आयकर नोटिस: हाल ही में, आयकर विभाग ने कई करदाताओं को नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू की है। ये नोटिस विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए हैं जो विभाग के साथ किसी न किसी प्रकार का धोखाधड़ी कर रहे हैं।
कई बार देखा गया है कि लोग टैक्स बचाने के लिए विभिन्न तरीके अपनाते हैं, जिससे उनकी समस्याएं बढ़ जाती हैं। अब, विभाग ने ऐसे धोखाधड़ी करने वालों पर 200 प्रतिशत तक का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है। आइए, इस विषय पर और विस्तार से जानते हैं।
फर्जीवाड़े को रोकने के लिए नया सॉफ्टवेयर
आयकर विभाग ने धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक नए सॉफ़्टवेयर का उपयोग करना शुरू किया है। इस सॉफ़्टवेयर की सहायता से करदाताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए फर्जी दस्तावेजों की पहचान करना और उन्हें पकड़ना आसान हो गया है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, आयकर विभाग ऐसे करदाताओं को नोटिस भेज रहा है, जिनसे टैक्स छूट के दावों से संबंधित दस्तावेजों की मांग की जा रही है।
फर्जी दस्तावेज़ों पर सख्त कार्रवाई
आयकर विभाग ने फर्जी दस्तावेजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। इस संदर्भ में, विभाग लगातार नोटिस भेज रहा है। जिन दस्तावेजों पर विभाग की नजर है, उनमें हाउस रेंट रिसीट, ऑफिसियल ड्यूटी के लिए हेल्पर हायर करने के दस्तावेज़ और होम लोन के ब्याज की रिसीट शामिल हैं।
ये नोटिस एसेसमेंट ईयर 2022-23 से संबंधित हैं और आईटी एक्ट की धारा 133(6) के तहत जारी किए गए हैं, जिसके तहत टैक्स एसेसिंग ऑफिसर को कुछ विशिष्ट अवधि के दौरान हुए ट्रांजैक्शन्स के बारे में जानकारी हासिल करने का अधिकार है।
इस धारा के तहत टैक्स छूट
जो लोग आयकर विभाग की धारा 10(13A) के तहत किराए पर घर लेते हैं, उन्हें टैक्स छूट मिलती है। इस कानून के अनुसार, यदि आपके मकान का किराया सालाना एक लाख रुपये से अधिक है, तो मकान मालिक को पैन कार्ड देना अनिवार्य है। हालांकि, यदि किराया एक लाख रुपये से कम है, तो पैन कार्ड देने की आवश्यकता नहीं होती।
इस स्थिति में कई लोग 1 लाख रुपये से कम किराया दिखाकर अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से फर्जी रेंट रिसीट तैयार करा लेते हैं, लेकिन अब इस प्रकार की गतिविधियों से बचने की आवश्यकता है, क्योंकि इससे जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इन लोगों पर होगी कार्रवाई
कुछ अन्य नए प्रकार के फर्जीवाड़े भी सामने आए हैं, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं जिनका अपना घर है, लेकिन वे रेंट स्लिप का उपयोग कर टैक्स छूट प्राप्त करते हैं। आयकर विभाग कंप्यूटर डेटा की जांच करके ऐसे मामलों का पता लगा सकता है और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। अब इन लोगों की पहचान की जा रही है और उन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं।
सीबीडीटी के सेंट्रल एक्शन प्लान के अनुसार, टैक्स बेस बढ़ाने के लिए विभाग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है। इस तरह के फर्जीवाड़े में शामिल टैक्सपेयर्स की पहचान कर उन्हें टैक्स भरने में मदद दी जा सकती है, ताकि व्यवस्था को सही तरीके से लागू किया जा सके।
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