोनेस वर्मा, लॉर्ड जितेश गढ़िया, लॉर्ड पोपट और लॉर्ड सेवेल शामिल हुए.
ब्रिटिश हिंदू प्रवासियों के 65 प्रतिशत से अधिक का प्रतिनिधित्व करने वाले 40 से अधिक सामुदायिक नेताओं ने इसमें भाग लिया. इसमें 60 से अधिक हिंदू संगठन उपस्थित रहे. इन संगठनों में बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था, हिंदू स्वयंसेवक संघ यूके, इस्कॉन यूके, और हिंदू काउंसिल सेंट्रल इंग्लैंड जैसी प्रमुख राष्ट्रीय संस्थाएं शामिल हैं. ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप (एपीपीजी) की भी इसमें जबरदस्त भागीदारी दिखी.
कार्यक्रम के दौरान, बैरोनेस वर्मा ने समुदाय के एकजुट होने और सांसदों को उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता पर जोर दिया. इंडिया नैरेटिव की रिपोर्ट के अनुसार, बैरोनेस ने इस बात पर जोर दिया कि वास्तविक जुड़ाव के लिए न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं को समझना आवश्यक है, बल्कि राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक और नागरिक ताने-बाने में ब्रिटिश हिंदू समुदाय की भूमिका को स्वीकार करना भी आवश्यक है.
एक्शन फॉर हार्मनी के संस्थापक नितिन पालन ने समुदाय के एजेंडे पर बात की और उन मुद्दों पर प्रकाश डाला जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जिनमें सार्वजनिक जीवन में ब्रिटिश हिंदुओं की पहचान और नीति-निर्माण स्तरों पर प्रतिनिधित्व, सुरक्षा और संरक्षण (लीसेस्टर हिंसा के बाद उचित जांच और न्याय की मांग भी इसमें शामिल), शिक्षा, स्कूलों में धार्मिक शिक्षा (आरई) के लिए बेहतर हिंदू संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करना, और धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाएं, जिनमें समुदाय से संबंधित कार्यों में भागीदारी (जैसे श्मशान घाट की योजना और नीति और समुदाय और संसद के बीच मजबूत जुड़ाव) शामिल हैं.
एपीपीजी फॉर ब्रिटिश हिंदुओं के अध्यक्ष बॉब ब्लैकमैन ने ब्रिटिश समाज में हिंदू समुदाय के योगदान पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे सार्वजनिक क्षेत्र में हिंदुओं का प्रतिनिधित्व कम रहा है. उन्होंने 2024 में इसके पुनर्गठन के बाद से एपीपीजी सचिवालय की ओर से किए गए कार्यों की सराहना की.
एपीपीजी सदस्य जैक रैनकिन ने आह्वान किया कि हिंदू एकजुट होकर अपनी मांग उठाएं. इस बीच, इस्कॉन यूके के ट्रस्टी विनय तन्ना ने रचनात्मक संवाद और ज्वलंत मुद्दों पर समय पर प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए समुदाय के नेताओं और सांसदों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया.
एक्स पर साझा किए गए एक बयान में, डिएड्रे कॉस्टिगन ने कहा, “आज मैं ब्रिटेन में हिंदू समुदाय के योगदान के बारे में जानने के लिए ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप फॉर ब्रिटिश हिंदूज और एक्शन फॉर हार्मनी में शामिल हुई. साउथॉल में एक बड़ी हिंदू आबादी है जो हमारे विविध समुदाय में अन्य धर्मों के साथ मिलकर काम करती है.”
औपचारिक प्रस्तुतियों के बाद, कार्यक्रम एक जीवंत नेटवर्किंग सत्र में बदल गया. सांसदों और हिंदू प्रतिनिधियों ने खुलकर बातचीत की. साथ ही विशिष्ट नीतिगत मामलों और सांस्कृतिक समझ व सामाजिक एकीकरण के व्यापक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. आईएन रिपोर्ट में लिखा गया कि माहौल ‘ओपन’ था और यही वजह है कि बेहिचक लोगों ने खुलकर अपनी राय रखी. चर्चा इस बात पर भी हुई कि इस आयोजन को महज एक-दो कार्यक्रमों तक ही न सिमटा कर रखा जाए.
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केआर/
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