भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) विभिन्न सेक्टरों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह देश की आर्थिक वृद्धि में भी योगदान देता है। क्या आप जानते हैं कि अप्रैल 2000 से लेकर दिसंबर 2024 तक भारत में कुल फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फ्लो 1.05 ट्रिलियन अमेरिका डॉलर यानी लगभग 89,85,900 करोड़ रुपये रहा। तो चलिए आज विस्तार से जानते हैं कि फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट क्या होता है। कौन-कौन से सेक्टर के लिए खुला है और कहां पाबंदी है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश क्या है?विदेशी प्रत्यक्ष निवेश एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी एक देश की कंपनी या व्यक्ति दूसरे देश में किसी व्यवसाय, परियोजना, या उद्योग में दीर्घकालिक निवेश करता है। यह निवेश आमतौर पर किसी कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने, नई फैक्ट्री स्थापित करने, या संयुक्त उद्यम शुरू करने के रूप में होता है। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है। इससे न केवल देश में पूंजी आती है बल्कि रोजगार, तकनीक, वैश्विक बाजारों में एकीकरण को भी बढ़ावा मिलता है। भारत सरकार के द्वारा एफडीआई की नीतियों में सुधार और पीएलआई योजनाओं ने इसे और आकर्षक बनाया है। पिछले कुछ सालों में भारत में 170 से अधिक देशों से लगभग 63 सेक्टर में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट हुआ है। भारत में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के प्रमुख सेक्टर 1. सर्विस सेक्टर सर्विस सेक्टर को पिछले कुछ सालों में लगभग 115.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर एफडीआई प्राप्त हुआ है। इस सेक्टर में बैंकिंग, वित्तीय, बीमा और व्यावसायिक सर्विस शामिल है। भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था में हो रही वृद्धि और सेवा क्षेत्र की जबरदस्त मांग के कारण यह सेक्टर सबसे अधिक एफडीआई आकर्षित करता है। इस सेक्टर को वित्त वर्ष 2024 में 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा एफडीआई प्राप्त हुआ है। 2. कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर यह सेक्टर भी स्टार्टअप्स और तकनीकी इनोवेशन के कारण विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक बना रहा है। इसमें लगभग 95.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई प्रवाह हुआ है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एंड हार्डवेयर सर्विस का विकास और वैश्विक मांग, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ ही आईटी सेवाओं में वैश्विक मांग के कारण विदेशी निवेशक इस क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं। 3. ट्रेडिंग इस सेक्टर में रिटेल और होलसेल ट्रेडिंग शामिल है। मेक इन इंडिया और ई-कॉमर्स पहल ने इस क्षेत्र में एफडीआई को बढ़ाया है। अप्रैल 2000 से लेकर दिसंबर 2024 तक इस क्षेत्र में लगभग 40.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर एफडीआई प्रवाह हुआ है। 4. दूरसंचार भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी की बढ़ती मांग और 5G रोल आउट के कारण इस सेक्टर में भी विदेशी निवेश बढ़ रहा है। 2021 में सरकार ने दूरसंचार में 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी गई, जिसके बाद से इस सेक्टर में विदेशी निवेश और बढ़ गया। 5. ऑटोमोबाइल उद्योग मेक इन इंडिया और पीएलआई योजनाओं ने इस सेक्टर में विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया है। ऑटोमोबाइल उद्योग में इलेक्ट्रॉनिक वाहन, ऑटोमेटिक पार्ट्स और मैन्युफैक्चरिंग शामिल है। यह सेक्टर भी विदेशी निवेशकों के किए पसंदीदा है। 