यूपी के बरेली में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पुलिस अधिकारी के फैसले को उनकी ही वकील बेटी ने कोर्ट में चुनौती देकर पलटवा दिया. मामला जीआरपी के हेड कांस्टेबल तौफीक अहमद का है, जिस पर ट्रेन में छात्रा से छेड़छाड़ का आरोप है. तत्कालीन आईजी जीआरपी डॉ. राकेश सिंह ने विभागीय जांच के बाद उसे बर्खास्त कर दिया था. लेकिन, उनकी वकील बेटी अनुरा सिंह ने हाईकोर्ट में मुकदमा लड़कर तौफीक को दोबारा वर्दी पहनने का हक दिलाया.
दरअसल, घटना 12 जनवरी 2023 की है. पीलीभीत निवासी एक छात्रा प्रयागराज में पढ़ाई कर रही थी और 15073 त्रिवेणी एक्सप्रेस से बरेली लौट रही थी. छात्रा कोच नंबर एस-7 में बैठी थी. अगले दिन 13 जनवरी को दोपहर 2:11 बजे ट्रेन बरेली जंक्शन पहुंची. स्टेशन पर ज्यादातर यात्री उतर गए. आरोप था कि इसी दौरान हेड कांस्टेबल तौफीक अहमद कोच में चढ़ा और छात्रा को अकेला देखकर उसकी सीट पर बैठ गया.
छात्रा ने कहा कि ट्रेन चलने के बाद तौफीक ने उससे छेड़छाड़ शुरू कर दी. डरी-सहमी छात्रा ने तुरंत जीआरपी जंक्शन थाने में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट समेत गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
आईजी पिता का सख्त एक्शन
मामले की विभागीय जांच में तौफीक अहमद को दोषी पाया गया. इसके बाद तत्कालीन आईजी जीआरपी डॉ. राकेश सिंह ने बिना देर किए उसे सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया. लेकिन तौफीक ने इस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी.
बेटी ने कोर्ट में जीता केस
हाईकोर्ट में तौफीक की ओर से पैरवी करने के लिए सामने आईं अधिवक्ता अनुरा सिंह, जो कि डॉ. राकेश सिंह की बेटी हैं. उन्होंने अदालत में तर्क दिया कि विभागीय जांच में गंभीर खामियां हैं और बर्खास्तगी का आदेश कानूनी रूप से सही नहीं है. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया और तौफीक को दोबारा पुलिस सेवा में बहाल करने का आदेश दिया. हालांकि, ट्रेन में छेड़छाड़ के मामले में आपराधिक मुकदमा अभी भी चल रहा है और ट्रायल जारी रहेगा.
शहर में चर्चा का विषय
यह मामला बरेली में पुलिस महकमे और कानूनी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. एक ओर, आईजी पिता ने सख्ती से कार्रवाई करते हुए कांस्टेबल को बाहर का रास्ता दिखाया, वहीं दूसरी ओर उनकी बेटी ने कानूनी दांव-पेंच से उसी कांस्टेबल की नौकरी वापस दिला दी. लोग इसे वर्दी में वापसी का अनोखा किस्सा कह रहे हैं. अब सबकी नजरें आपराधिक केस के फैसले पर हैं, जो तौफीक अहमद के भविष्य का असली फैसला करेगा.
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