कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने ग़ज़ा में इसराइली हमलों से हुई मौतों और भुखमरी पर भारत सरकार की चुप्पी को 'शर्मनाक' बताया है.
मंगलवार को दिए गए उनके इस बयान पर भारत में इसराइल के राजदूत ने जवाब दिया और कहा, "शर्मनाक तो आपका धोखा है."
प्रियंका गांधी ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में ग़ज़ा में अब तक हो चुकी मौतों से जुड़े कुछ आंकड़े भी दिए हैं.
इसराइली राजदूत ने इन आंकड़ों का खंडन किया है.
भारत में इसराइली राजदूत रूवेन अज़ार के जवाब देने के तरीक़े पर सवाल उठ रहे हैं और पूछा जा रहा है कि क्या यह भारत के 'अंदरूनी मामलों में दख़ल' नहीं है.
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कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) ने इसराइली राजदूत की टिप्पणी की निंदा की है. वहीं कुछ पत्रकारों ने भी इस पर सवाल उठाए हैं.
इसके अलावा प्रियंका गांधी ने इसराइल के हाल के हमलों में मारे गए पत्रकारों को लेकर भी पोस्ट किया है. उन्होंने इसे इसराइल का 'घिनौना अपराध' बताया है.
प्रियंका गांधी का बयान और इसराइल के राजदूत की टिप्पणी
मंगलवार को प्रियंका गांधी ने एक्स पर लिखा, "इसराइल जनसंहार कर रहा है. उसने 60 हज़ार से अधिक लोगों की हत्या की है, जिनमें 18,430 बच्चे शामिल हैं."
"इसराइल ने कई बच्चों समेत सैकड़ों लोगों को भूख से मार डाला है और अब लाखों लोगों के भूख से मरने का ख़तरा पैदा हो गया है."
उन्होंने कहा, "इन अपराधों पर चुप रहना और कोई कार्रवाई न करना भी अपने आप में अपराध है. यह शर्मनाक है कि भारत सरकार चुप है जबकि फ़लस्तीन की जनता पर इसराइल तबाही ढाह रहा है."
इस पोस्ट पर इसराइली राजदूत रूवेन अज़ार ने एक्स पर लिखा, "शर्मनाक तो आपका धोखा है. इसराइल ने हमास के 25 हज़ार आतंकवादियों को मारा है."
उन्होंने आगे लिखा है, "नागरिकों के पीछे छिपना, बाहर निकलने या सहायता सामग्री लेने की कोशिश कर रहे लोगों पर गोली चलाना और रॉकेट दागने जैसी हमास की घिनौनी हरकतों की वजह से मानव जीवन का नुक़सान हुआ है."
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि उनकी पार्टी भारत में इसराइल के राजदूत के बयान की निंदा करती है.
उन्होंने कहा, "मोदी सरकार ने पिछले 18-20 महीनों से ग़ज़ा को तबाह कर रहे इसराइल के ख़िलाफ़ बोलने में कायरता दिखाई है."
"इसलिए उससे यह उम्मीद करना बहुत ज़्यादा होगा कि वह इसराइल के राजदूत की प्रतिक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताएगी. हमें यह बयान बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है."
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से सवाल किया है.
उन्होंने लिखा, "क्या आप प्रियंका गांधी को सार्वजनिक रूप से डराने के प्रयास को लेकर इसराइल के राजदूत की टिप्पणी पर बोलेंगे? या अब भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी इसराइल से तय होने लगी है?"
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि कांग्रेस को इसराइल के राजदूत के लेक्चर की ज़रूरत नहीं है.
उन्होंने कहा, "भारत दो राष्ट्र सिद्धांत पर भरोसा करता है. गांधी और नेहरू का देश हमेशा अहिंसा और शांति में भरोसा करता आया है. कांग्रेस पार्टी को इसराइली राजदूत के लेक्चर की ज़रूरत नहीं है."
वहीं, कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल ने कहा कि प्रियंका गांधी के ख़िलाफ़ इसराइल के राजदूत की टिप्पणी बेहद अपमानजनक है और यह एक राजनयिक का सही बर्ताव नहीं है.
सेंथिल ने कहा, "ग़ज़ा में जारी जनसंहार पर प्रियंका गांधी के भाव को नकारने और उसका मज़ाक उड़ाने का प्रयास अपमान है. यह केवल व्यक्तिगत हमला नहीं है, बल्कि भारत की जनता के एक निर्वाचित प्रतिनिधि और संसद की गरिमा पर भी चोट है."
इसराइली राजदूत की टिप्पणी पर और क्या कहा जा रहा?
इसराइल के राजदूत के बयान पर शिवसेना (उद्धव गुट) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारतीय विदेश मंत्रालय इसराइली राजदूत को फटकार लगाएगा.
उन्होंने कहा, "इससे पहले भी मैं अपने ख़िलाफ़ ट्वीट करने पर पोलैंड के राजदूत (पूर्व) के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाना चाहती थी, लेकिन विदेश मंत्री से चर्चा के बाद ऐसा नहीं किया."