6. रसायन इसमें विशेष रूप से रसायन उर्वरक और पेट्रोकेमिकल शामिल है। यह सेक्टर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की मजबूत स्थिति प्रदर्शित करता है। जिसके कारण विदेशी निवेशक इस क्षेत्र में भी जमकर पैसा लगा रहे हैं। 7. दवाइयां और फार्मास्यूटिकल्स भारत के फार्मा सेक्टर ने दुनिया भर में जेनेरिक दवाओं के लिए अपनी खास पहचान बनाई है। इस क्षेत्र की पीएलआई योजनाओं और अनुसंधान विकास ने विदेशी निवेशकों को ज्यादा आकर्षित किया है। 8. निर्माण और बुनियादी ढांचा इस सेक्टर में रियल एस्टेट, रेलवे, सड़क आदि शामिल है। भारत में निर्माण और बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास हो रहा है। पीएम गति शक्ति और नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन ने इस क्षेत्र को एफडीआई में बढ़ावा दिया है। 9. गैर-पारंपरिक ऊर्जा पवन, सौर और अन्य नवीनीकरण ऊर्जा के स्रोतों में भी एफडीआई का प्रभाव बढ़ रहा है। भारत में 2030 तक 500 जीडब्ल्यू नवीनीकरण ऊर्जा का टारगेट रखा है। जिसके कारण अप्रैल से दिसंबर 2024 में इस सेक्टर में उल्लेखनीय विदेशी निवेश देखा गया है। 10. अस्पताल और स्वास्थ्य सेवा भारत में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एफडीआई प्रभाव में वृद्धि हो रही है। विशेष रूप से अस्पतालों में साल 2020 में एफडीआई 43% से 2024 में 50% तक आ गया। कोरोना महामारी के बाद स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में निवेश तेजी से बढ़ा है। इन प्रमुख सेक्टर के अलावा और भी अन्य सेक्टर है जिनमें एफडीआई का फ्लो बढ़ रहा है। जैसे मेटलर्जिकल इंडस्ट्रीज, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, होटल और पर्यटन, कृषि सेवाएं आदि। अप्रैल-दिसंबर 2024 में एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 45% की वृद्धि दर्ज हुई। यह 29.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। इसके अलावा जुलाई-दिसंबर 2024 में कुल एफडीआई प्रवाह 18.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिसमें इक्विटी प्रवाह 10.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। एफडीआई नीतियों में सुधार भारत सरकार ने अपनी फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की नीतियों में सुधार किया है। इसके बाद एफडीआई फ्लो में वृद्धि हुई है। कई सेक्टरों में 100% FDI की अनुमति है, जैसे कि मैन्युफैक्चरिंग, आईटी, और नवीकरणीय ऊर्जा। निवेश करने के लिए विदेशी निवेशकों को केवल आरबीआई को सूचित करना होता है। 2014-2022 के बीच मैन्युफैक्चरिंग में FDI प्रवाह 57% बढ़ा। इसके अलावा कुछ सेक्टर जैसे दूरसंचार, मीडिया, फार्मास्यूटिकल्स में निवेश करने के लिए विदेशी निवेशकों को सरकारी अनुमोदन की आवश्यकता होती है। इन सेक्टर के लिए भारत में प्रतिबंधित है एफडीआईकुछ ऐसे सेक्टर है जिनके लिए भारत सरकार ने फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट को पूरी तरह प्रतिबंधित कर रखा है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा संवेदनशीलता और नीतिगत कारणों के लिए किया गया है। 1. लॉटरी व्यवसाय सरकार के द्वारा निजी और सरकारी या ऑनलाइन लॉटरी से संबंधित सभी प्रकार की गतिविधियों में एफडीआई को प्रतिबंधित रखा है। 2. जुआ और सट्टेबाजी सामाजिक और अन्य कानूनी नीतियों के कारण कसीनो और अन्य प्रकार की सट्टेबाजी गतिविधियों पर एफडीआई निवेश प्रतिबंधित है। 3. चिट फंड भारत में चिट फंड व्यवसाय में भी एफडीआई की अनुमति नहीं है। जिसके पीछे का कारण है कि यह अनौपचारिक वित्तीय प्रणाली से संबंधित है और इसे नियंत्रित करने के लिए सख्त कानून का प्रयोग किया जाता है। 