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महाशिवरात्रि 2025: 60 वर्षों बाद बन रहा दुर्लभ संयोग

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महाशिवरात्रि का महत्व

विज्ञान ने सदियों से 'शिव' के अस्तित्व को समझने का प्रयास किया है। जब भौतिकता का मोह समाप्त होता है और इंद्रियां भी निष्क्रिय हो जाती हैं, तब शून्यता का आकार लेती है। जब शून्यता भी अस्तित्वहीन हो जाती है, तब शिव प्रकट होते हैं। शिव शून्य से परे हैं, और जब व्यक्ति भौतिक जीवन को त्यागकर सच्चे मन से ध्यान करता है, तब शिव की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि शिव के अद्वितीय और अलौकिक रूप को मनाने का पर्व है।


भगवान शिव से जुड़ी मान्यताएं

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे भगवान शिव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव आधी रात को ब्रह्मा के रुद्र रूप में प्रकट हुए थे।


तांडव और विवाह की मान्यताएं

कई मान्यताएं हैं कि इस दिन भगवान शिव ने तांडव किया और अपनी तीसरी आंख खोली, जिससे ब्रह्मांड का विनाश हुआ। इसके अलावा, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का भी महत्व है। हर महीने शिवरात्रि होती है, लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है।


महाशिवरात्रि पर पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन भक्त शिव की पूजा करते हैं और उन्हें विभिन्न पवित्र वस्तुओं से अभिषेक करते हैं। इस दिन बिल्वपत्र, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि चढ़ाए जाते हैं। भगवान शिव को भांग प्रिय है, इसलिए कई भक्त उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने के बाद शाम को फलाहार किया जाता है।


60 साल बाद का दुर्लभ संयोग

इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी। यह पर्व फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को सुबह 11:08 बजे से शुरू होकर 27 फरवरी को सुबह 08:54 बजे तक रहेगा। इस दिन कुंभ राशि में सूर्य, बुध और शनि की युति होगी, जो 1965 में भी बनी थी। इस बार चंद्रमा भी मकर राशि में रहेगा, जिससे यह महाशिवरात्रि विशेष बन जाएगी।


भगवान शिव की कृपा पाने के उपाय

  • महाशिवरात्रि पर ज्योतिषीय उपाय करने से सभी परेशानियां समाप्त हो सकती हैं।

  • इस दिन व्रत रखने से अविवाहित लड़कियों को मनचाहा पति मिलता है।

  • शिवलिंग की पूजा से कुंडली के ग्रह दोष शांत होते हैं।

  • बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति होती है।

  • धतूरे के पुष्प चढ़ाने से औषधियों का खतरा समाप्त होता है।


भगवान शिव की पूजा कैसे करें

शिवपुराण के अनुसार, भक्त को सुबह स्नान करके भस्म का तिलक लगाना चाहिए और रुद्राक्ष की माला पहननी चाहिए। शिव मंदिर जाकर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।


हल्दी का तिलक भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता। लाल फूल भी नहीं चढ़ाए जाते, सफेद फूल चढ़ाने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं।


महाशिवरात्रि पर जल चढ़ाने के लिए तांबे या पीतल के लोटे का उपयोग करें।


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