धरती अपनी धुरी पर हमेशा गोल घूमती रहती है. लेकिन क्या हो अगर ये घूमना बंद कर दे? पर्यावरण अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस कल्पना पर एक गंभीर अध्ययन किया है. उनका कहना है कि ऐसा होना लगभग असंभव है, लेकिन इस विचार को समझने से यह साफ होता है कि धरती की हरियाली, मौसम और जीवन, उसकी घूर्णन गति पर कितने हद तक निर्भर है. अगर धरती घूमना बंद कर दे तो ये सिर्फ विनाशकारी ही नहीं बल्कि जीवन के अस्तित्व पर ही संकट बन जाएगा. इससे धरती का पूरा स्वरूप, मौसम, समुद्रों की दिशा, जीवन का चक्र सब कुछ बदल जाएगा.
आएगा प्रलय
धरती की सतह पर हर चीज उसकी गति (1600 किमी/घंटा) से घूम रही है. ऐसे में अगर अचानक धरती रुक गई, तो वातावरण, समुद्र और सतह पर मौजूद हर चीज उसी गति से आगे बढ़ेगी. इसका मतलब है—भयंकर तूफान, समुद्र की लहरों से तबाही, इमारतों का ढहना और लोगों का उछलकर दूर जा गिरना.
पानी में समा जाएंगे देश
घूर्णन के कारण धरती का आकार थोड़ा चपटा है और समुद्र का पानी भूमध्य रेखा के आसपास ज्यादा फैला है. जैसे ही धरती घूमना बंद करेगी, गुरुत्वाकर्षण बल के कारण समुद्रों का पानी ध्रुवों की ओर बहने लगेगा. इससे कई शहर डूब जाएंगे और नई जगहों पर रेगिस्तान, झीलें व समुद्र बनेंगे.
रुक जाएगा समय
बिना घूर्णन के दिन और रात का चक्र खत्म हो जाएगा. एक ओर हमेशा दिन रहेगा और दूसरी ओर हमेशा रात. दिन वाली जगह पर भीषण गर्मी और रात वाली जगह पर असहनीय ठंड होगी. ऐसे मौसम में जीवन का टिक पाना मुश्किल हो जाएगा. बारिश और हवाओं का चक्र टूट जाएगा, जिससे तूफान और सूखा आम बात बन जाएगी.
विलुप्त होने लगेंगे जीव-जन्तु
पेड़-पौधे, जानवर और इंसान सभी धरती के घूर्णन पर निर्भर हैं. सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति या अत्यधिक मौजूदगी से पेड़-पौधों की फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया रुक जाएगी. पशु-पक्षियों की माइग्रेशन और प्रजनन चक्र प्रभावित होंगे. कई जीव-जन्तु विलुप्त हो सकते हैं.
रेडिएशन का खतरा
धरती का घूमना इसके अंदर के लिक्विड कोर को भी घुमा देता है जिससे चुंबकीय क्षेत्र बनता है. इसके बंद होते ही यह ढाल खत्म हो जाएगी और सूर्य की खतरनाक किरणें सीधे पृथ्वी पर आने लगेगी. साथ ही, पृथ्वी के भीतर का संतुलन बिगड़ने से जमीन फटने, ज्वालामुखी फटने और भूकंपों की घटनाएं तेज हो जाएंगी.
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