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जयपुर। राजस्थान हाई कोर्ट ने एनसीआर में दस साल तक के डीजल वाहनों को चलाने की अनुमति होने के बावजूद एनसीआर के भरतपुर क्षेत्र में सात साल पुराने बीएस-4 और यूरो-2 वाहनों का संचालन रोकने और केवल बीएस-6 व यूरो-4 वाहनों का ही संचालन करने की अनुमति देने के परिवहन विभाग के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में परिवहन आयुक्त, कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट, एनसीआर सचिव और क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण, भरतपुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जस्टिस अनिल उपमन की एकलपीठ ने यह आदेश मॉर्डन स्कूल व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता संस्थानों ने स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों के आवागमन के लिए साल 2019 में बस खरीद कर उसका भरतपुर आरटीओ से रूट परमिट लिया था। वहीं रूट परमिट की अवधि पूरी होने पर आरटीओ ने उनका नवीनीकरण प्रार्थना पत्र खारिज कर याचिकाकर्ताओं को बीएस-6 व यूरो-4 वाहन ही संचालित करने को कहा। याचिका में कहा गया कि एनजीटी ने 7 अप्रैल, 2015 को दिल्ली और एनसीआर में दस साल पुराने डीजल वाहनों का संचालन नहीं करने को कहा था। इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी। याचिका में कहा गया कि एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट ने दस साल तक के डीजल वाहनों पर रोक नहीं लगाई है। इसके बावजूद भी परिवहन विभाग ने याचिकाकर्ताओं का परमिट नवीनीकरण नहीं किया और उन्हें वाहन चलाने की अनुमति नहीं देते हुए सिर्फ बीएस-6 व यूरो-4 वाहनों का ही संचालन करने को कहा, जबकि याचिकाकर्ताओं को इन वाहनों को खरीदे दस साल नहीं हुए हैं। उन्होंने एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए ही डीजल वाहनों की खरीद की थी। ऐसे में परिवहन विभाग के मनमाने आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए परिवहन विभाग के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।
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