दिल्ली के पंजाबी बाग़ में एक आयुर्वेदिक अस्पताल पिछले डेढ़ साल से कैंसर के इलाज का दावा कर रहा है। यह अस्पताल देसी गाय के गोबर, मूत्र, दूध, दही, घी और जड़ी-बूटियों का उपयोग करके कैंसर का उपचार करने का प्रयास कर रहा है। गौहत्या के विवादों के बीच, अस्पताल का मानना है कि गाय का दूध ही नहीं, बल्कि गोबर और मूत्र भी कैंसर के मरीजों के लिए फायदेमंद हैं। शिवाजी मार्ग पर स्थित गौधाम आयुर्वेद कैंसर ट्रीटमेंट एंड रिसर्च सेंटर का कहना है कि जड़ी-बूटियों के साथ गोबर के लेप और तुलसी के पानी से कैंसर के विकास को रोका जा सकता है।
विशेषज्ञों का दृष्टिकोण
यहां के कैंसर विशेषज्ञ वैद्य भरत देव मुरारी ने बताया कि कैंसर शारीरिक रूप से दिखाई देता है, लेकिन यह मानसिक स्थिति से जुड़ा होता है। उन्होंने कहा कि हम चमत्कार का दावा नहीं करते, लेकिन हमने पांचगव्य और जड़ी-बूटियों से कई मरीजों की स्थिति में सुधार किया है। उनका मानना है कि गोबर और गौ मूत्र का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि मरीज समय पर अस्पताल आएं, तो उनकी बीमारी को रोका जा सकता है। अस्पताल में मरीजों को 11 या 21 दिनों तक रखा जाता है, और उनका एक नियमित कार्यक्रम बनाया जाता है। जब मरीज घर लौटते हैं, तो उन्हें उसी कार्यक्रम का पालन करने के लिए कहा जाता है। यहां मरीजों को सुबह योग कराया जाता है, और पंचगव्य की निश्चित मात्रा दी जाती है। आयुर्वेदिक दवाएं और जड़ी-बूटियों का काढ़ा भी दिया जाता है, साथ ही खाने में जौ की रोटी और हरी सब्जियां शामिल होती हैं।
आयुर्वेद में कैंसर की परिभाषा
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में कैंसर का कोई नाम नहीं है, बल्कि इसे गांठ कहा जाता है।
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