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बिहार में मौसम में बदलाव: IMD ने जारी किया अलर्ट, किसानों की चिंताएँ बढ़ीं

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बिहार का मौसम बदल रहा है Bihar Weather Today: बिहार का मौसम फिर से 48 घंटों में बदलेगा, IMD ने अलर्ट जारी किया; लोगों की समस्याएँ बढ़ेंगी

पटना। बिहार में मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। गुरुवार को तेज पछुआ हवा ने वातावरण में नमी बढ़ा दी, जिसके कारण शाम के समय तापमान में गिरावट आई। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर भारत में फिलहाल पछुआ का प्रभाव है। अगले दो दिनों में न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की कमी आने की संभावना है, जबकि अधिकतम तापमान सामान्य रहेगा। मौसम विज्ञानी संजय कुमार के अनुसार, प्रदेश का मौसम तेजी से बदल रहा है। कभी वातावरण शुष्क हो जाता है, तो कभी पछुआ की गति बढ़ने पर सुबह-शाम ठंड बढ़ जाती है। इस तरह की स्थिति इस माह के अंत तक जारी रहने की उम्मीद है।


औरंगाबाद में उच्चतम तापमान

गुरुवार को राज्य का सबसे गर्म स्थान औरंगाबाद रहा, जहां अधिकतम तापमान 31.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, न्यूनतम तापमान 10.2 डिग्री सेल्सियस रहा। राजधानी पटना में न्यूनतम तापमान 16.5 और अधिकतम तापमान 29.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।


न्यूनतम तापमान में वृद्धि

राजधानी की हवा में आर्द्रता 70 प्रतिशत रही। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में मौसम में आगे भी उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना है। वर्तमान में राज्य का न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है।


भागलपुर का मौसम

भागलपुर में आज सुबह हल्का कोहरा रहेगा, लेकिन धूप निकलने की संभावना है। दिन में गर्मी महसूस होगी और तेज पछुआ हवा चलने की उम्मीद है। शाम से सुबह तक ठंड का असर बना रहेगा। आज का अधिकतम तापमान 26.5 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है।


किसानों की चिंताएँ

तेज धूप और पछुआ हवा के कारण किसानों की चिंताएँ बढ़ गई हैं, क्योंकि इसका असर रबी फसलों पर पड़ सकता है। यदि मौसम का मिजाज ऐसा ही रहा, तो उपज में कमी आना निश्चित है, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है।


किसान विशेषज्ञों का कहना है कि न्यूनतम तापमान 15 फरवरी तक 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे होना चाहिए था, लेकिन क्षेत्र में न्यूनतम तापमान 12 से 13 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है।


इससे गेहूं, सरसों, मसूर, चना और अन्य फसलों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। रबी की फसलों के लिए ठंडे मौसम और ओस गिरने की प्रक्रिया आवश्यक होती है।


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