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अमेरिका ने किम यो जोंग के बयान को माना 'दिलचस्प'

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वाशिंगटन, 8 अगस्त . अमेरिका ने उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग के उस बयान में दिलचस्पी दिखाई है जिसमें प्योंगयांग ने वाशिंगटन से बातचीत के संकेत दिए हैं. हालांकि यो ने परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर किसी भी तरह की वार्ता से साफ इनकार किया है.

ब्यूरो ऑफ ईस्ट एंड पेसिफिक (विदेश विभाग) के कार्यवाहक उप सहायक सचिव सेठ बेली ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान इसे लेकर टिप्पणी की. उन्होंने उत्तर कोरिया की सत्तारूढ़ पार्टी की केंद्रीय समिति की उप-विभाग निदेशक किम यो-जोंग के पिछले सप्ताह दिए गए बयान का हवाला दिया.

उन्होंने लापता सैनिकों की लेखा एजेंसी (डीपीएए) द्वारा 1950-53 के कोरियाई युद्ध के दौरान लापता हुए सैनिकों के परिवारों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “हमने डीपीआरके नेतृत्व के उच्च-स्तरीय बयान भी देखे हैं, जिनमें किम यो-जोंग के हालिया बयान भी शामिल हैं, जिसे हम खासा दिलचस्प मानते हैं.”

डीपीआरके उत्तर कोरिया के आधिकारिक नाम, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया का संक्षिप्त रूप है.

उन्होंने आगे कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप और रिपब्लिक ऑफ कोरिया के राष्ट्रपति ली, दोनों ने उत्तर कोरिया के साथ कूटनीतिक संबंधों को बेहतर करने पर बल दिया है.”

योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार पिछले Tuesday को, उप-विभाग के निदेशक किम ने कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन के बीच व्यक्तिगत संबंध ‘बुरे नहीं’ हैं. यह एक दुर्लभ टिप्पणी थी जो स्पष्ट रूप से ट्रंप प्रशासन के साथ प्योंगयांग की रुचि का संकेत देती है.

हालांकि, उन्होंने वाशिंगटन के साथ उसके परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत की संभावना से इनकार किया. साथ ही परमाणु हथियारों के कब्जे को एक ‘अपरिवर्तनीय’ स्थिति बताया, और अमेरिका से ‘नई सोच’ के आधार पर उत्तर कोरिया से संपर्क करने का एक और तरीका खोजने को कहा.

डीपीएए कार्यक्रम में, लापता सैनिकों के 400 से अधिक परिवार पहुंचे थे.

बेली ने जोर देकर कहा कि अमेरिकी सैनिकों के अवशेषों की स्वदेश वापसी केवल एक कूटनीतिक प्राथमिकता नहीं है, बल्कि एक ‘नैतिक दायित्व’ भी है.

राजनयिक ने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका ने उत्तर कोरियाई लोगों को स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकी सैनिकों के अवशेषों की बरामदगी हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं और द्विपक्षीय लक्ष्यों में से एक है. यही कारण है कि जून 2018 में सिंगापुर शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा उत्तर कोरिया के साथ संयुक्त वक्तव्य में सुधार को एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में इतनी प्रमुखता से शामिल किया गया था.”

एससीएच/केआर

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