4. निधि कंपनी ऐसी कंपनियां जो आपसी लाभ के लिए वित्तीय गतिविधियां चलती है उनके लिए भी एफडीआई प्रतिबंधित है। क्योंकि यह कंपनियां सामान्यतः स्थानीय स्तर पर काम करती हैं। 5. रियल एस्टेट व्यवसाय भारत में रियल एस्टेट की खरीदी बिक्री या डीलिंग यानी जमीन और अचल संपत्ति का व्यापार भी एफडीआई के लिए प्रतिबंधित है। हालांकि विदेशी निवेशक भारत में निर्माण और विकास से संबंधित रियल स्टेट परियोजनाओं में निवेश कर सकते हैं। टाउनशिप या आवासीय निर्माण परियोजनाएं। उदाहरण के लिए देश में बनाए जा रहे ट्रंप टॉवर। 6. तंबाकू और तंबाकू उत्पादन भारत में सिगरेट तंबाकू सिगार तंबाकू से बने उत्पादों के निर्माण के लिए भी एफडीआई प्रतिबंधित है। यह सार्वजनिक नीति और स्वास्थ्य संबंधित चिताओं के लिए प्रतिबंधित किया गया है। 7. परमाणु ऊर्जा भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन या इससे संबंधित गतिविधियों के लिए भी फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की अनुमति नहीं है। यह इसीलिए किया गया है क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा और संवेदनशीलता के कारण यह क्षेत्र पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में है। 8. कृषि और वृक्षारोपणभारत में सामान्य कृषि गतिविधियों जैसे खेती या वृक्षारोपण जैसी गतिविधियों के लिए भी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की मंजूरी नहीं है। इस सेक्टर में कुछ अपवाद है जैसे फ्लोरीकल्चर, हॉर्टिकल्चर, बीज विकास, मत्स्य पालन, पशुपालन और कुछ विशेष वृक्षारोपण में हंड्रेड परसेंट एफडीआई की अनुमति है। ऊपर बताए गए सेक्टर में यदि कोई व्यवसाय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भिन्न से जुड़ा हुआ है तो भी उसमें फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की मंजूरी नहीं होगी। भारत में सीमित एफडीआई वाले सेक्टरभारत में कुछ ऐसे सेक्टर है जिन्हें सरकार ने कुछ शर्तों के साथ फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की अनुमति दे रखी है। 1.रक्षा क्षेत्रइसमें 100 % एफडीआई की अनुमति है, लेकिन 74% तक स्वचालित मार्ग और उसके बाद सरकारी अनुमोदन की आवश्यकता है। 2. प्रसारण क्षेत्र इस क्षेत्र में गैर समाचार चैनलों में 100% एफडीआई और समाचार चैनलों में 26% एफडीआई की मंजूरी मिली है लेकिन सरकारी अनुमोदन आवश्यक है। 3. प्रिंट मीडिया प्रिंट मीडिया में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए 26 % फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की मंजूरी मिली है लेकिन सरकारी अनुमोदन अनिवार्य है। 4. बीमा क्षेत्र इसमें 74% एफडीआई स्वचालित मार्ग के अंतर्गत अनुमति प्राप्त है। 5. मल्टी ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग इस क्षेत्र में सरकारी अनुमोदन के साथ 51% एफडीआई की अनुमति है। भारत में एफडीआई प्रवाह में कुछ राज्य टॉपर है जिनमें महाराष्ट्र कर्नाटक गुजरात दिल्ली और तमिलनाडु शामिल है। इसके अलावा मॉरीशस, सिंगापुर, संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड जापान आदि से भारत में ज्यादा एफडीआई प्रवाह है। फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। विदेशी पूंजी प्रवाह से बुनियादी ढांचा और उद्योगों का विकास होता है। उन्नत तकनीक और प्रबंधन प्रथाएँ मेजबान देश में आती हैं। इसके अलावा उत्पादन में वृद्धि होती है जिससे निर्यात बढ़ता है। भारत सरकार के द्वारा समय-समय पर एफडीआई की नीतियों में बदलाव किया जाता है।
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