"हालांकि, यह रवैया उन्हें हमारे देश में सांसदों से इस लहजे और अंदाज़ में बात करने का हौसला दे रहा है. यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है."
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार विपक्ष पर निशाना साधने के लिए इसराइल के राजदूत का इस्तेमाल कर रही है.
साकेत गोखले ने कहा, "इसराइली राजदूत इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने की हिम्मत कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं होगी."
उन्होंने सवाल किया, "क्या हमारी राजनीति इतनी गिर गई है कि हमारी सरकार अपने ही सांसद की गरिमा की रक्षा भी नहीं करेगी? क्या हमने अपनी संप्रभुता को सरेंडर कर दिया है? विदेश मंत्रालय इसका जवाब दे."
पत्रकारों ने भी उठाए सवालनेताओं के अलावा पत्रकारों ने भी इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने सवाल किया कि 'इसराइली राजदूत की टिप्पणी (भारत के) आंतरिक मामले में हस्तक्षेप माना जाएगा या नहीं?'
द हिंदू के पत्रकार स्टैनली जॉनी ने कहा कि राजनयिकों का काम राजनयिक बने रहना होना चाहिए.
उन्होंने सवाल किया, "सोचिए, अगर भारतीय राजदूत वॉशिंगटन डीसी में किसी डेमोक्रेटिक सांसद पर बयान दें और सांसद के विचारों को 'शर्मनाक' और 'भ्रामक' कहें, तो अमेरिकी विदेश विभाग कैसी प्रतिक्रिया देगा?"
"सोचिए, अगर भारतीय राजदूत लंदन में किसी सांसद पर सार्वजनिक रूप से बयान दें, तो ब्रिटेन का विदेश कार्यालय क्या करेगा?"
टीवी पत्रकार वीर संघवी ने भी इसराइली दूत की टिप्पणी पर सवाल उठाया, "क्या कोई यह मान सकता है कि कोई विदेशी राजदूत हमारी अपनी सरकार की मौन या विशेष सहमति के बिना किसी विपक्षी नेता के बारे में इस तरह ट्वीट करेगा?"
ऑर्गनाइज़र को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख पत्र माना जाता है. उसने लिखा है कि प्रियंका गांधी के बयान का इसराइल के राजदूत ने खंडन किया है.
ऑर्गनाइज़र ने लिखा, "कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में भारत में इसराइल के राजदूत रूवेन अज़ार ने उनके रुख़ को "भ्रामक" बताया और इसराइल का बचाव किया."
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इससे पहले भी प्रियंका गांधी ग़ज़ा में इसराइली हमलों के ख़िलाफ़ बोलती नज़र आई हैं. उन्होंने कई मौक़ों पर सोशल मीडिया पोस्ट और अपने मौखिक बयानों के ज़रिए फ़लस्तीन के प्रति समर्थन जाहिर किया है.
पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान वह एक हैंडबैग लिए हुए नज़र आईं थीं. इस हैंडबैग में अंग्रेजी में 'फ़लस्तीन' लिखा हुआ था.
सोशल मीडिया पर उनके इस बैग की काफ़ी चर्चा हुई थी और बैग के साथ प्रियंका गांधी की फोटो भी वायरल हुई थी.
मंगलवार को ही प्रियंका गांधी ने ग़ज़ा में इसराइली हमले में पत्रकारों की मौत पर भी इसराइल की आलोचना की थी.
प्रियंका गांधी ने एक्स पर लिखा, "अल जज़ीरा के पांच पत्रकारों की निर्मम हत्या फ़लस्तीन की ज़मीन पर किया गया एक और घिनौना अपराध है. सच के लिए खड़े होने वालों का साहस, इसराइल की हिंसा और नफ़रत से कभी नहीं टूटेगा."
उन्होंने कहा, "एक ऐसे दौर में जहां दुनिया की मीडिया का बड़ा हिस्सा सत्ता और व्यापार के प्रभाव में है, इन बहादुरों ने हमें सच्ची पत्रकारिता का मतलब याद दिलाया है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे."
फ़लस्तीन और इसराइल पर भारतीय नेताओं की क्या है राय?
इसराइल और फ़लस्तीन के मामले में भारत सरकार दो राष्ट्र सिद्धांत को मानती आई है. वहीं, ग़ज़ा में जारी जंग के मुद्दे पर भारत ने वहां की स्थिति पर चिंता जताई है, लेकिन इसराइली हमलों की सीधे तौर पर निंदा नहीं की है.
जबकि इस मामले में भारत में राजनीतिक दलों की राय बंटी हुई है.
सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी के नेता कई मौक़ों पर इसराइल के समर्थन पर बयान देते आए हैं. वहीं कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियों ने ग़ज़ा में इसराइली हमलों से हुई मौतों की काफ़ी आलोचना की है.
पिछले साल जब प्रियंका गांधी 'फ़लस्तीन' लिखा हुआ बैग लेकर संसद पहुंची थीं, तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, "कांग्रेस की नेत्री संसद में फ़लस्तीन का बैग लेकर घूम रहीं थीं और हम यूपी के नौजवानों को इसराइल भेज रहे हैं."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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