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पुतिन के इस फैसले से जेलेंस्की की मौज, NATO की इस शर्त पर राजी हुआ रूस!

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Russia-Ukraine War: व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हाल ही में अलास्का में बैठक हुई थी. इस दौरान रूस ने पहली बार यूक्रेन को NATO जैसी सुरक्षा गारंटी देने पर सहमति जताई. ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने पुतिन के इस फैसले को गेम चेंजिंग बताया है. यह इस मुलाकात का ऐतिहासिक मोड़ था. विटकॉफ ने कहा कि यह पहली बार था जब हमने रूस को इस पर सहमत होते सुना.

क्या है आर्टिकल 5 जैसी सुरक्षा गारंटी?
बता दें कि NATO का आर्टिकल 5 कहता है कि किसी एक सदस्य देश पर हमला सभी पर हमला माना जाएगा. यूक्रेन लंबे समय से NATO की सदस्यता मांग कर रहा है, लेकिन रूस इसका विरोध करता रहा है. अब यह प्रस्ताव एक वैकल्पिक रास्ता हो सकता है, जिससे यूक्रेन को सुरक्षा मिले बिना NATO की सदस्यता की आवश्यकता पड़े. विटकॉफ ने बताया कि रूस ने एक कानून बनाने पर सहमति दी है, जिसमें वह यूरोपीय देशों की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं करेगा और यूक्रेन से अतिरिक्त भूमि लेने की कोशिश नहीं करेगा.

यूरोप और अमेरिका की भूमिका
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इस पहल का स्वागत किया और कहा कि यूरोपीय संघ भी इस सुरक्षा गारंटी में योगदान देने को तैयार है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि सुरक्षा गारंटी का वास्तविक इंप्लिमेंटेशन लेबल से ज्यादा महत्वपूर्ण होगा. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका की पहल की सराहना की, लेकिन यह स्पष्टता की मांग की कि यह सुरक्षा गारंटी वास्तव में कैसे काम करेगी. उन्होंने यह भी दोहराया कि यूक्रेन अपनी भूमि नहीं छोड़ेगा, खासकर डोनबास क्षेत्र जिसे रूस चाहता है.

युद्ध रुकवा पाएंगे ट्रंप?
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने से पहले ही कई मौकों पर कह चुके थे कि वह पद संभालते ही रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकेंगे, हालांकि अब उन्होंने युद्धविराम के बदले शांति समझौते की ओर कदम बढ़ाया है. वहीं ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मार्को रुबियो ने चेतावनी दी है कि अभी भी शांति समझौता काफी दूर है. ट्रंप और पुतिन के बीच यह बातचीत भले ही युद्ध को समाप्त करने में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन अभी भी कई जटिल मुद्दों को उलझाना बाकी है.

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