राजस्थान में इस साल मानसून ने इतिहास रच दिया है। वर्ष 2025 का मानसून सीजन राज्य के लिए बेहद खास साबित हुआ है। इस बार प्रदेश में अब तक 715.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जो पिछले एक सदी में दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे पहले वर्ष 1917 में 844.2 मिलीमीटर बारिश का रिकॉर्ड बना था, जो अब तक का ऑल-टाइम हाई रहा है। यानी 108 साल बाद राजस्थान ने बारिश के मामले में अपने पुराने रिकॉर्ड को छूने की दिशा में कदम बढ़ा लिया है।
राज्य के मौसम विभाग के अनुसार, इस बार बारिश का दौर जून के अंत में शुरू हुआ था और सितंबर तक कई जिलों में सामान्य से काफी अधिक वर्षा हुई। खास तौर पर दक्षिणी और पूर्वी राजस्थान — उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, झालावाड़, कोटा, बूंदी और बारां — में झमाझम बारिश ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। वहीं पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर जैसे शुष्क क्षेत्रों में भी औसत से 40 से 50 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
जलाशयों में छलक उठे पानी, किसानों में खुशी की लहर
बारिश के इस ऐतिहासिक सीजन ने राज्य के जलाशयों और बांधों में भी नई जान फूंक दी है। अधिकांश प्रमुख बांध, जैसे कि माही, कोटा बैराज, और जवाई बांध, अपनी अधिकतम क्षमता के करीब भर चुके हैं। कृषि प्रधान राज्य होने के कारण यह बारिश किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं रही। खरीफ फसलों जैसे सोयाबीन, मूंगफली और धान की पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद की जा रही है।
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार राज्य में न केवल फसलें बेहतर स्थिति में हैं, बल्कि भूजल स्तर में भी औसतन 2 से 3 मीटर तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे रबी सीजन के लिए भी सिंचाई की स्थिति मजबूत रहने की संभावना है।
मौसम विशेषज्ञों की राय
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बार की असाधारण बारिश का प्रमुख कारण अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से लगातार सक्रिय रहे मॉनसून सिस्टम हैं। साथ ही, जलवायु परिवर्तन और समुद्री तापमान में वृद्धि ने मानसूनी गतिविधियों को और अधिक तीव्र किया। मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि नवंबर के शुरुआती सप्ताह तक कुछ क्षेत्रों में हल्की से मध्यम वर्षा का सिलसिला जारी रह सकता है।
बारिश के बीच चुनौतियाँ भी
हालांकि यह रिकॉर्डतोड़ बारिश राज्य के लिए राहत लेकर आई है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। कई जिलों में निचले इलाकों में जलभराव, सड़कें टूटने और फसलों के नुकसान जैसी घटनाएँ भी हुईं। राहत विभाग ने बताया कि अब तक करीब एक दर्जन जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन टीमें तैनात की गई हैं।
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