प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 200 करोड़ रुपये के फ्रंट-रनिंग घोटाले में एक्सिस म्यूचुअल फंड के पूर्व चीफ ट्रेडर और सीनियर फंड मैनेजर वीरेश जोशी को गिरफ्तार किया. उन्हें इस घोटाले का मास्टरमाइंड कहा जा रहा है. उनकी गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत की गई है. एजेंसी की तरफ से निवेशकों को यह सलाह दी गई है कि केवल रजिस्टर्ड ब्रोकर की ही सलाह मानें और बाजार में अचानक गिरावट या उछाल के समय पैसा लगाने से बचें.
फ्रंट-रनिंग क्या है, क्यों इसे अपराध मानते हैं?शेयर बाजार में फ्रंट रनिंग को गंभीर अपराध की कैटेगरी में रखा जाता है. इसमें कोई व्यक्ति ट्रेडर्स या ब्रोकर पहले ही किसी कंपनी या संस्था के होने वाले बड़े कॉन्ट्रैक्ट की जानकारी, यानी नॉन पब्लिक इनफॉरमेशन का इस्तेमाल करके मार्केट में पैसा लगाते हैं. ताकि उन्हें आने वाले समय में जबरदस्त मुनाफा हो सके. इससे बाजार में असमानता की स्थिति बनती है. सेबी के द्वारा ऐसी ट्रेडिंग प्रथा को प्रतिबंधित और दंडनीय माना जाता है.
कौन हैं वीरेश जोशी?वीरेश जोशी, एक्सिस म्यूचुअल फंड के पूर्व चीफ ट्रेडर और सीनियर फंड मैनेजर हैं. जिन पर प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि उन्होंने एक्सिस म्युचुअल फंड के कॉन्ट्रैक्ट की गोपनीय इनफॉरमेशन का उपयोग करके अवैध ट्रेडिंग की. इसके अलावा उन्होंने अन्य ट्रेडर्स को भी यह नॉन पब्लिक इनफॉरमेशन दी. इससे न केवल बाजार के निष्पक्षता पर असर हुआ बल्कि इसे निवेशकों के साथ भी धोखा माना जाता है.
वे एक्सिस म्यूचुअल फंड के साथ साल 2009 से जुड़े हैं. फ्रंट रनिंग के आरोप में साल 2021 में वीरेश जोशी का नाम सामने आया था. इसके बाद साल 2022 में उन्हें कंपनी से निकाल दिया गया. फ्रंट रनिंग में नाम सामने आने के बाद आयकर विभाग ने जब जांच की तो पता चला कि मुंबई में 150 करोड़ की संपत्ति, 54 करोड़ की एफडी के साथ ही लंदन में भी उनकी संपत्तियां हैं.
कैसे किया स्कैमजांच में यहां सामने आया है कि फ्रंट रनिंग के लिए भारत से नहीं बल्कि दुबई के ट्रेडिंग टर्मिनल का इस्तेमाल किया गया. जिसके लिए कई फर्जी अकाउंट ओपन किए गए. रिश्तेदारों और अन्य लोगों के नाम पर एकाउंट्स में पैसा विदेशों में घुमाया गया. प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा देश भर में कई जगह पर छापामार कार्यवाही की गई. एजेंसी का कहना है कि स्कैम की वैल्यू 200 करोड़ से ज्यादा हो सकती है और इस मामले में और गिरफ्तार या भी हो सकती है. अभी ईडी के द्वारा 17.4 करोड रुपए की प्रॉपर्टीज जैसे बैंक अकाउंट, शेयर, म्युचुअल फंड यूनिट्स आदि को फ्रीज कर लिया गया है.
फ्रंट-रनिंग क्या है, क्यों इसे अपराध मानते हैं?शेयर बाजार में फ्रंट रनिंग को गंभीर अपराध की कैटेगरी में रखा जाता है. इसमें कोई व्यक्ति ट्रेडर्स या ब्रोकर पहले ही किसी कंपनी या संस्था के होने वाले बड़े कॉन्ट्रैक्ट की जानकारी, यानी नॉन पब्लिक इनफॉरमेशन का इस्तेमाल करके मार्केट में पैसा लगाते हैं. ताकि उन्हें आने वाले समय में जबरदस्त मुनाफा हो सके. इससे बाजार में असमानता की स्थिति बनती है. सेबी के द्वारा ऐसी ट्रेडिंग प्रथा को प्रतिबंधित और दंडनीय माना जाता है.
कौन हैं वीरेश जोशी?वीरेश जोशी, एक्सिस म्यूचुअल फंड के पूर्व चीफ ट्रेडर और सीनियर फंड मैनेजर हैं. जिन पर प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि उन्होंने एक्सिस म्युचुअल फंड के कॉन्ट्रैक्ट की गोपनीय इनफॉरमेशन का उपयोग करके अवैध ट्रेडिंग की. इसके अलावा उन्होंने अन्य ट्रेडर्स को भी यह नॉन पब्लिक इनफॉरमेशन दी. इससे न केवल बाजार के निष्पक्षता पर असर हुआ बल्कि इसे निवेशकों के साथ भी धोखा माना जाता है.
वे एक्सिस म्यूचुअल फंड के साथ साल 2009 से जुड़े हैं. फ्रंट रनिंग के आरोप में साल 2021 में वीरेश जोशी का नाम सामने आया था. इसके बाद साल 2022 में उन्हें कंपनी से निकाल दिया गया. फ्रंट रनिंग में नाम सामने आने के बाद आयकर विभाग ने जब जांच की तो पता चला कि मुंबई में 150 करोड़ की संपत्ति, 54 करोड़ की एफडी के साथ ही लंदन में भी उनकी संपत्तियां हैं.
कैसे किया स्कैमजांच में यहां सामने आया है कि फ्रंट रनिंग के लिए भारत से नहीं बल्कि दुबई के ट्रेडिंग टर्मिनल का इस्तेमाल किया गया. जिसके लिए कई फर्जी अकाउंट ओपन किए गए. रिश्तेदारों और अन्य लोगों के नाम पर एकाउंट्स में पैसा विदेशों में घुमाया गया. प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा देश भर में कई जगह पर छापामार कार्यवाही की गई. एजेंसी का कहना है कि स्कैम की वैल्यू 200 करोड़ से ज्यादा हो सकती है और इस मामले में और गिरफ्तार या भी हो सकती है. अभी ईडी के द्वारा 17.4 करोड रुपए की प्रॉपर्टीज जैसे बैंक अकाउंट, शेयर, म्युचुअल फंड यूनिट्स आदि को फ्रीज कर लिया गया है.
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