ग्वालियर। मध्य प्रदेश से एक चौंकाने वाली खबर आई है, जहां नगर निगम के एक कर्मचारी ने 43 वर्षों तक सहायक वर्ग-3 के पद पर कार्य किया। रिटायरमेंट का समय नजदीक आ रहा था, लेकिन एक शिकायत ने उनकी पूरी जिंदगी को बदल दिया। शिकायत में यह खुलासा हुआ कि उन्होंने जो मार्कशीट नौकरी पाने के लिए प्रस्तुत की थी, वह असली नहीं थी।
यह मामला कैलाश कुशवाह का है, जिन्होंने अपने भाई की मार्कशीट का उपयोग करके ग्वालियर नगर निगम में नौकरी प्राप्त की थी। 43 साल तक उन्होंने इस नौकरी का आनंद लिया, लेकिन एक शिकायत ने उनकी सच्चाई को उजागर कर दिया। अब उनके खिलाफ यूनिवर्सिटी थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।
शिकायत के बाद, मुरैना के निवासी अशोक कुशवाह ने नगर निगम में इस फर्जीवाड़े की रिपोर्ट की। इसके बाद नगर निगम ने जांच शुरू की।
जांच के दौरान, जब माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल से कैलाश की मार्कशीट का रिकॉर्ड चेक किया गया, तो पता चला कि जो मार्कशीट उन्होंने पेश की थी, वह उनके भाई रणेंद्र सिंह कुशवाह के नाम पर थी। इस जानकारी के बाद, अगस्त 2023 में उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
इसके बाद, नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर अनिल दुबे ने कैलाश कुशवाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। उन पर धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत आरोप लगाए गए हैं।
दिलचस्प बात यह है कि कैलाश का भाई रणेंद्र भी सरकारी नौकरी में है और ग्वालियर में राज्य पावर लूम बुनकर सहकारी शाखा में कार्यरत है। दोनों भाई एक ही मार्कशीट के आधार पर सरकारी नौकरी कर रहे थे, जिससे विभाग में हड़कंप मच गया है।
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